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हमारी अर्थव्यवस्था चरमरा रही है, हम एक दलदल में डूब रहे हैं : इमरान ख़ान

पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने भविष्यवाणी की है कि अप्रैल, 2023 में देश भर में आम चुनाव कराए जाएंगे. उन्होंने ये भी कहा है कि इस समय (नए सैन्य नेतृत्व) से उनका कोई संवाद नहीं है. उनकी पार्टी तहरीक-ए-इंसाफ ने पंजाब और अब खैबर-पख्तूनख्वा की विधानसभाओं को भंग कर दिया है.

बीबीसी उर्दू के उस्मान ज़ाहिद को दिए विशेष इंटरव्यू में इमरान खान के सामने एक ही सवाल रखा गया था कि क्या वो आर्थिक सुधार के लिए संघीय सरकार से बात करने के लिए तैयार हैं? इस पर पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा कि ‘ये सरकार नीलामी से आई है, चुनाव से नहीं.’

उन्होंने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की सरकार खरीद-फरोख्त कर सत्ता में आई है. जनरल बाजवा ने उन्हें हमसे ऊपर रखने में उनकी मदद की.

इमरान खान ने कहा कि इसका एक ही उपाय है, “निष्पक्ष और पारदर्शी चुनाव. जब तक पाकिस्तान में चुनाव नहीं होते हैं, तब तक किसी भी निवेशक, उद्यमी को उन पर भरोसा नहीं है. बाहर से कोई इन पर भरोसा नहीं करता.”

“हम एक दलदल में डूब रहे हैं. श्रीलंका जैसी स्थिति से बचने के लिए स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव ही एकमात्र उपाय है. इसी वजह से हमने अपनी दो सरकारों को गिराया है.”

पाकिस्तान में कुछ राजनीतिक विश्लेषकों का मानना ​​है कि तहरीक-ए-इंसाफ अगस्त में आम चुनाव चाहती है, लेकिन सरकार के मंत्रियों ने बार-बार कहा है कि नेशनल असेंबली अपना कार्यकाल पूरा करेगी और अक्टूबर में नए आम चुनाव होंगे. तो सरकार को दबाव में लाने की वजह क्या है?

इस पर इमरान खान ने कहा कि अंतर यह है कि मौजूदा सरकार ने खुद को कानून से ऊपर रखा है. “शाहबाज़, नवाज़, ज़रदारी, मरियम सब बच गए हैं. उनके ख़िलाफ़ सभी मामले खत्म कर दिए गए हैं.”

इमरान खान ने कहा, “फिलहाल दो महीने बहुत दूर लग रहे हैं. आपने अगस्त कहा (लेकिन) मैं अभी की बात कर रहा हूं. हमें डर है कि जैसे-जैसे हमारी अर्थव्यवस्था चरमरा रही है, हमारे पास भंडार में चार बिलियन डॉलर बचे हैं. बंदरगाह पर चीज़ें पड़ी हैं, जिन्हें उठाया नहीं जा रहा है. चीजें महंगी हो रही हैं, बेरोजगारी बढ़ रही है, कारखाने बंद हो रहे हैं.”

“मेरी अपनी भविष्यवाणी है कि चाहे कुछ भी हो जाए, यह सरकार अप्रैल में चुनाव कराने के लिए मजबूर होगी.” अप्रैल 2023 में होने वाले आम चुनाव इसलिए भी उल्लेखनीय होंगे क्योंकि ठीक एक साल पहले इसी महीने नेशनल असेंबली में इमरान खान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पारित किया गया था और उनकी सरकार चली गई थी.

उन्होंने कहा, “पिछले एक साल से पूरा देश जल्द चुनाव कराने की मांग कर रहा है.”