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हिंडनबर्ग की दूसरी रिपोर्ट आने के बाद अदाणी समूह के शेयरों में भारी गिरावट, निवेशकों को 53000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ!

अमेरिकी शॉर्टसेलर हिंडनबर्ग रिसर्च की ओर से अदाणी प्रकरण में सीधे सेबी के चेयरमैन माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल पुरी पर आरोप लगाने के बाद अदाणी समूह के शेयरों को बड़ा नुकसान उठाना पड़ा। शुरुआती कारोबार में अदाणी समूह से जुड़ी कंपनियों के शेयर 17% तक गिर गए। इस गिरावट से निवेशकों को करीब 53000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। इस बिकवाली से अदाणी समूह के 10 शेयरों का संयुक्त बाजार पूंजीकरण यानी मार्केट कैप घटकर 16.7 लाख करोड़ रुपये हो गए। हालांकि, यह बिकवाली ज्यादा देर नहीं चली और धीरे-धीरे खरीदार लौटने लगे, जिससे प्रमुख बेंचमार्क इंडेक्स हरे निशान पर लौट गए।

बीएसई सेंसेक्स पर सूचीबद्ध अदाणी एनर्जी सॉल्यूशंस में 17 प्रतिशत, अदाणी टोटल गैस में 13.39 प्रतिशत, एनडीटीवी में 11 प्रतिशत और अदाणी पावर में 10.94 प्रतिशत की गिरावट आई। अदाणी ग्रीन एनर्जी के शेयरों में 6.96 प्रतिशत, अदाणी विल्मर में 6.49 प्रतिशत, अदाणी एंटरप्राइजेज में 5.43 प्रतिशत, अदाणी पोर्ट्स में 4.95 प्रतिशत, अंबुजा सीमेंट्स में 2.53 प्रतिशत और एसीसी में 2.42 प्रतिशत की गिरावट आई।

हालांकि हिंडनबर्ग रिसर्च ने अदाणी समूह के खिलाफ फिलहाल कोई नया आरोप नहीं लगाया है लेकिन इस बार जिस मामले में शॉर्ट सेलर ने सेबी प्रमुख को घेरा है वह भी अदाणी से ही जुड़ा है। हिंडनबर्ग ने शनिवार देर रात जारी अपनी नई रिपोर्ट में कहा था कि बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) की चेयरपर्सन बुच और उनके पति धबल बुच ने बरमूडा तथा मॉरीशस में अस्पष्ट विदेशी कोषों में अघोषित निवेश किया था। उसने कहा कि ये वही कोष हैं जिनका कथित तौर पर विनोद अदाणी ने पैसों की हेराफेरी करने तथा समूह की कंपनियों के शेयरों की कीमतें बढ़ाने के लिए इस्तेमाल किया था। विनोद अदाणी, अदाणी समूह के चेयरपर्सन गौतम अदाणी के बड़े भाई हैं।

आरोपों के जवाब में बुच दंपति ने रविवार को एक संयुक्त बयान में कहा कि ये निवेश 2015 में किए गए थे, जो 2017 में सेबी के पूर्णकालिक सदस्य के रूप में उनकी नियुक्ति तथा मार्च 2022 में चेयरपर्सन के रूप में उनकी पदोन्नति से काफी पहले का समय है। ये निवेश “सिंगापुर में रहने के दौरान निजी तौर पर आम नागरिक की हैसियत से” किए गए थे। सेबी में उनकी नियुक्ति के बाद ये कोष “निष्क्रिय” हो गए।