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“नाजुक डोर…..!!पार्ट-1!!
लक्ष्मी कान्त पाण्डेय ============ “नाजुक डोर…..!! मां…..बस अब बहुत हुआ …मैंने फैसला कर लिया है मुझे मोहनजी के साथ नहीं रहना बस…!! सुधा…. पागलों जैसी बातें मत कर …ये क्या पागलपन है अच्छा खासा परिवार बन रहा है तेरा मोहन एक अच्छा लडका है और तेरी एक बेटी भी है तू कैसे भूल सकती है […]
दुःख सबके एक जैसे नहीं होते है…किसी के बहुत “छोटे” तो किसी के बहुत “बड़े” होते है!
वाया : कामसूत्र – स्वामी देव द्वितीय ============== · “चरित्रहीन – एक यात्रा वैश्यालय की” यौवन के मद में अनियंत्रित, सागर में खो जाने को आज चला था पैसो से मैं यौवन का सुख पाने को दिल की धड़कन भी थिरक रही थी यौवन के मोहक बाजे पे अरमानों के साथ मैं पंहुचा उस तड़ीता […]
”औकात में रहना”
Laxmi Kumawat ============ * पत्नी को दूसरों के सामने बेइज्जत करके कौन सा सम्मान मिल जाता है * ” निधि तुम भी कहाँ जरा सी बात लेकर बैठ गई। कम से कम तुम तो समझो। अगर मैं ऐसा ना कहता तो लोग मुझे जोरु का गुलाम समझने लगेंगे। आखिर मुझे भी तो अपने परिवार के […]