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हमास ने इज़राइल की फ़्रंट लाइन को पंगु बना दिया, हमास एक ब्लैक बॉक्स की तरह था जिसके बारे में तेल अवीव को ज़्यादा जानकारी नहीं थी : रिपोर्ट

एक ज़ायोनी विश्लेषक ने फिलिस्तीन के इस्लामी प्रतिरोध आंदोलन (हमास) और इस आंदोलन के राजनीतिक ब्यूरो के प्रमुख शहीद यहिया अल-सिनवार से निपटने में तेल अवीव की असमर्थता की बात स्वीकार की है।

ज़ायोनी टीवी चैनल 14 के सैन्य मामलों के विश्लेषक नोआम अमीर ने कहा: हम एक दशक तक अंधे थे जबकि हमास इज़राइली सेना को सबसे बड़ी हार देने का मार्ग प्रशस्त कर रहा था।

पार्सटुडे के अनुसार, इस इज़राइली विश्लेषक ने कहा कि 7 अक्टूबर के “तूफ़ान अल-अक़्सा ऑपरेशन” की विफलता के संबंध में इस शासन की सेना द्वारा किया गया शोध और जिसके कुछ हिस्से हाल ही में प्रकाशित हुए थे, वह इज़राइल को हुई भयानक हार का एक छोटा सा नमूना है।

हमास ने इज़राइल की फ़्रंट लाइन को पंगु बना दिया

हिब्रू अखबार “हारेत्ज़” के एक सैन्य विशेषज्ञ “आमूस हेराइल” के विश्लेषण से पता चलता है कि 7 अक्टूबर, 2023 को फिलिस्तीनी प्रतिरोध के ” तूफ़ान अल-अक्सा” ऑपरेशन के जवाब में इज़रायली सेना को विनाशकारी विफलताओं का सामना करना पड़ा है। 7 अक्टूबर को हमास के ऑपरेशन्ज़ के सामने इज़राइल की रक्षा पंक्ति के पतन को स्वीकार करते हुए, “हेराइल” ने बताया कि हमास ने सीमाओं पर इजराइली सेना की तैयारी की कमी का फायदा उठाया। उनके अनुसार, एक साथ हुए हमलों ने शुरुआती घंटों में इज़राइल की रक्षा इकाइयों की क्षमता को पंगु बना दिया और इज़राइल की बस्तियों और सैन्य स्थलों को हमले का जवाब देने के लिए प्रशिक्षित बलों की कमी का सामना करना पड़ा।

इज़राइल के अनुसार, हमास एक “ब्लैक बॉक्स” था।

जॉर्डन के सैन्य और सामरिक मामलों के वरिष्ठ विश्लेषक “फ़ाएज़ अल-दुवैरी” ने “तूफ़ान अल-अक्सा” ऑपरेशन के बारे में ज़ायोनी शासन की सेना की हालिया जांच पड़ताल के परिणाम का जिक्र करते हुए कहा कि इस शासन के अनुसार, हमास एक ब्लैक बॉक्स की तरह था जिसके बारे में तेल अवीव को ज्यादा जानकारी नहीं थी। जॉर्डन के इस विश्लेषक ने कहा: 7 अक्टूबर के ऑपरेशन के बारे में इज़राइली सेना द्वारा की गई जांच से पता चला कि हमास रणनीतिक, आप्रेश्नल और सामरिक स्तरों पर क़ब्ज़ाधारी सेना को धोखा देने में सफल रहा जो उल्लेखित तीन क्षेत्रों में ज़ायोनी शासन की विफलता को ज़ाहिर करता है।

ग़ज़ा युद्ध में इज़राइल की सुरक्षा अवधारणाओं ने अपना अर्थ खो दिया

ज़ायोनी अख़बार मआरिव के सैन्य विश्लेषक एलोन बेन डेविड ने भी इस बात पर ज़ोर दिया कि ज़ायोनी शासन की सुरक्षा अवधारणाओं ने ग़ज़ापट्टी के खिलाफ 15 महीने के युद्ध में अपना अर्थ ही खो दिया। उन्होंने आगे कहा, शोध से पता चला है कि हमारे ख़ुफ़ियाकर्मियों और हमास के बीच एक बड़ा सांस्कृतिक अंतर है, इस तरह कि हमास के अधिकारियों के बीच 80 प्रतिशत बातचीत कुरआन की आयतों पर आधारित होती है।

प्रतिरोध के हथियार पर कोई समझौता नहीं : हमास

पार्सटुडे- फ़िलिस्तीन के इस्लामिक प्रतिरोध आंदोलन (हमास) के एक सीनियर नेता का कहना है कि अतिग्रहणकारी ज़ायोनी शासन घेराबंदी और भुखमरी जैसी आपराधिक कार्रवाइयों के साथ फ़िलिस्तीनियों से फिरौती लेता है। उनका कहना था: प्रतिरोध के हथियारों पर बातचीत और समझौता नहीं किया जा सकता है और ज़ायोनी क़ैदियों को केवल एक समझौते के तहत ही रिहा किया जाता है।

ज़ायोनी शासन ने युद्धविराम और अपने कैदियों की रिहाई के मामले में हमास को ब्लैकमेल करने के उद्देश्य से, युद्ध रोकने की कोई गारंटी दिए बिना ही, ग़ज़ापट्टी में नागरिकों के खिलाफ एक नई आपराधिक कार्रवाई अंजाम दी और सभी क्रॉसिंग बंद कर दी है और मानवीय सहायता को इस क्षेत्र में दाख़िल होने से रोक दिया है। हमास के एक नेता सामी अबू ज़ोहरी ने घोषणा की कि ज़ायोनियों के कार्य युद्ध अपराध हैं।

पार्सटुडे की रिपोर्ट के अनुसार, अबू ज़ोहरी ने मंगलवार को इस बात पर जोर दिया: प्रतिरोध का हथियार हमारी रेड लाइन है और किसी भी बातचीत या वार्ता में इस पर चर्चा नहीं की जा सकती है।

10 दिनों के भीतर ग़ज़ा पर ज़ायोनी हमले फिर से शुरू

इस बारे में ज़ायोनी शासन के चैनल 12 ने मंगलवार को बताया कि अगर क़ैदियों की रिहाई के लिए हमास आंदोलन के साथ कोई समझौता नहीं हुआ तो इज़राइल 10 दिनों में ग़ज़ापट्टी के खिलाफ हमले फिर से शुरू कर देगा।

हमास: हम विदेशी शक्तियों को ग़ज़ा के प्रशासन में हस्तक्षेप की इजाज़त नहीं देंगे

ज़ायोनी शासन की धमकी के साए में फ़िलिस्तीन के इस्लामिक प्रतिरोध आंदोलन (हमास) के प्रवक्ता हाज़िम क़ासिम ने मंगलवार को एक बयान में घोषणा की कि ग़ज़ा के भविष्य के लिए कोई भी योजना एक राष्ट्रीय समझौते के माध्यम से बनाई जानी चाहिए और यह आंदोलन किसी भी विदेशी शक्ति को हस्तक्षेप करने की अनुमति नहीं देगा।

यह बयान ऐसी स्थिति में सामने आया है कि जब कल मंगलवार को मिस्र में अरब देशों के प्रमुखों की आपातकालीन बैठक हुई जिसे “फिलिस्तीनी शिखर सम्मेलन” का नाम दिया गया। इस बैठक अरब देशों के प्रमुखों ने फिलिस्तीनियों के जबरन प्रवास के विरोध और ग़ज़ापट्टी के पुनर्निर्माण और एक प्रशासन के तहत ग़ज़ा और वेस्ट बैंक के संरक्षण के समर्थन पर ज़ोर दिया।

अरब शिखर सम्मेलन के फैसले आगे की चुनौतियों का जवाब नहीं दे सकते: फिलिस्तीन का जेहादे इस्लामी आंदोलन

इस संदर्भ में, फ़िलिस्तीन के इस्लामी जिहाद ने क़ाहिरा में अरब राष्ट्राध्यक्षों की आपातकालीन बैठक के घोषणापत्र को सकारात्मक क़रार दिया लेकिन साथ ही इस बात पर ज़ोर दिया कि ये निर्णय उन चुनौतियों का जवाब नहीं देते हैं जो ज़ायोनी शासन और अमेरिका ने फ़िलिस्तीनी जनता और अरब देशों पर थोपी हैं।

ग़ज़ा में शहीदों की संख्या में वृद्धि

जैसे ही ग़ज़ापट्टी के विभिन्न क्षेत्रों में अन्य कई शहीदों के शव मलबे से निकाले गए, 7 अक्टूबर, 2023 से इस क्षेत्र में अतिग्रहणकारी शासन के हमलों की वजह से शहीदों की संख्या बढ़कर 48 हजार 405 हो गई है।

पिछले 24 घंटों में 7 शहीदों के शव मलबे से निकाले गए और ग़ज़ा पर अतिग्रहणकारियों के हमले के कारण लगी चोटों की वजह से एक और फ़िलिस्तीनी भी शहीद हो गया जबकि इस दौरान 11 घायल लोगों को अस्पताल पहुंचाया गया।

वेस्ट बैंक में शहादतप्रेमी कार्यवाही

उधर एक फ़िलिस्तीनी नागिरक ने जॉर्डन नदी के पश्चिमी तट के उत्तर में एक सुरक्षा चौकी पर हमला कर दिया और इज़रायली सेना के सैनिकों ने उसे शहीद कर दिया। हमास ने इस शहादत प्रेमी ऑपरेशन की प्रशंसा की और इस बात पर ज़ोर दिया कि फ़िलिस्तीनी क्रांतिकारी युवाओं के दिलों में प्रतिरोध की भावना ज़िंदा है।