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क़तर को तबाह करने की सऊदी अरब ने रची साज़िश-इस तरह से बर्बाद हो जायेगा खुशहाल मुस्लिम राष्ट्र

नई दिल्ली: क़तर और सऊदी अरब के आपसी सम्बन्ध सुधरने का नाम नही ले रहे है क्योंकि सऊद अरब क़तर को आंखें दिखाकर डराना चाहता है तो वहीं क़तर भी सऊदी का किसी भी तरह का दबाव नही मानता है,क्योंकि उसके साथ भी कई शक्तिशाली राष्ट्रो का समर्थन है।

सऊदी अरब ने अपने सहयोगी देशों के साथ मिलकर पिछले दो साल पहले क़तर का बॉयकॉट किया था जिसके बाद से क़तर को खाड़ी देशों का विरोध झेलना पड़ा था,और खाड़ी में अकेला पड़ गया था।

कतर पर ‘आतंकवाद’ को बढ़ावा देने का आरोप लगाते हुए सऊदी अरब ने बीते वर्ष जून में उससे कूटनीतिक व व्‍यापारिक संबंध तोड़ लिए थे। संयुक्‍त अरब अमीरात (यूएई), बहरीन और मिस्र ने भी सऊदी अरब का साथ दिया था। अब सऊदी अरब ने कतर के साथ अपने पहले से ही तनावपूर्ण संबंधों में एक और बड़ा कदम उठाने के संकेत दिए हैं।

सऊदी अरब ने कतर को अलग-थलग करने के लिए नहर खोदने की योजना के संकेत दिए हैं। सऊदी अरब के एक बड़े अधिकारी ने शुक्रवार को ट्विटर पर कहा, ‘मुझे सल्वा आइलैंड प्रोजेक्ट के लागू होने का बेसब्री से इंतजार है। यह एक बड़ी व ऐतिहासिक परियोजना है, जिससे क्षेत्र का पूरा भूगोल ही बदल जाएगा।’ सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के सीनियर एडवाइजर सऊद अल-काहतानी के इस ट्वीट के कई निहितार्थ लगाए जा रहे हैं।

अगर यह योजना अमल में आती है तो कतर का जमीनी संपर्क पूरी तरह सऊदी अरब से टूट जाएगा। सऊदी अरब ने कतर पर आतंकवाद को बढ़ावा देने और ईरान के साथ मिलीभगत का आरोप लगाया है, जिसके साथ उसके (सऊदी अरब) संबंध समान्‍य नहीं हैं। हालांकि कतर ने आरोपों को खारिज किया है।

सऊदी सरकार समर्थक ‘सबक’ न्‍यूज वेबसाइट ने अप्रैल में इस योजन से संबंधित रिपोर्ट प्राकश‍ित की थी। रिपोर्ट में 60 किलोमीटर लंबी और 200 मीटर चौड़ी नहर बनाने की योजना का जिक्र किया गया और कहा गया कि इसके एक हिस्से को सऊदी अरब न्यूक्लियर वेस्ट फैसिलिटी के तौर पर इस्तेमाल किया जाएगा।