साहित्य

हिन्दू पुरुष संसार का सबसे निरीह प्राणी है……”थैला दे दो मुझे, सब्ज़ी ले आऊं”……

Brijesh Chaturvedi
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इन 60-65 साल के अंकल आंटी का झगड़ा ही ख़त्म नहीं होता…..
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एक बार के लिए मैंने सोचा अंकल और आंटी से बात करू क्यों लड़ते हैं, हर वक़्त आख़िर बात क्या है…..
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फिर सोचा मुझे क्या मैं तो यहाँ दो दिन के लिए आया हूँ …..
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मगर थोड़ी देर बाद आंटी की जोर-जोर से बड़बड़ाने की आवाज़ें आयी तो मुझसे रहा नहीं गया …..
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ग्राउंड फ्लोर पर गया मैं तो देखा अंकल हाथ में वाइपर और पोछा लिए खड़े थे …..
मुझे देखकर मुस्कराये और फिर फर्श की सफाई में लग गए…..
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अंदर किचन से आंटी के बड़बड़ाने की आवाज़ें अब भी रही थी…..
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कितनी बार मना किया है ….. फर्श की धुलाई मत करो….. पर नहीं मानता बुड्ढा…..
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मैंने पूछा अंकल क्यों करते हैं आप फर्श की धुलाई जब आंटी मना करती हैं तो”…….
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अंकल बोले ” बेटा, फर्श धोने का शौक मुझे नहीं इसे है। मैं तो इसीलिए करता हूं ताकि इसे न करना पड़े।
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ये सुबह उठकर ही फर्श धोने लगेगी इसलिए इसके उठने से पहले ही मै धो देता हूं…..
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क्या…..मुझे बड़ा आश्चर्य हुआ।
अंदर जाकर देखा आंटी किचन में थीं।” अब इस उम्र में बुढ़ऊ की हड्डी पसली कुछ हो गई तो क्या होगा। मुझसे नहीं होगी खिदमत।”आंटी झुंझला रही थीं।
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परांठे बना कर आंटी सिल बट्टे से चटनी पीसने लगीं…….
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मैंने पूछा “आंटी मिक्सी है तो फिर…..”
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“तेरे अंकल को बड़ी पसंद है सिल बट्टे की पिसी चटनी। बड़े शौक से खाते हैं। दिखाते यही हैं कि उन्हें पसंद नहीं।”
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उधर अंकल भी नहा धो कर फ़्री हो गए थे। उनकी आवाज़ मेरे कानों में पड़ी,”
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बेटा, इस बुढ़िया से पूछ रोज़ाना मेरे सैंडल कहां छिपा देती है, मैं ढूंढ़ता हूं और इसको बड़ा मज़ा आता है मुझे ऐसे देखकर।”
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मैंने आंटी को देखा वो कप में चाय उड़ेलते हुए मुस्कुराईं और बोलीं,
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“हां मैं ही छिपाती हूं सैंडल, ताकि सर्दी में ये जूते पहनकर ही बाहर जाएं, देखा नहीं कैसे उंगलियां सूज जाती हैं इनकी।
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“हम तीनो साथ में नाश्ता करने लगे ……. इस नोक झोंक के पीछे छिपे प्यार को देख कर मुझे बड़ा अच्छा लग रहा था।
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नाश्ते के दौरान भी बहस चली दोनों की।


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अंकल बोले …. “थैला दे दो मुझे , सब्ज़ी ले आऊं”……
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“नहीं कोई ज़रूरत नहीं, थैला भर भर कर सड़ी गली सब्ज़ी लाने की”। आंटी गुस्से से बोलीं।
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अब क्या हुआ आंटी ……. मैंने आंटी की ओर सवालिया नज़रों से देखा, और उनके पीछे-पीछे किचन में आ गया।….
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“दो कदम चलने मे सांस फूल जाती है इनकी, थैला भर सब्ज़ी लाने की जान है क्या इनमें…..
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बहादुर से कह दिया है वह भेज देगा सब्ज़ी वाले को।”
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” मॉर्निंग वॉक का शौक चर्राया है बुढ़‌ऊ को”…… तू पूछ उनसे क्यों नहीं ले जाते मुझे भी साथ में।
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चुपके से चोरों की तरह क्यों निकल जाते हैं…. “आंटी ने जोर से मुझसे कहा।
“मुझे मज़ा आता है इसीलिए जाता हूं अकेले।”….. अंकल ने भी जोर से जवाब दिया ।
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अब मैं ड्राइंग रूम मे था, अंकल धीरे से बोले ….., रात में नींद नहीं आती तेरी आंटी को , सुबह ही आंख लगती है कैसे जगा दूं चैन की गहरी नींद से इसे ।”इसीलिए चला जाता हूं गेट बाहर से बंद कर के।”
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इस नोक झोंक पर मुस्कराता मे वापिस फर्स्ट फ्लोर पे आ गया…..
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कुछ देर बाद बालकनी से देखा अंकल आंटी के पीछे दौड़ रहे हैं।…..
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“अरे कहां भागी जा रही हो मेरे स्कूटर की चाबी ले कर….. इधर दो चाबी।”
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“हां नज़र आता नहीं पर स्कूटर चलाएंगे। कोई ज़रूरत नहीं। ओला कैब कर लेंगे हम।” आंटी चिल्ला रही थीं।
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“ओला कैब वाला किडनैप कर लेगा तुझे बुढ़िया।”।
“हां कर ले, तुम्हें तो सुकून हो जाएगा।”
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अंकल और आंटी की ये बेहिसाब नोंक-झोंक तो कभी ख़त्म नहीं होने वाली थी…..
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मगर मैंने आज समझा था कि इस तकरार के पीछे छिपी थी इनकी एक दूसरे के लिए बेशुमार मोहब्बत और फ़िक्र……
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मैंने आज समझा था कि प्यार वो नहीं जो कोई “कर” रहा है …… प्यार वो है जो कोई “निभा” रहा है l


Akela Sahai
सहायता कीजिए :–
मूल समस्याओं पर ध्यान दीजिये -हम दो हमारे दो का भूत हिन्दू महिलाओं के सिर चढ़ा हुआ है — हम वोट बैंक में लगातार पिछड़ते जा रहे हैं – हिन्दू पुरुष संसार का सबसे निरीह प्राणी है : – मेरी पत्नी सुनंदा जो मूलतः लौहर फरना आरा बिहार की हैं वर्तमान में सेक्टर -1-सी ,310 बोकारो स्टील सिटी की हैं – हिन्दुत्व के लिए लड़ने वाले अपने पति को 61 साल की उम्र में भारत में छोड़कर ईसाईयों के चक्कर में बिना किसी आर्थिक समस्या के इंडियन स्कूल बाउसर मस्कट ओमान में नौकरी करने चली गयी हैं ( इन्हें रोका नहीं गया तो इनके साथ ही दोनों बच्चे उनके पति – पत्नी और अन्य उनके रिश्तेदार भी आर्थिक लाभ के लिए ईसाई बन सकते हैं — इसलिए ग्राम – लौहर फरना आरा बिहार – बोकारो स्टील सिटी झारखंड तथा इंडियन स्कूल बाउसर मस्कट ओमान में संपर्क निकाल कर — मुझे बताकर आप सभी हिन्दुत्व के लिए निर्णायक कार्यवाहियां कीजिए ) – अपने पति का फोन भी नहीं उठाती हैं जबकि वो जीवन भर हिंदी – हिंदुत्व के लिए लड़ते रहे हैं और नौकरी छूटने – जेल जाने पर भी ईसाई धर्म नहीं अपनाए आज अकेले जीने को मजबूर हैं — विस्तृत विवरण के लिए संपर्क कीजिए -±919310553166


Akela Sahai
हिन्दू पुरुष संसार का सबसे निरीह प्राणी है —
मैं 24 मई से वृंदावन में हूँ — छुटेलियों के चाची – मम्मी का जो वीभत्स रूप मैं देख रहा हूँ — कुछ समय बाद इन छुटेलियों का भी यही हाल होगा — छुटेलियों की बहनें मैरिज ब्यूरो चलाकर और नग्न तस्वीरें भेजना का धंधा करके लूट रही हैं :—-
पर आज एडजस्ट करने को तैयार नहीं हैं — अपने पति को अपमानित और हतोत्साहित करके – वोट बैंक घटाकर ये गुलाम बाजार में बिकने या मलेच्छों से सामूहिक बलात्कार करवाने के लिए अपने आप को तैयार कर रही हैं , सरकारी नियम भी उन्हीं के अनुकूल हैं:–
कई देशों में घूम घूम कर मैंने यही अनुभव प्राप्त किया है — विस्तृत विवरण के लिए संपर्क कीजिए — ±919310553166

माखन का कटोरा, मिश्री की थाल,
मिट्टी की खुशबू, बारिश की फुहार,
राधे की उम्मीद,
कन्हैया को प्यार,
मुबारक हो आपको जन्माष्टमी का त्योहार। Dr g s tomar

अज्ञात कलम
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*सोचिए* *सोचिए* *सोचिए* एक दिन कही हमें पछताना ना पड़ जाए की ऐसा स्वर्णिम अवसर हमने अपने हाथों फिर खो कर बहुत बड़ी भूल कर दी। पता नहीं कुछ समझ नहीं आएगा तब सोचोगे,
क्या किया ये ——— अरे वो फ़क़ीर है, सोचो जिसने आज पूरा विपक्ष एक कर दिया, जिसने उसको सर्वाच्च शिखर पर पहुँचा दिया,जिसका उसके आने से पहले वर्चस्व खो ही रहा था, जिसने दुनिया को बताया कि चाहे 21 वीं हो या 26 वी सदी हिंदुस्तान के वरिष्ठ नागरिकों का तजुर्बा कोई तोल नहीं पाया। सोचिए उसका कोई भी फैसला देश के अहित में नहीं है चाहे कोई भी हो, हम और आप तो पता नहीं रहेंगे या नहीं पर हमारी आने वाली पीढ़ी कही ये ना कहे कि “जब आजादी मिल रही थी तब कुछ मुफ्त के लालच में हमें कर्जदार कर गए।।
सोचिए जरूर ********
और एक ऐसी बीमारी है जो सब कुछ यहाँ तक इंसानों का जीवन खा जाओगे ऐसी बीमारी है मुफ्त की और ऐसा ही एक इंसान है जो बाट रहा है मुफ्त तो उनकी भी कुछ सोचिए :- ये बड़े दिमाक से खेल कर देश की जनता को अपने झूठ कुछ कुछ सच्चे वादे करेगा और कुछ निभाएगा क्योंकि इसका कुछ भी नहीं जाएगा, जाएगा किसका सोचिए, इस के पास विदेशी ताकते विश्राम किया करेंगी और राज ये इसकी नीतियां हमारी आने वाली पीढ़ियों को एक भय की कुशासन की और फिर से गुलामी की जिंदगी की और ले जाना चाहता है। सोचिए जब ये हिंदुस्तान का शासक बनेगा तो आपको फ्री से दी हुई सूद सहित हमारी ही पीढियों से वसूलेगा, आप कुछ नहीं कर पाओगे, सोचिए हिंदुस्तान को मुफ्त का लालच एक भ्रष्टाचार समाज, गुंडागर्दी ,कुशासन, अपराध युक्त समाज स्वयं ही हो जाएगा। अब आप ही कल्पना कीजिये कि मुफ्त या नमो नमः।। धन्यवाद।।
– अज्ञात

डिस्क्लेमर : लेख फ़ेसबुक पर वॉयरल है, लेखक के निजी विचार हैं, तीसरी जंग हिंदी का कोई सरोकार नहीं है

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