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मूँगफली के छिलके : मुकेश कुमार की रचना
Kumar Mukesh · ============= · मूँगफली के छिलके : ————— संतोष रोज़ शाम की तरह आज भी टहल कर वापस आया और टीवी वाले रुम में रखे टेबल पर बैठ गया. छोटा भाई और संतोष की बेटी टीवी देख रहे हैं. दोनों टीवी देखने में इतने मशगूल हैं की ध्यान ही नहीं दिया. संतोष की […]
#कहानी- घंटी….@संगीता की कलम से
सवेरा होते ही दीप्ति की बंधी-बंधाई दिनचर्या आरंभ हो गई थी. कई बार उसे लगता था, न कभी सूरज उगना छोड़ेगा और न कभी उसकी दिनचर्या बदलेगी. वही फे्रश होकर पति और बेटे का पहले नाश्ता, फिर टिफिन तैयार करना. बीच में मांजी को बैठाकर चाय पकड़ाना और ख़ुद की ठंडी हो चुकी चाय को […]
सह चुके हैं कई हम भी दुशवारियाँ, मुशकिलें तुम भी थोड़ी गवारा करो
Sunita Devi ============= जी रहे हैं सनम हम तुम्हारे लिए मर भी जायेंगे गर तुम इशारा करो सह चुके हैं कई हम भी दुशवारियाँ मुशकिलें तुम भी थोड़ी गँवारा करो तुम अकेले नहीं जो परेशान हो हर कोई दर्द ए दिल का है मारा हुआ जिन्दगी में किसी को मिला सब नहीं हर कोई बस […]