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हल्दी की गांठ को बो दिया जाय तो…

अरूणिमा सिंह
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अब तो हर घर में हल्दी पाउडर का उपयोग होने लगा है!
घर के आस-पास खाली भूमि पर यदि इन हल्दी की गांठ को बो दिया जाय तो कुछ महीने में अच्छी खासी हल्दी मिल जाती है।

कच्ची हल्दी में रंग हल्का आता है इसलिए कच्ची हल्दी का जब सब्जी इत्यादि के मसाले में उपयोग करे तो थोड़ी ज्यादा पीसकर डालिए।

हमारी तरफ दाल और सब्जी का मसाला सिलबट्टे पर पीसकर डाला जाता है और पाउडर मसाले का उपयोग कम या न के बराबर होता है।

घर के लहसुन, हल्दी,धनिया के बीज, लाल सूखी या हरी मिर्च रोजाना की सब्जी के मसाले होते हैं। यदि कोई विशेष सब्जी बन रही है तो उसमें गर्म मसाले अतिरिक्त के रूप में शामिल हो जाते हैं।

हल्दी, लहसुन, मिर्च पीसकर अरहर की दाल में डाला जाता है ये दाल का मसाला होता है।

हमारे घर पर जब हल्दी में गांठ पड़ जाती है और रंग आ जाता है तभी से हल्दी का मसाला पीसने में उपयोग होने लगता है।
जब हल्दी की गांठ पक जाती है तब सारी हल्दी को खोदकर उनकी गांठ अलग करके धोकर उबाल कर सुखाकर वर्ष के उपयोग के लिए संरक्षित कर लिया जाता है ।

राजस्थान की तरफ़ कच्ची हल्दी की सब्जी खूब खाई जाती है और इसे शाही सब्जी का दर्जा प्राप्त है।
विवाह इत्यादि के कार्यक्रम में घर की हल्दी को ही उखल या इमाम दस्ते में कूट कर पाउडर बना कर रख लेते हैं और भोजन बनाते समय उपयोग करते हैं।

हमारी तरफ विवाह के समय सबको हल्दी की गांठ भिजवा कर ही निमंत्रित किया जाता था। निमन्त्रण कार्ड का प्रचलन नहीं था।

विवाह में हल्दी की रस्म में घर की हल्दी के पेस्ट को मल मल कर वर वधु को लगाया जाता था ताकि उनका रंग निखर जाए विवाह के दिन सुन्दर रूप आए। तब पार्लर का प्रचलन कम था। अब हल्दी की रस्म औपचारिकता मात्र रह गयी है क्योंकि पहले से ही पार्लर से लिया गया महंगा ट्रीटमेंट खराब हो जाने का डर रहता है।

हल्दी, अदरक, अम्बा या आमा हल्दी, कचूर ये सब एक ही परिवार के अलग अलग सदस्य हैं।

तस्वीर फेसबुक साभार

अरूणिमा सिंह