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हमास और इस्राईल की यह बड़ी लड़ाई में बदल जाएगी : रिपोर्ट

अलजज़ीरा की डिबेट अलजज़ीरा टीवी चैनल ने एक डिबेट करवाई जिसमें ग़ज़ा के ताज़ा हालात पर टीकाकारों ने अपनी राय रखी। वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए टीकाकारों का कहना यह था कि अब नौबत यह हो गई कि ज़ायोनी शासन और रेज़िस्टेंस फ़ोर्सेज़ में किसी एक पक्ष का विजयी होनी बेहद ज़रूरी हो गया है।

राजनीति शास्त्र के प्रोफ़ेसर ख़लील एनानी ने डिबेट में कहा कि इस्राईल ज़मीनी कार्यवाही की बात तो बड़े ज़ोर शोर से कर रहा है मगर अब तक यह तय नहीं कर पाया है कि ज़मीनी कार्यवाही ग़ज़ा में कब शुरू करनी है। इस्राईल यह कार्यवाही कब शुरू करेगा और इसकी मुद्दत कितनी लंबी होगी इस बारे में कोई कारकों की महत्वपूर्ण भूमिका होगी। इनमें सबसे पहली चीज़ यह है कि इस्राईल इस कार्यवाही में क्या लक्ष्य हासिल करना चाहता है।

लगता तो यह है कि इस्राईल ने कई लक्ष्य अपने सामने रखे हैं और इनमें हरेक का लड़ाई के भविष्य पर गहरा असर होगा। ज़मीनी कार्यवाही कितनी लंबी मुद्दत चलेगी यह इस पर निर्भर है कि इस्राईल इससे अपनी ध्वस्त हो चुकी छवि को सुधारने भर का इरादा रखता है या उसका इरादा ग़ज़ा पट्टी पर क़ब्ज़ा करना और हमास को पूरी तरह ख़त्म करना है।

अगर हमास को ख़त्म करना उसका लक्ष्य है तो इसका साफ़ मतलब है कि यह बड़ी लड़ाई में बदल जाएगी।

एनानी के अनुसार इस्राईल का लक्ष्य यह है कि ग़ज़ा के लोगों को वहां से विस्थापित करके मिस्र भेज दे और हमेशा के लिए उनसे छुटकारा हासिल कर ले।

लेबनानी लेखक व टीकाकार मुनीर शफ़ीक़ का कहना था कि मुक़ाबले की शुरुआत इस बार रेज़िस्टेंस फ़ोर्स ने की है और पूरी ताक़त से की है। इस्राईल की हालत यह हो गई कि उसे अमरीका से मदद मांगनी पड़ी है कि हमास के सामने खड़ा रह सके।

इस मुक़ाबले में रेज़िस्टेंस फ़ोर्स की पोज़ीशन मज़बूत है और यही वजह है कि इस्राईल आम नागरिकों से इंतेक़ाम ले रहा है क्योंकि मुक़ाबला तो वो हार चुका है। अब अगर इस्राईल ज़मीनी कार्यवाही करता है तो यह लंबी नहीं चलेगी क्योंकि इस्लामी रेज़िस्टेंस की तरफ़ से कार्यवाही इस्राईल को भारी शिकस्त देगी जिसके बाद शायद इस्राईल इंतेक़ाम के लिए वेस्ट बैंक का रुख़ करेगा।

इस लड़ाई में हिज़्बुल्लाह और ईरान उतरेगा या नहीं इस बारे में एनानी का कहना था कि ईरान बहुत सधे हुए अंदाज़ में क़दम उठा रहा है। ईरान तब जंग में उतरेगा जब ग़ज़ा पट्टी में ज़ायोनी सेना बड़े पैमाने पर आप्रेशन शुरू कर देगी। ईरान रेज़िस्टेंस फ़्रंट की किसी एक भी कड़ी को ख़त्म नहीं होने देगा क्योंकि एसा होने की स्थिति में अन्य कड़ियों को नुक़सान पहुंचेगा।

मुनीर शफ़ीक़ का कहना था कि ग़ज़ा में मौजूद रेज़िस्टेंस फ़ोर्सेज़ इस्राईल को शिकस्त देने में सक्षम हैं जैसा कि अलअक़सा तूफ़ान में उसने किया है।

एनानी का कहना था कि ज़ायोनी शासन के भयानक अपराधों और हिंसा को देखते हुए अरब सरकारें भी किसी हद तक कठोर स्टैंड लेने पर मजबूर हुई हैं। इसी वजह अरब जनता की तरफ़ से आने वाली कड़ी प्रतिक्रिया है। अब वह स्थिति है कि ज़ायोनी शासन या रेज़िस्टेंस फ़ोर्सेज़ में से किसी एक का विजयी होना तय है।