साहित्य

है दिवाना वो मगर ये ख़बर न थी मुझको!, जान दे कर के अपनी हद से गुज़र जायेगा!!…अम्बर बालमपुरी की ग़ज़ल

Amber Balrampuri
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हार कर ज़िन्दगी से अपने किधर जायेगा!
लगाकर मौत को गले से अपने मर जायेगा!!
भटक रहा है कोई दिल में आरज़ू लेकर!
मिले ठिकाना कोई उसको वो ठहर जायेगा!!
हुनर कोई भी हो किसी में हो आलिम भी!
मिस्ले खुशबु वो फज़ाओं में बिखर जायेगा!!
अब तलातुम में है कश्ती खो गयी मन्ज़िल!
लेने साहिल का पता अब तो भंवर जायेगा!!
बिखरा है कब से कोई हसरते दिदार लिए!
आ भी आओ के देखकर वो संवर जायेगा!!
सोंचा था मैने के आया है चला जायेगा!
क्या खबर थी के रगे-जां में उतर जायेगा!!
है दिवाना वो मगर ये खबर न थी मुझको!
जान दे कर के अपनी हद से गुज़र जायेगा!!
कल तलक जिसको बिठा के पलक पे रखा
दिल से उतरा तो नज़र से भी उतर जायेगा!!
ऐसा दिलकश है चेहरा उसका क्या कहुँ अम्बर
देख कर आहें भरेंगे सब वो जिधर जायेगा!!
तकवा था दिल में मिलता था बिना मांगे सब
अब दुआओं से कहाँ ऐसा—असर जायेगा!!
रोशनी मांगने अब उनसे न—कमर जायेगा!!