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हाई कोर्ट के रिटायर्ड जज ने केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजीजू को नसीहत दी, वह उनके कंधों पर बंदूक रखकर नहीं चलाएं!

नई दिल्‍ली: दिल्‍ली हाई कोर्ट के रिटायर्ड जज आरएस सोढ़ी (Delhi High Court Retired Judge RS Sodhi) ने सरकार और न्‍यायपालिका के रार पर फिर बोला है। उन्‍होंने केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजीजू (Kiren Rijiju) को सलाह दी है कि वह उनके कंधों पर बंदूक रखकर नहीं चलाएं। कलीजियम के जरिये जजों की नियुक्ति के मामले पर सोढ़ी ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट ने संविधान को हाईजैक कर लिया है। उनके इस बयान का हवाला दिया जा रहा है। केंद्रीय कानून मंत्री ने आरएस सोढ़ी के इस बयान को शेयर किया था। इसी के बाद रिटायर्ड जज ने नसीहत दी है। वह यह भी बोले हैं कि सरकार और न्‍यायपालिका के बीच ऐसी तू-तू मैं-मैं शोभा नहीं देती है।

आरएस सोढ़ी ने केंद्रीय कानून मंत्री को धन्‍यवाद किया कि उन्‍होंने इस मुद्दे को उठाया। उन्‍होंने सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के जजों की नियुक्ति के लिए सेक्रेटेरियट की जरूरत बताई है। न्‍यूज चैनल एनडीटीवी से बात करते हुए सोढ़ी बोले- ‘मैं कानून मंत्री को धन्‍यवाद देता हूं कि उन्‍होंने इस मुद्दे को उठाया। लेकिन, मैं राजनीतिक व्‍यक्ति नहीं हूं। मेरे कंधे पर बंदूक रखकर नहीं चलानी चाहिए। यह मेरी निजी राय है कि कलीजियम सिस्‍टम असंवैधानिक है। हाईकोर्ट और सुप्रीम में एक सचिवालय होना चाहिए

पूर्व जज ने दी नसीहत
सोढ़ी बोले, ‘यह कैसे मुमकिन है कि कुछ जज मिलकर जजों की नियुक्ति करें? दो या तीन जज एक साथ कैसे फैसला ले सकते हैं? कॉलेजियम सिस्‍टम नाकाम है।’ यह और बात है कि उन्होंने जजों की नियुक्ति के मामले में संवैधानिक निकायों को सार्वजनिक आलोचना से बचने की नसीहत दी है। केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने इसके पहले कलीजियम विवाद पर दिल्ली हाईकोर्ट के पूर्व जस्टिस आरएस सोढ़ी के बयान को शेयर किया था। उन्‍होंने लिखा था कि यही सबसे समझदारी वाला नजरिया है।

क्‍या बोले थे आरएस सोढ़ी
न्‍यायापालिका, कार्यपालिका और विधायिका को लेकर जारी बहस के बीच सोढ़ी ने कहा था कि कानून बनाने में संसद सर्वोच्‍च है। लेकिन, सुप्रीम कोर्ट कानून को परख सकता है। सरकार के बजाय खुद जजों की नियुक्ति करने का मतलब यह है कि सुप्रीम कोर्ट ने संविधान को हाईजैक किया है। जस्टिस सोढ़ी के इंटरव्‍यू की क्लिप पोस्‍ट करते हुए किरेन रिजीजू ने लिखा था कि ज्‍यादातर लोगों का यही नजरिया है। ये सिर्फ वो लोग हैं जो संविधान के प्रावधान का असम्‍मान करते हैं जिन्‍हें लगता है कि वो संविधान से ऊपर हैं।