@Misra_Amaresh
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#Hezbollah का कहर!
#Israeli सरकार ने #Lebanon सीमा पर Hezbollah की मार से विस्थापित 250,000 settlers के ‘वनवास’ की तिथि 3 महीना बढ़ा दी है।
मतलब 90 दिन और Jewish settlers अपने ‘घर’ नही लौट सकेंगें!
ग़ज़्ज़ा युद्ध दिखाने लगा अपना रंग, ज़ायोनी विदेशमंत्री किये गए मंत्रीमण्डल से बाहर
नेतनयाहू ने एली कोहेन को उनके पद से हटा दिया है।
सन 2023 के अन्तिम दिन ज़ायोनी शासन के विदेशमंत्री को उनके पद से हटा दिया गया। अवैध ज़ायोनी शासन के विदेशमंत्री के रूप में एली कोहेन को हटाए जाने के कई कारण बताए जा रहे हैं।
पहला कारण तो यह बताया जा रहा है कि एलिन कोहेन के क्रियाकलाप बहुत कमज़ोर रहे। ग़ज़्ज़ा युद्ध को आरंभ हुए अब तीसरा महीना होने को जा रहा है। इस युद्ध के कारण ज़ायोनी शासन की अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर आलोचना हो रही है। यह शासन आम जनमत के कड़े दबाव में है। इसी के साथ कुछ सरकारों की भी उसपर दबाव बना हुआ है। ज़ायोनियों का मानना है कि इन हालात में एक विदेशमंत्री के रूप में एली कोहेन के क्रियाकलाप बहुत ही कमज़ोर रहे। आज भी इस अवैध शासन के विरुद्ध दुनिया के बहुत से हिस्सों में प्रदर्शन किये जा रहे हैं। यह प्रदर्शन उन देशों में भी हो रहे हैं जो किसी न किसी रूप में अवैध ज़ायोनी शासन के समर्थक माने जाते हैं।
एली कोहेन को उनके पद से हटाने का दूसरा कारण यह है कि 27 अगस्त 2023 को उन्होंने इटली में लीबिया की तत्कालीन विदेशमंत्री से भेंटवार्ता की थी। इस भेंटवार्ता को गोपनीय रखा जाना था किंतु वह गोपनीय नहीं रह पाई। इसका नतीजा यह हुआ कि लीबिया में बहुत बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किये जाने लगे। बात इतनी बढ़ गई कि लीबिया की तत्कालीन विदेशमंत्री नजला अनमनक़ूश को उनके पद से हटा दिया गया और उनको लीबिया छोड़कर भागना पड़ा।
इस घटना के साथ ही लीबिया में व्यापक स्तर पर इस्राईल का विरोध किया जाने लगा। इन विरोध प्रदर्शनों के कारण लीबिया के साथ अवैध ज़ायोनी शासन का संबन्धों को सामान्य करने का कार्यक्रम खटाई में पड़ गया। इसको अवैध ज़ायोनी शासन के विदेशमंत्री एली कोहेन की अक्षमता बताया गया क्योंकि वे एक बहुत ही सीक्रेट मुलाक़ात को गोपनीय रखने में विफल सिद्ध हुए।
एली कोहेन की अपने पद से बरख़ास्तगी का एक अन्य कारण, नेतनयाहू के मंत्रीमण्डल में पाया जाने वाला गंभीर मतभेद है। अपने अपदस्त किये जाने की सूचना मिलने पर उन्होंने समाचारपत्र यदीऊन आहारनूत के साथ वार्ता में कहा था कि मैं मंत्रीमण्डल के निर्णय का सम्मान करता हूं कि किंतु यह काम, युद्ध के हालात में उचित नहीं है। नेतनयाहू द्वारा इस बात ज़ोर दिये जाने को मैं समझ नहीं पा रहा हूं। एली कोहेन के इस बयान ने अवैध ज़ायोनी शासन के सत्ता के गिलयारों में पाए जाने वाले मतभेदों की पुष्टि कर दी।
हालांकि अभी तो एली कोहेन को ही विदेश मंत्री के पद से हटाया गया है किंतु अवैध ज़ायोनी शासन में पाए जाने वाले गंभीर मतभेदों के दृष्टिगत इस बात की बहुत संभावना पाई जाती है कि ग़ज़्ज़ा युद्ध के बाद नेतनयाहू का मंत्रीमण्डल ही तहस-नहस हो जाए और उसके राजनीतिक जीवन का अंत हो जाए। इस्राईल में लंबे समय में नेतनयाहू के विरुद्ध प्रदर्शन किये जा रहे हैं। यह लोग नेतनयाहू को उसके पद से हटाने की मांग कर रहे हैं।
एसे में स्वयं को सुरक्षित रखने के लिए यह संभव है कि नेतनयाहू अपने ही मंत्रीमण्डल के कुछ और मंत्रियों को बाहर का रास्ता दिखाने का प्रयास करे किंतु अब देखना यह है कि इस तरह की हरकतें करके नेतनयाहू कबतक स्वयं को सत्ता की गद्दी पर बनाए रख सकता है?
@Misra_Amaresh
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ये 4 minute 40 second का video 30-12-2023 का है जो आज release हुआ है। इसको अंत तक देखे बिना पूरी बात नही समझी जा सकती। आपने मेरे posts देखें होंगो जिसमे #Gaza के अंदर #IDF के कमांड कंट्रोल centres पर #Palestinian resistance के हमलों की बात है। इस footage मे Al Zaytoun-Abu Oreiban axis पर IDF के ऐसे ही कमांड centre पर resistance के हमलों को विस्तार से दिखाया गया है।
पहले हिस्से मे IDF के कमांड centre कैसे Gaza मे बनाये गये हैं उसके दृश्य हैं।
दूसरे हिस्से मे resistance कैसे सुराखों से राकेट दाग रहा है–और उसके तुरंत बाद मोर्टार गोले दाग रहा है–ये दिखाया गया है।
अंतिम हिस्से मे कैसे IDF command centres पर राकेट/मिसाइल गिर रहे हैं, और क्या नुकसान पहुंचा रहे हैं, वो स्पष्ट होता है!
यमन सरकार के वरिष्ठ वार्ताकार ने तेहरान में विदेश मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी से की अहम मुलाक़ात, लाल सागर की परिस्थितियों पर संवेदनशील चर्चा
तेहरान के दौरे पर आए यमन सरकार के वरिष्ठ वार्ताकार ने इस्लामी गणराज्य ईरान के विदेश मंत्री के वरिष्ठ सलाहकार से मुलाक़ात की।
यमन के भीतर संघर्षरत पक्षों के बीच संघर्ष विराम के हालात में शांति वार्ता की प्रक्रिया जारी है और इससे धीरे धीरे सकारात्मक परिणाम मिल रहे हैं।
ईरान के विदेश मंत्री के वरिष्ठ सलाहकार अली असग़र ख़ाजी ने सोमवार को यमन सरकार के वरिष्ठ वार्ताकार मुहम्मद अब्दुस्सलामसे बातचीत में यमन की ताज़तरीन स्थिति का जायज़ा लिया।
वार्ता में दोनों पक्षों ने ग़ज़ा के हालात पर भी विस्तार से बात की और इस बात पर ज़ोर दिया कि ग़ज़ा पट्टी पर ज़ायोनी शासन के हमलों का सिलसिला फ़ौरन रोका जाना चाहिए।
ज्ञात रहे कि ग़ज़ा पर ज़ायोनी शासन के हमलों के जवाब में यमन के अंसारुल्लाह आंदोलन ने ज़ायोनी शासन के हितं पर बड़े साहसिक हमले किए हैं। यमन के अंसारुल्लाह आंदोलन के हमलों की वजह से इस्राईल का ईलात बंदरगाही शहर पूरी तरह सन्नाटे में डूबा हुआ जो व्यापारिक और आर्थिक गतिविधियों के लिए जाना जाता था।
अंसारुल्लाह आंदोलन ने अब तक कई बार ईलात शहर पर मिसाइल और ड्रोन हमले किए हैं।
मुहम्मद अब्दुस्सलाम ने इसके साथ ही यमन के हालात के बारे में भी विस्तार से बातचीत की।
ईरान के विदेश मंत्री के सलाहकार ने यमनी पक्षों के बीच जारी शांति वार्ता का स्वागत किया और कहा कि ईरान इस प्रक्रिया में सहयोग के लिए पूरी तरह तैयार है।
ग़ज़्ज़ा में जातीय सफ़ाया करने वालों को अमरीका की मदद
जहां अमरीका के भीतर इस्राईल के समर्थन का विरोध किया जा रहा है वहीं पर बाइडेन, अवैध ज़ायोनी शासन की हर संभव सहायता के लिए तत्पर दिखाई दे रहे हैं।
अमरीकी राष्ट्रपति द्वारा इस्राईल को हथियार भेजने का, डेमोक्रेट सेनेटर ने विरोध किया है।
टिम केन ने अन्य डेमोक्रेट्स के साथ मिलकर जो बाइडेन से मांग की है कि इस्राईल को हथियार भेजे जाने के बारे में वे स्पष्टीकरण पेश करें। वर्जीनिया राज्य के सीनेटर टिम केन, डेमोक्रेटिक पार्टी के उन नेताओं के साथ हो गए हैं जिन्होंने अमरीकी राष्ट्रपति जो बाइडेन द्वारा इस्राईल के लिए हथियार भेजने पर प्रश्न चिन्ह लगा दिया है।
टिम केन ने कहा है कि मैं बाइडेन से इस काम के बारे में कारण जानना चाहता हूं। इस अमरीकी सीनेटर के अतिरिक्त अमरीका के भीतर आम लोग, ग़ज़्ज़ा में इस्राईल की कार्यवाहियों के दृष्टिगत बाइडेन सरकार की ओर से इस्राईल के आर्थिक एवं सैनिक समर्थन का विरोध कर रहे हैं।
याद रहे कि ग़ज़्ज़ा में फ़िलिस्तीनियों का जातीय सफ़ाया करने वाले अवैध ज़ायोनी शासन के लिए नवंबर 2023 में अमरीका की ओर से 14 अरब 300 मिलयन डालर के पैकेज को भेजे जाने का प्रबंध किया गया था। अमरीकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने इसे इस्राईल के लिए अभूतपूर्व सहायता पैकेज बताया था।
अमरीकी सरकार की ओर से इस्राईल का समर्थन किये जाने पर इस देश के भीतर बड़े पैमाने पर विरोध किया जा रहा है। यह विरोध केवल अमरीका तक ही सीमित नहीं है बल्कि अन्य देशों में भी लोग इसका खुलकर विरोध कर रहे हैं।
ईरान की नौसेना के डेस्ट्रायर जहाज़ ने बाबुल मंदब पार करके लाल सागर में दी दस्तक