विशेष

हे भगवान, अब तो गाजर पर भी भरोसा नहीं रहा!

Dev Kumar
==============
·
लिखूं तो प्यार हो, सोचूं तो इश्क़ और चाहूं तो मोहब्बत हो तुम, मेरे हर कदम पर हमसफ़र हो तुम…
आज भी तुझे लिख रहे हैं…
लम्हा-लम्हा इसी बहाने जी रहे हैं…
अच्छा सुन, कैसे चल रही है ज़िन्दगी…!
मेरे बिना खुश है…!
आंखों की पोर में मैं नहीं, तो भर तो नहीं जातीं आंखें…!
सजती है तो, किसकी आंखों में दिखती है अब…!
इंतजार में बैठे किसी इंसान को भेजती हो फोटो…!
बिना सजे भी परी किसी को लगती हो या नहीं…!
कौन तेरे मैसेज आने की प्रतीक्षा में ऑनलाइन मिलता है…!
हर पल में कोई नहीं, तो कैसे धड़कता है दिल…!
कैसे चलती हैं सांसें…!

May be an image of 1 person
किसी का इंतजार नहीं, तो क्यों हैं नज़रें दरवाज़े पर…!
मुलाकात की गलियों पर नजर पड़े, तो रोता नहीं दिल…!
कौन करता है तेरी कुशलता की कामना हर पल…!
किसकी पूजा से ज्योत जाती है तेरा सुरक्षा कवच बनकर…!
कैसे उन गलियों से निकल पाती हो जहां दिनभर की दास्तां सुनाते सुनाते मेरी टकटकी से हंस पड़ती थी…!
नज़र नहीं जाती, ऑफिस के दरवाजे पर, जहां बिना बताए पहुंच जाता था…!
अपने पैरों पर नज़र तो जरूर पड़ती होगी, वहीं कहीं कुचला हुआ मैं नहीं दिखता क्या…!
कौन कहता है बढ़े नेल्स पसंद नहीं, काट लो…!
कौन कहता है अब कि जल्दी सो जाया करो…!
जरा सी तेरी बीमारी में कौन जागता है चिंता में…!
और किसे तेरे जागने का इंतजार होता है…!

May be an image of 1 person

कोई चितचोर नहीं अब, तो कैसे लाज शर्म में छिपकर मुस्कुराती हो…!

ऐसे कैसे बदल ली तूने जिंदगी। तय तो ये था कि साथ निभाएगी, मांग में बसाकर बिछुए के दम पर मुझे यमराज से भी छीन लाएगी। और अब जब तलाशती हैं नज़रें तुझे तो, छिप क्यों गई है! श्मशान सा दिल था, हमने तो उस वीरान शहर में भी किया इंतज़ार तेरा, जहां मोहब्बत का कोई रिवाज़ न था। तुझसे इश्क होना ही खूबसूरत किस्सा है मेरी जिंदगी का… ना जाने कैसा रिश्ता है इस दिल का, धड़कना भूल सकता है पर तेरा नाम नहीं। दिल, दिमाग… रगों में हर जगह तेरा राज। पता नहीं कैसे मुस्कुरा रहा हूं! तब मुस्कुराना कौन सा मुश्किल काम था, बस तुम्हें सोचना ही तो होता था…

May be an image of 1 person and smiling

मैंने उस लड़की से प्रेम किया जिसे प्रेम की बिल्कुल तहज़ीब नहीं थी, तुनकमिजाजी जिसकी आदत थी। अपने दिल की सुनने वाली। पर, मेरे लिए इतनी पजेसिव, रो पड़ती थी, कि मैंने उससे ज्यादा बात क्यों की! फोन क्यों नहीं उठाया! नेट ऑफ क्यों किया! मैसेज का जवाब तुंरत नहीं आया, तो क्यों! माथे की बिंदी के रंग पर ध्यान गया कैसे नहीं मेरा! खुश हो जाती थी, बस इतनी बात पर कि उसने मुझे तीन बार फोन किया और मैंने तीनों बार उठाया। जब मैसेज आया तो ऑनलाइन मिला। दुपट्टा साफ चमकदार, लेकिन मेरे पसीने में गंदा भी हो जाए तो खुश। जो मंदिर में मेरी की तरफ देखना भी भगवान का अनादर समझती थी, जो बोलती थी मंदिर में ये शोभा नहीं देता। मैंने इश्क़ किया उस लड़की से जिसे पसंद था फिल्मों से ज्यादा मुझे देखना। और एक बार देखकर, महीनों तक खुशी से इंतजार करना अगली बार देखने का। और जो उतावली रहती थी ये बताने को, कि आज मैंने कल से एक रोटी ज्यादा खाई इसलिए वजन बढ़ा लग रहा है।

May be an image of 1 person

और इधर मैं हूं। तेरे बिन जैसे मरा सा जिंदा। मैं तुझ पर फिदा था, जमीन पर था बेशक, लेकिन उड़ा सा। तेरी मासूमियत पर कुर्बान, चंचल शोख अदाओं का दीवाना। वो दौर था मेरा। अपने तेरे दिल की छिपी सल्तनत का सुल्तान। दुनिया कुछ सोचे, मैं अपनी धुन में मगन। तेरी धुन पर हर समय नाचता हुआ। हर पल आंखों में तू। जगह तो तेरी आज भी नहीं बदली, डबडबाई सी बहती आंखों में अस्तित्व आज भी बदस्तूर कायम है। हंसता हूं, पर खोखली हंसी। एक तू ही तो जानती थी मुझे, मुस्कराने पर भी पूछ लेती थी- क्यों उदास हो? महसूस किया है मैंने, अरबों की आबादी वाली दुनिया में, आशिक रोते रहे हैं सिर्फ़ एक महबूब के लिए, मेरे आज की तरह। खालीपन सा है, लेखपाल सी तुम मेरी जिंदगी में पूरे दिल की घेराबंदी किए बैठी थीं।

No photo description available.

सबकुछ थम गया है। जैसे जिंदगी की प्रोग्रामिंग गड़बड़ा गई हो, रोबोट जैसा शरीर लेकिन, उसकी कंट्रोलिंग यूनिट गायब। तेरी वापसी की प्रार्थना कुबूल नहीं हुई, तो भगवान से भरोसा उठ गया। दस दिन तक लगातार दिन रात प्रार्थनाओं की असफलता के बाद उस शनिवार मैंने आखिरी बार मंदिर जाकर ईश्वर दर्शन किए। फिर न मंदिर गया, न पूजा की, न भोलेनाथ को जल अर्पित किया… भरोसा टूट गया। तुम प्रेम के साथ मेरी आस्था, विश्वास और पूजापाठ सब ले गईं… तुमने कहा पीछा छोड़ दीजिए… ये दिल पर घाव है। पीछा ही था तेरी नजर में, तो छोड़ दिया। मेरे बिना खुश हो ना, अच्छा है। कम से कम लोगों को ये तो लगे कि प्रेम से उबर जाना आसान है… लोग प्रेम करते रहेंगे। वरना तो, मुझे देखकर तो प्रेम करना छोड़ देंगे। अगर सीख गई हो मेरे बिन जीना तो ब्रेक अप गुरू बन जाओ, मुझे तो बचा न सकीं, शायद किसी को बचा पाओ।

May be an image of meadowlark

सोचता हूं, काश! होती आशिकों के पास कोई जादुई घड़ी और वो बिछड़ते वक्त रोक पाते समय को। वैसे, सच तो ये है कि कुछ रिश्ते हमेशा रहते हैं, हम अजनबी बन नहीं पाते, दुनिया से बचकर, बस दूर से एक दूसरे के पास होते हैं। ज़िंदगी बन जाते हैं कुछ लोग… दूर होकर भी ऑक्सीजन होते हैं एक दूसरे की। साथी का मतलब साथ रहना नहीं, मरते की आस की तरफ बस साथ महसूस होना है। और, मुझे तू अंतिम घड़ी तक साथ महसूस होगी, अंतिम बार दिल धड़केगा, तो भी तेरा ही नाम लेगा। संबंध अगर हृदय से हो, तो मन कभी नहीं भरता, शायद तेरा भी नहीं भरा होगा… अगर हृदय से जुड़ी थी तू, तो!!! मुझे उम्मीद है, मिलेंगे किसी जन्म में एक दूसरे का बनकर। दुआ करो, वरना तेरे बिन ये जन्म आखिरी हो। ❤️

इश्क़ की आख़िरी हदों में हूं साहब…
राख़ हूं… अब और नहीं जल सकता! 🖤

No photo description available.

Dev Kumar
==============
·
सेक्सी सेक्सी हास्य,
,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
एक लड़की
अपनी
रिपोर्ट लेने
डाक्टर
के पास गई,
रिपोर्ट गलती से
बदल गई,
डाक्टर बोला,,,,,,,,
बधाई हो,
आप मां
बनने वाली हैं,
लड़की
चिल्लाते हुए
बोली,,,,,,,,,,,,
हे भगवान,
अब तो
गाजर पर भी
भरोसा नहीं रहा।

May be an image of 1 person

Dev Kumar
==============
सोनिकाने सोने से पहले हाथों पर अच्छी तरह क्रीम लगाई, बीचबीच में कनखियों से फोन पर कुछ करते अपने एवरग्रीन रूठे सजन उमेश को देखा. मन ही मन हंसी सी आई पर जैसे ही लाइट बंद कर उमेश के बराबर सोने लेटी, उमेश की गंभीर आवाज से हंसी गायब हो गई. करंट सा लगा.
उमेश बोला, ‘‘कल सुबह 5 बजे नाश्ता बना देना, थोड़ा पैक भी कर देना, एक डिस्ट्रीब्यूटर से मिलने प्रतापगढ़ जा रहा हूं, रात तक आ जाऊंगा.’’
सोनिका जैसे अभी तक यकीन नहीं कर पा रही थी कि उसे सुबह 5 बजे उठना है. उस ने उमेश को याद दिलाने की कोशिश की, ‘‘पर तुम तो मुझ से नाराज हो न.’’

May be an image of 1 person
‘‘गुड नाइट,’’ चिढ़ कर कहते हुए उमेश ने उस की तरफ से करवट बदल ली. उमेश तो कुछ ही देर में खर्राटे लेने लगा पर सोनिका की तो नींद ही उड़ गई. हाय, उमेश का गुस्सा फिर खत्म हो गया. हाय, कितना आराम मिलता है जब उमेश गुस्सा होता है, बेचैनी से करवटें बदलते हुए सोनिका पुराने समय में पहुंच गई…वह अपनी इस आदत से बहुत परेशान थी कि कोई उसे सोते हुए कह दे कि सुबह जल्दी उठना है तो वह इस प्रैशर में ठीक से सो ही नहीं पाती. अब पुराने समय में पहुंची तो शादी के दिन याद आ गए और याद आ गया वह दिन जब उमेश को गुस्से में देखा था. सोनिका दिल्ली से लखनऊ जब शादी हो कर आई तो घर में सासससुर और इकलौता बेटा उमेश बस यही थे. उमेश को सोनिका पर किसी बात पर गुस्सा आया था तो उस ने उस के हाथ का खाना खाना छोड़ दिया.
वह बहुत परेशान हुई. रोई तो सास ने बेटे के बारे में लाड़ से बताते हुए कहा, ‘‘बहू, उमेश बचपन से ऐसा ही है, जब भी गुस्सा होता है, खाना नहीं खाता, अपने सारे काम गुस्से में खुद करने लगता है. चिंता मत कर, अपनेआप इस का गुस्सा उतर भी जाता है.’’
सोनिका का तो चैन खत्म हो गया. हाय, नयानवेला पति कुछ खाए न तो उस के सामने बैठ कर वह खुद कैसे खा ले. उस ने सास से पूछा, ‘‘तो बाहर जा कर खाते हैं?’’

May be an image of 1 person

‘‘और क्या, कोई कब तक भूखा रह सकता है.’’ वह हैरान हुई कि अरे, यह कैसा नाटक है. मायके में तो कोई भी गुस्सा हो, खाना सब खाते रहते थे. कई बार उस ने देखा था कि उस के पेरैंट्स बुरी तरह लड़े, फिर मम्मी ने खाना, लगाया और सब ने बैठ कर आराम से खा लिया. अब उमेश के ड्रामे देख कर तो वह हैरान थी. उसे जल्दी गुस्सा आता था. वह परेशान हो कर उस के आगेपीछे घूमती कि खाना खा लो, खाना खा लो, पर वह तनतनाया सा बाहर निकल जाता. फिर अगले 5 सालों में अथर्व और अनन्या भी हो गए तो सोनिका ने सोचा कि शायद अब उमेश का गुस्सा कम हो, पर उमेश वैसा ही रहा. पर पिछले कुछ महीनों से सोनिका ने अपने सोचने की दिशा बिलकुल बदल दी है. सासससुर अब रहे नहीं. बच्चे कालेज में हैं. ये लौकडाउन के दिन थे. सब औनलाइन अपना काम करते रहते. घरों में मेड आ नहीं रही थी. काम ज्यादा था. किसी बात पर उमेश को गुस्सा आ गया और वह चिल्लाया, ‘‘मेरा खाना मत बनाना.’’
सोनिका ने कहा, ‘‘कहां खाओगे?’’

May be an image of 1 person
‘‘मैं और्डर कर लूंगा. ’’बच्चे वैसे तो किसी काम से आवाज देने पर इग्नोर कर देते हैं पर बाहर से खाना और्डर करने की बात पर दोनों के कान खड़े हो गए, दोनों अपने-अपने लैपटौप से उठ कर आ गए. पिता के गुस्से पर बिलकुल ध्यान न देते हुए पूछा, ‘‘पापा, क्या मंगवा रहे हो?’’
‘‘क्यों?’’

‘‘हमारे लिए भी मंगवा देना, आजकल बस घर का ही खाए जा रहे. बोर हो गए.’’
सोनिका को बहुत तेज गुस्सा आया. उमेश को और गुस्सा आ चुका था. बोले, ‘‘तुम्हारी मां ने जो बनाया है उसे कौन खाएगा?’’
‘‘अरे पापा, बाद में खा लेंगे. वैसे मम्मी क्या बनाया है आप ने?’’
सोनिका ने जवाब दिया, ‘‘दाल और आलूबैगन.’’

May be an image of 1 person and pool
‘‘हां, तो बस पापा, फिर तो हमारे लिए भी मंगवा लेना,’’ कह कर हंसते हुए बच्चे अपने रूम में चले गए. उमेश ने एक अकड़ वाली नजर सोनिका पर डाली और और्डर देने लगा. उस दिन तीनों ने मजे से बिरयानी खाई और सोनिका मन मार कर अपना बनाया खाना खाती रही. बच्चों ने उसे बहुत कहा कि मम्मी बिरयानी टेस्ट कर के देखो तो सही, कितनी बढि़या है.मगर ऐसा कभी होता नहीं था कि वह उमेश के गुस्से में मंगवाया खाना खा ले. सैल्फ रिस्पैक्ट भी तो कोई चीज है. फिर अब अकसर यह होने लगा था कि उमेश गुस्से में खाना छोड़ता तो बच्चे भी उस के पीछे लग लेते. तीनों कभी कुछ मंगवा कर खाते, तो कभी कुछ. सोनिका ने अचानक महसूस किया कि इस में तो बड़ा आराम हो जाता है,

May be an image of 1 person

जितने दिन उमेश गुस्सा रहता, काम काफी कम हो जाता जैसे ही यह बात दिमाग में आई उस का मन खिल उठा. बरतन भी कम होते, अपने लिए कभी मैगी बना लेती, कभी सैंडविच. बच्चों को जिस तरफ का खाने का मन होता आराम से खाते. सोनिका ने टाइम देखा, 12 बज रहे थे. वह सोना तो चाहती थी पर बहुत कुछ दिमाग में चलने लगा था. उमेश गुस्से में खाना खाना तो छोड़ देता पर कोई बहुत जरूरी काम होने पर मार्केट साथ चला जाता क्योंकि लखनऊ में मौल उन की सोसाइटी से कुछ दूरी पर था. इस बीच गुस्से में बात करने से भी बचता. उतना ही बोलता जितने के बिना काम न चलता. ऐसे ही उसे याद आया कुछ जरूरी सामान खत्म होने पर वह उस के साथ फूड स्टोर गई थी.

May be an image of 1 person

सोनिका को फू्रट्स खाने का बहुत शौक था. उमेश जंक फूड पसंद करता और फलों को देख कर मुंह बनाता. वह फल उठा कर ट्रौली में रखने लगी तो उस ने देखा उमेश ने गुस्से में मुंह दूसरी तरफ कर लिया. मजेदार बात यह थी कि अब सोनिका को उस के गुस्से का जरा भी फर्क न पड़ता. उस ने देखा कि उमेश मुंह से तो कुछ कहेगा नहीं. उस दिन उस ने सब महंगे फल आराम से लिए. वह मन ही मन बहुत खुश हुई. सोचा कि रहो गुस्सा, अपना तो आराम हो जाता है., अब तो सोनिका को उमेश के नाराज होने का इंतजार रहने लगा है. गुस्से में उमेश अपनी शान बनाए रखने के लिए उस से बोलता भी नहीं है तो वह वे सब काम आराम से कर लेती है जिन्हें उमेश अच्छे मूड में करने नहीं देता. अब तो सोनिका उमेश के नाराज रहने का पीरियड आराम से वैब सीरीज देख कर बिताती है और बहुत ऐंजौय करती है.

उमेश जब अच्छे मूड में होता है तो कई चीजें खाने की फरमाइश करता है, कोई हैल्प है नहीं, बस अपनी फरमाइश बता कर लैपटौप और फोन पर व्यस्त हो जाता है. वह फिर किचन में बदहाल हो कर मन ही मन यही कहती है कि प्रिय, काफी दिन हो गए तुम्हें नाराज हुए, थोड़ा नाराज हो जाओ तो काम कम हो, प्रिय.