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हर कोई नौकरी के पीछे भाग रहा है, सरकारी नौकरियां मात्र 10 फ़ीसदी के आसपास ही हैं : मोहन भागवत

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने रविवार को मुंबई के सिद्धिविनायक मंदिर में पूजा-अर्चना की। इस दौरान भागवत ने कहा, काशी का मंदिर टूटने के बाद छत्रपति शिवाजी महाराज ने औरंगजेब को खत लिखकर कहा था कि हिंदू-मुस्लमान सब एक ही ईश्वर के बच्चे हैं। आपके राज में एक के ऊपर एक अत्याचार हो रहा है, वह गलत है। सबका सम्मान करना आपका कर्तव्य है। अगर यह नहीं रुकी तो तलवार से इसका जवाब दूंगा।

संघ प्रमुख ने कहा, हमारी समाज के प्रति जिम्मेदारी भी है। जब हर काम समाज के लिए है, तो कोई कोई ऊंचा, कोई नीचा या कोई अलग कैसे हो गया? भगवान ने हमेशा बोला है कि मेरे लिए सभी एक हैं, उनमें कोई जाति, वर्ण नहीं हैं, लेकिन पंडितों ने श्रेणी बनाई, वो गलत था।

उन्होंने आगे कहा, संत रविदास ने कहा कर्म करो, धर्म के अनुसार कर्म करो। पूरे समाज को जोड़ो, समाज में उन्नति के लिए काम करना यही धर्म है। सिर्फ अपने बारे में सोचना और पेट भरना ही धर्म नहीं है और यही वजह है कि समाज के बड़े-बड़े लोग संत रविदास के भक्त बनें।

भागवत ने कहा कि लोग चाहे किसी भी तरह का काम करें, उसका सम्मान होना चाहिए। श्रम के लिए सम्मान की कमी बेरोजगारी के कारणों में से एक है। कार्य के लिए चाहे शारीरिक श्रम की आवश्यकता हो या बुद्धि की, चाहे उसके लिए कड़ी मेहनत की आवश्यकता हो या सॉफ्ट स्किल्स की – सभी का सम्मान किया जाना चाहिए।

उन्होंने कहा कि हर कोई नौकरी के पीछे भाग रहा है। सरकारी नौकरियां मात्र 10 फीसदी के आसपास ही हैं जबकि अन्य नौकरियां करीब 20 फीसदी हैं। दुनिया का कोई भी समाज 30 फीसदी से अधिक रोजगार पैदा नहीं कर सकता है। उन्होंने कहा कि जिस काम कठिन परिश्रम की आवश्यकता होती है, उसका सम्मान नहीं किया जाता है।

उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि कप और बर्तन धोने वाले एक व्यक्ति ने थोड़ी जमापूंजी से पान की एक दुकान खोली और उसने लगभग 28 लाख रुपये की संपत्ति अर्जित की लेकिन इसके बावजूद हमारे नौजवान नियोक्ता से कोई जवाब न मिलने पर भी नौकरी के लिए आवेदन करते रहते हैं। संघ प्रमुख ने कहा कि देश में ऐसे बहुत से किसान हैं जो खेती से अच्छी खासी आय अर्जित करने के बावजूद शादी करने के लिए संघर्ष करते हैं।

दुनिया में हालात देश के विश्वगुरु बनने के अनुकूल
उन्होंने कहा कि दुनिया में हालात देश के विश्वगुरु बनने के अनुकूल है। देश में कौशल की कमी नहीं है लेकिन हम दुनिया में प्रमुखता हासिल करने के बाद अन्य देशों की तरह नहीं होने जा रहे हैं। देश में इस्लामी आक्रमण से पहले अन्य आक्रमणकारियों ने हमारी जीवन शैली, हमारी परंपराओं और हमारे विचारों को अस्तव्यस्त नहीं किया। इस्लामी आक्रमणकारियों के पास तार्किक तर्क थे। पहले उन्होंने अपने पराक्रम से हमें हराया और फिर हमें मानसिक रूप से दबाया। उन्होंने कहा कि अपने स्वार्थ के कारण हमने आक्रमणकारियों को खुद पर आक्रमण करने का मार्ग प्रशस्त किया। स्वार्थ हमारे समाज में हावी हो गया और हमने दूसरे लोगों और उनके काम को महत्व देना बंद कर दिया।

छुआछूत से परेशान होकर आंबेडकर ने छोड़ा था हिंदू धर्म
भागवत ने कहा कि डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर जैसे प्रसिद्ध लोगों और संतों ने समाज में व्याप्त छुआछूत का विरोध किया था। छुआछूत से परेशान होकर डॉ आंबेडकर ने हिंदू धर्म छोड़ दिया था लेकिन उन्होंने किसी अन्य अनुचित धर्म को नहीं अपनाया और गौतम बुद्ध के दिखाए मार्ग को चुना। उनकी शिक्षाएं भी भारत की सोच में शामिल हैं।