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हिज़्बुल्लाह के जाल में पूरी तरह से फंस गया इस्राईल, एक ऐसी ख़बर जिसने इस्राईल के समर्थकों की नींद उड़ा दी : रिपोर्ट

एक ऐसी ख़बर कि जिसने अवैध इस्राईली शासन के समर्थकों की नींद उड़ा दी! झूठे प्रचारों की ज़ायोनी अधिकारियों ने ही खोल दी पोल

अवैध आतंकी इस्राईली शासन के सैन्य अधिकारियों ने उत्तरी ग़ज़्ज़ा से ज़ायोनी सैनिकों की वापसी की ख़बर की पुष्टि करते हुए कहा कि यह वापसी फ़िलिस्तीनी प्रतिरोध समूहों की उस योजना का पूरा होता हुआ दिखा रहा है कि जिसमें उन्होंने इस्राईली सेना को हराने का संकल्प लिया है।

आतंकी इस्राईली सेना उत्तरी ग़ज़्ज़ा के अधिकांश आवासीय क्षेत्रों से पीछे हट गई है। ज़ायोनी सेना के अधिकारियों ने ग़ज़्ज़ा के उत्तर से ज़ायोनी सैनिकों की वापसी की पुष्टि भी कर दी है। 7 अक्टूबर, 2023 को अलअक़्सा तूफ़ान ऑपरेशन की शुरुआत और फ़िलिस्तीनी प्रतिरोध समूहों की उल्लेखनीय सफलताओं के साथ, ज़ायोनी शासन के अधिकारियों ने इस युद्ध में मिलने वाली अपनी विफलताओं और अक्षमता को सही ठहराने के लिए प्रचार और पश्चिमी मीडिया के समर्थन का इस्तेमाल किया, जिससे एक अलग स्थिति सामने आई। ज़ायोनी सेना के प्रमुखों ने दावा किया कि उन्होंने ग़ज़्ज़ा में घुसपैठ करके इस शहर को उत्तरी और दक्षिणी हिस्सों में बांट दिया है। हालांकि, ग़ज़्ज़ा पर ज़ायोनी सैन्य हमले की शुरुआत के बाद से ज़ायोनी सेना के अधिकारियों के इन दावों और बयानों पर संदेह जताया गया था, और ज़ायोनी विशेषज्ञों ने फ़िलिस्तीनी समूहों के ख़िलाफ़ अपनी सेना की अक्षमता को भी स्वीकार किया था। ज़ायोनी विशेषज्ञ “गाइ ओयाद” ने हमास के बारे में कहा: ग़ज़्ज़ा में फ़िलिस्तीनी प्रतिरोध आंदोलन में कमज़ोरी या पीछे हटने का कोई संकेत नहीं है, और ग़ज़्ज़ा में सैकड़ों किलोमीटर लंबी भूमिगत सुरंगें अभी भी पूरी तरह सुरक्षित और मौजूद हैं।

हालिया दिनों के घटनाक्रम इस तथ्य की ओर संकेत करते हैं कि फ़िलिस्तीनी प्रतिरोध बल, संयुक्त राज्य अमेरिका और पश्चिमी सरकारों के सभी समर्थन के बावजूद, ज़ायोनी सेना को महत्वपूर्ण हार देने में स्पष्ट रूप से सफल रहे हैं, इस प्रकार ग़ज़्ज़ा से हमलावर आतंकी इस्राईली सेना की वापसी इसका एक महत्वपूर्ण परिणाम है। हाल के वर्षों में, ज़ायोनी शासन के अधिकारियों ने हमेशा प्रचार (मीडिया विज्ञापन) के साथ अपनी एक झूठी छवि पेश की है, जिसे ज़्यादातर पश्चिमी मीडिया द्वारा समर्थित किया गया था, और ख़ुद को अजेय ताक़तों के रूप में विज्ञापित किया गया था, लेकिन अल-अक़्सा तूफ़ान ऑपरेशन और उससे मिलने वाली महत्वपूर्ण सफलताओं ने लेबनान और फ़िलिस्तीन में प्रतिरोध के पिछले वर्षों की महानता ने इस प्रचार और राजनीतिक प्रदर्शन को अप्रभावी बना दिया।

अलअक़्सा तूफ़ान ऑपरेशन की शुरुआत में प्रतिरोध मोर्चे की सामरिक और प्रभावी रणनीति ने ज़ायोनी शासन के छिपे हुए कथित प्रभुत्व को एक अपूरणीय झटका दिया और ज़ायोनीयों की कमज़ोरियों को दुनिया के सामने उजागर कर दिया। मानव क्षमताओं के उपयोग और उनके प्रबंधन और संगठन में अन्य फ़िलिस्तीनी प्रतिरोध समूहों के दृष्टिकोण ने भी हमलावरों को पीछे धकेलने और ग़ज़्ज़ा की रक्षा करने में प्रभावी भूमिका निभाई। फ़िलिस्तीनी प्रतिरोध समूहों की सफलताएं उस रूप में थीं जिसे ज़ायोनी सेना के पूर्व अधिकारियों ने भी स्वीकार किया था। आईडीएफ के सैन्य ख़ुफ़िया अनुसंधान विभाग के पूर्व प्रमुख “योसी कोपरवासेर” ने स्वीकार किया कि यह एक निंदनीय विफलता थी, इस्राईल की सभी ख़ुफ़िया एजेंसियां ​​विफल रहीं। उन्होंने हमास को इतना कम आंका कि उन्होंने इसके बारे में ख़ुफ़िया रिपोर्टों पर कोई ध्यान नहीं दिया।

ग़ज़्ज़ा में 100-दिवसीय युद्ध मानवीय और सामरिक क्षमताओं का प्रदर्शन था, और निश्चित रूप से, फ़िलिस्तीनी प्रतिरोध समूहों के सैन्य उपकरणों और हथियारों का समय पर उपयोग था, जिसके ख़िलाफ़ ज़ायोनी शासन हताश और हार गया था। ग़ज़्ज़ा से ज़ायोनी सैनिकों की वापसी को आतंकी इस्राईली सेना के ख़िलाफ़ प्रतिरोध की निरंतर सफलता के प्रतीक के रूप में देखा जाना चाहिए, जिसे संयुक्त राज्य अमेरिका और पश्चिम के व्यापक समर्थन के बावजूद अपनी हार स्वीकार करनी पड़ रही है।

हिज़्बुल्लाह के जाल में पूरी तरह से फंस गया इस्राईल, हिज़्बुल्लाह ने बढ़ाई डोज़, सिर जोड़कर बैठे इस्राईली

एक इस्राईली विश्लेषक का कहना है कि इस्राईल अब लेबनानी प्रतिरोध के जाल में फंस चुका है। उनका कहना है कि हिज़्बुल्लाह लगातार अपने हमले सीमा बढ़ा रहा है और भविष्य में होने वाले बड़े पैमाने पर युद्ध में उसका पलड़ा भारी रहेगा।

इस्राईली मीडिया ने यह स्वीकार किया था कि इस्राईल का आयरन डोम सिस्टम हिज़्बुल्लाह की लंबी दूरी की मिसाइलों को रोकने में सक्षम नहीं है क्योंकि इन मीसाइलों ने हाल ही में महत्वपूर्ण मरून बेस को निशाना बनाया था।

इस बड़ी घटना पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए एक इस्राईली विश्लेषक ने स्वीकार किया कि बड़ी जंग होने पर युद्ध में हिजबुल्लाह का पलड़ा भारी रहेगा।

ज़ायोनी शासन के चैनल 13 पर अरब मामलों के विश्लेषक त्सीवी येहज़ेकली ने कहा कि हिज़्बुल्लाह ने इस्राईल को बड़ा झटका देने के लिए तैयारी के स्तर को आगे बढ़ा दिया है और अपने हमलों का दायरा इस्राईल के एयर कंट्रोल अड्डे पर हमले तक बढ़ा दिया है।

उन्होंने कहा कि हमें ध्यान देना चाहिए कि बड़े पैमाने पर युद्ध में भी, लंबी दूरी के हमलों को अंजाम देने में हिज़बुल्लाह का पलड़ा भारी रहेगा, चाहे सालेह अल-आरूरी की हत्या के जवाब में या अन्य कारणों से, हम अब एक जाल में फंस चुके हैं, क्योंकि इस्राईल 3 महीने से ज्यादा समय से नियंत्रित तरीके से युद्ध का नेतृत्व कर रहा है, लेकिन हिज़बुल्लाह ने लगातार अपने हमलों का दायरा बढ़ाया है।

इस ज़ायोनी विश्लेषक ने कहा कि आज हम उत्तरी मोर्चे पर युद्ध का बाज़ार गर्म देख रहे हैं और हिज़्बुल्लाह के महासचिव सैयद हसन नसरुल्लाह इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि वह इतने शक्तिशाली हैं कि वह इस्राईल को एक ख़तरनाक जाल में फंसा सकते हैं और हमेशा की तरह अपना पलड़ा भारी रख सकते हैं। इस्राईली विश्लेषक का कहना है कि नसरुल्लाह ने बारम्बार इस बात पर ज़ोर दिया है कि इस्राईल युद्ध नहीं चाह रहा है क्योंकि वह युद्ध से डरता है।

ज़ायोनी टीवी चैनल 14 के सैन्य मामलों के विश्लेषक नोआम अमीर ने भी इस संदर्भ में कहा कि इस्राईली सेना मरून रणनीतिक अड्डे पर हिज़्बुल्लाह के हमले के बाद हुए नुकसान को छिपाने की कोशिश कर रही है।

शनिवार को लेबनान के इस्लामी प्रतिरोध आंदोलन हिज़्बुल्लाह ने एक बयान में कहा कि उसने ज़ायोनी शासन के दो मुख्य सैन्य अड्डों में से एक को जिसे “मरून” कहा जाता है, विभिन्न प्रकार के 60 से अधिक रॉकेटों से निशाना बनाया है। इस्राईल का यह रणनीतिक सैन्य अड्डा अल-जर्मक पहाड़ पर स्थित है।

इस ऊंचे पर्वत को अवैध अधिकृत फ़िलिस्तीन में ज़ायोनी शासन का सबसे महत्वपूर्ण रणनीतिक केंद्र माना जाता है और यह उत्तरी मोर्चे पर इस्राईल का मुख्य सुरक्षा और सैन्य कमांड सेंटर है, खासकर प्रतिरोध के साथ हालिया युद्ध के दौरान इसका महत्व बहुत ज़्यादा है।

9 इस्राईली अफ़सर और 2 सैनिक मारे गये

जायोनी सूत्रों ने बताया है कि गत 24 घंटों के दौरान गज्जा पट्टी में अलग- अलग हमलों में 9 इस्राईली असफर और 2 सैनिक मारे गये हैं जबकि कई घायल हुए हैं।

समाचार एजेन्सी फार्स की रिपोर्ट के अनुसार हमास की सैनिक शाखा इज़्ज़ुद्दीन क़स्साम ने बताया है कि कल उसने खान युनुस में एक स्कूल के अंदर बम विस्फोट कर दिया जिससे कई जायोनी सैनिक हताहत व घायल हो गये। जायोनी सूत्रों की स्वीकारोक्ति के अनुसार गज्जा युद्ध के आरंभ से लेकर कल का दिन इस्राईली सेना के लिए बहुत सख्त दिन था।

जायोनी सूत्रों के अनुसार एक विस्फोट सैन्य संसाधनों से लदे ट्रक में हुआ और इस हमले में कई सैनिक हताहत व घायल हो गये। इसी प्रकार जायोनी सूत्रों ने बताया है कि दूसरा हमला गज्जा पट्टी के दक्षिण में मार्टर गोले से एक इमारत पर किया गया और यह इमारत जायोनी सैनिकों के छिपने का स्थान था।

कुछ जायोनी सूत्रों ने सूचना दी है कि हार्ट अटैक होने से इस्राईल की गोलान बटालियन के एक सैनिक की मौत हो गयी। कहा जा रहा है कि गज्जा पट्टी से लौटने के बाद जब उसने देखा कि उसके साथी मारे जा चुके हैं तो उसे हार्टअटैक हो गया।

इसी प्रकार जायोनी सूत्रों ने बताया है कि प्रसिद्ध जायोनी हीरो और गायक आइदान आमेदी गज्जा पट्टी के अंदर घायल हो गया था और उसकी हालत चिंताजनक है। हमास की सैनिक शाखा इज्जुद्दीन कस्साम ने एलान किया है कि इस्राईल के विशेष सैनिकों ने गज्जा में अपने एक बंधक को आज़ाद कराने का प्रयास किया परंतु उनका यह प्रयास विफल रहा।

इसी प्रकार इज़्ज़ुद्दीन कस्साम ने कहा कि जायोनी सैनिकों ने जिस जगह पर अंदाज़ा हुआ कि वहां पर एक बंधक को रखा गया है तो वे वहां पर पहुंचे परंतु इज़्ज़ुद्दीन कस्साम के संघर्षकर्ताओं से जायोनी सैनिकों की झड़प हो गयी जिसके परिणाम स्वरुप जायोनी सैनिक हताहत व घायल हो गये। इस रिपोर्ट के अनुसार जायोनी सैनिकों के सैन्य संसाधनों को माले ग़नीमत के रूप में ले लिया गया।

ज्ञात रहे कि जायोनी सरकार के पाश्विक हमलों में शहीद होने वाले फिलिस्तीनियों की संख्या 23 हज़ार से अधिक हो चुकी है।