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हाथियों की दुनिया में अभिवादन कैसे होता है, रिसर्च रिपोर्ट

हेलो कह कर हाथ मिलाने से लेकर साष्टांग प्रणाम, चुंबन, आलिंगन ऐसी ना जाने कितने शाब्दिक और शारीरिक हरकतों से अभिवादन के तरीके इंसानों ने निकाले हैं, लेकिन हाथियों के अभिवादन के आगे यह कुछ भी नहीं.

हाथियों की दुनिया में अभिवादन थोड़ा गहरा और ज्यादा जानकारियों से भरा होता है. अफ्रीका के सवाना हाथियों पर की गई एक स्टडी के बाद रिसर्चरों ने दावा किया है कि वे अभिवादन में दृश्य, ध्वनि और स्पर्श का इस्तेमाल करते हैं. इतना ही नहीं, इसमें एक दूसरे को ढूंढ़ने जैसी भावनाओं और उनके लिंग का भी असर दिखाई देता है.

ऑस्ट्रिया की वियना यूनिवर्सिटी की जीवविज्ञानी वेस्टा एलॉटेरी ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स को बताया कि हाथियों का समाज ऐसा है जिसमें वे अकसर घंटों, दिनों और महीनों के लिए मिलते बिछड़ते रहते हैं. एलॉटेरी कम्युनिकेशंस बायोलॉजी जर्नल में छपी रिपोर्ट की प्रमुख लेखक हैं.

अभिवादन का समारोह
हाथी धरती पर रहने वाले प्राणियों में सबसे विशाल हैं. वे बेहद बुद्धिमान, अच्छी याददाश्त, समस्या सुलझाने में कुशल और उन्नत संचार की क्षमता से लैस होते हैं. अलग अलग गुटों की मादा हाथियों का आपस में एक अलग तरह का सामाजिक जुड़ाव होता है. एलॉटेरी के मुताबिक पहले के कुछ शोधों ने बताया है कि जब यह समूह आपस में मिलते हैं तो बड़े भव्य तरीके से अभिवादन का समारोह होता है. इसका मकसद अपना प्रचार और सामाजिक जुड़ाव को मजबूत करना होता है.

नर हाथियों का सामाजिक जुड़ाव थोड़ा कमजोर होता है और ऐसे में उनका अभिवादन जोखिम भरी मुलाकातों की आशंका को दूर करने में भी काम करता है. मतलब कि आपस में मिलने पर झगड़ों की आशंका को दूर करने के लिए नर हाथी अभिवादन का सहारा लेते हैं. एलेटॉरी ने बताया कि वह मुख्य रूप से एक दूसरे को सूंड के जरिए स्पर्श करते हैं और सूंघते हुए अपनी सदिच्छा जाहिर करते हैं.

रिसर्च रिपोर्ट में 20 तरह के हाव भाव और हरकतों का ब्यौरा है जो अभिवादन के दौरान किए जाते हैं. ये दिखाते हैं कि हाथी इन्हें अलग अलग तरह की पुकारों में जोड़ कर इस्तेमाल करते हैं मसलन दहाड़ना, गरजना और चिंघाड़ना. स्टडी में यह भी बताया गया है कि गंध अभिवादन में कैसे भूमिका निभाती है. यह गंध अकसर पेशाब, मल और हाथियों की एक खास ग्रंथि से निकलती है.

खुद को कैसे दिखाते हैं हाथी
हाथी अभिवादन के दौरान खुद को दिखाने के लिए अपने कान फैला सकते हैं या अपनी पूंछ दिखाते हैं. अभिवादन के लिए वह कानों को आगे की तरफ ले जा कर थपथपी जैसी आवाज भी पैदा करते हैं या दूसरे हाथियो को स्पर्श करते हैं.

एलॉटेरी ने बताया, “हमें पता चला कि वे दृश्य, ध्वनि या स्पर्श का इस्तेमाल यह देख कर करते हैं कि उनका साथी उनकी तरफ देख रहा है या नहीं. इससे पता चलता है कि वे दूसरों के जरिए देखे जाने की प्रवृत्ति से वाकिफ हैं. वे दिखाई देने वाली हरकतों का इस्तेमाल तब करना पसंद करते हैं जब उनका साथी उनकी ओर देख रहा हो, और जब ऐसा नहीं होता तो वो स्पर्श का सहारा लेते हैं.”

नई रिसर्च हाथियों में अभिवादन के व्यवहार पर हुई पुरानी रिसर्चों पर ही आधारित है. 9 हाथियों की इस दौरान निगरानी की गई. इनमें चार मादाएं और पांच नर थे. इन्हें दिन में उनके प्राकृतिक आवास में रहने के लिए छोड़ दिया जाता और रात में अस्तबलों में रखा जाता.

मादा हाथी का अभिवादन जंगल में रहने वाले हाथियों के व्यवहार से बिल्कुल मेल खाता नजर आया. दूसरी तरफ नर हाथियों का व्यवहार जंगली हाथियों से अलग था. जंगली नर हाथी अकेले रहना ज्यादा पसंद करते हैं और दूसरे हाथियों से कम ही संपर्क और संबंध रखते हैं.

हाथियों में गंध का खेल
हाथियों की आंख और कान के मध्य में टेंपोरल ग्लैंड होता है. इससे टेंपोरिन निकलती है जिसमें हाथियों की पहचान या भावनात्मक और यौन अवस्था की रासायनिक जानकारी होती है. हाथी अकसर अपनी सूंड का इस्तेमाल कर दूसरे हाथियों की टेंपोरल ग्लैंड का जायजा लेते हैं.

एलॉटेरी ने बताया कि मूत्र और मल में भी ऐसे रसायन होते हैं जो हाथियों से जुड़ी अहम जानकारकी देते हैं, जैसे कि हाथी की पहचान, उनके प्रजनन की अवस्था और यहां तक कि उनकी भावनात्मक स्थिति.

उन्होंने कहा, “हाथी अभिवादन के दौरान मूत्र या मल का त्याग भी कर सकते हैं ताकि जरूरी जानकारी दी जा सके. दूसरी संभावना यह है कि वे एक दूसरे को देखने के बाद उत्तेजना के आवेग में ऐसा करते हैं. हालांकि हाथी अकसर इस दौरान अपनी पूंछ हिलाते हैं. यह संभवतया सामने वाले को इसे सूंघने के लिए निमंत्रण देना होता है. शायद उन्हें यह बताने की जरूरत नहीं है कि वे कैसे हैं, गंध से ही पता चल जाएगा.”

लकड़बग्घे, कुत्ते और इस तरह कई और जीवों में अभिवादन पर शोध किया गया है. अभिवादन तनाव घटाने या फिर झगड़ों को टालने और सामाजिक बंधनों पर फिर से मुहर लगाने के लिए इस्तेमाल होता है.

एनआर/वीके (रॉयटर्स)