धर्म

हज़रत इमाम महदी कौन हैं? इमाम महदी के बारे में शिया और सुन्नी मुसलमानों का क्या विचार है?

महामुक्तिदाता इमाम महदी के बारे में अहले सुन्नत का दृष्टिकोण शियों के दृष्टिकोण की भांति है

पार्सटुडे- महामुक्तिदाता इमाम महदी के बारे में अहले सुन्नत के यहां जो हदीसें बयान की गयी हैं उनकी संख्या 100 से अधिक है और इन समस्त हदीसों में इमाम ज़मान के ज़ुहूर की ओर संकेत किया गया है।

इमाम ज़मान और उनके ज़ुहूर पर आस्था इस्लाम की एक महत्वपूर्ण आस्था है और पैग़म्बरे इस्लाम की शुभसूचना के अनुसार इमाम ज़मान के पावन अस्तित्व और उनके ज़ुहूर पर मुसलमानों के समस्त संप्रदाय आस्था रखते हैं। यहां पर हम यह बयान करेंगे कि इमाम ज़मान और उनके ज़ुहूर के बारे में अहले सुन्नत का दृष्टिकोण व विचारधारा क्या है और वह किस तरह शिया मुसलमानों की धारणा व आस्था से मिलती -जुलती है।

इमाम ज़मान और उनके ज़ुहूर के बारे में हदीसों का उल्लेख शीया और सुन्नी मुसलमानों की बहुत सी किताबों में किया गया है। इस संबंध में जिन हदीसों का उल्लेख किया गया है उनमें थोड़ा चिंतन- मनन करने से इस बात को बहुत अच्छी तरह समझा सकता है कि इमाम महदी के संबंध में शिया और सुन्नी मुसलमानों के मध्य बहुत अधिक समानतायें मौजूद हैं और यह समानतायें इस प्रकार हैं।

शिया-सुन्नी रिवायतों में कहा गया है कि इमाम ज़मान का ज़ुहूर निश्चित है। इसी प्रकार इमाम ज़मान की शारीरिक विशेषता, ज़ुहूर की अलामतें और उनका तथा पैग़म्बरे इस्लाम का हमनाम होना और उनकी विश्व व्यापी सरकार वे विशेषतायें हैं जिसके बारे में शिया- सुन्नी मुसलमानों के मध्य समानतायें हैं।

इसी प्रकार शिया- सुन्नी मुसलमानों के मध्य इमाम ज़मान के संबंध में जो रिवायतें और हदीसें आयी हैं उनमें कुछ मतभेद भी हैं। जैसे इमाम ज़मान के जन्म, उनकी ग़ैबत और उनके मासूम होने के बारे में।

इमाम ज़मान के ज़ुहूर के बारे में जो रिवायतें और हदीसें अहले सुन्नत की किताबों में आयी हैं उनकी संख्या 100 से अधिक है और इन समस्त हदीसों में इमाम ज़मान के ज़ुहूर की ओर संकेत किया गया है। अहले सुन्नत की विश्वस्त रिवायतों के आधार पर पैग़म्बरे इस्लाम के साथियों में से 20 से अधिक ने पैग़म्बरे इस्लाम की ज़बान से इमाम ज़मान के संबंध में रिवायत की है और ये रिवायत सुनन, मआजिम, मसानिद, सुनन अबूदाऊद, सुनने तिरमिज़ी, इब्ने माजा, मुसनद अहमद, सहीह हाकिम, बज़ाज़, मुअजमे तबरानी में देखा जा सकता है।

अहले सुन्नत की किताबों और अहले सुन्नत के विद्वानों के कथनानुसार इमाम ज़मान हज़रत फ़ातेमा ज़हरा सलामुल्लाह की संतान में से हैं और उनका ज़ुहूर होगा।

इमाम ज़मान के बारे में अहले सुन्नत के विद्वानों ने इस प्रकार अपने विचारों को बयान किया है।

आख़िरी ज़माने के इमाम और महासुधारक के ज़ुहूर होने के संबंध में हिजरत की पहली शताब्दी से लेकर आज तक पैग़म्बरे इस्लाम के असहाब और असहाब को देखने वालों के मध्य कोई मतभेद नहीं था और अहले सुन्नत के समस्त विद्धान इमाम ज़मान के ज़ुहूर के संबंध में एकमत थे और हैं और जो भी इन हदीसों और रिवायतों के सही होने के बारे में संदेह करता है वास्तव में यह उसकी अज्ञानता का सूचक है। इसी कारण अब तक जिसने भी इमाम महदी होने का दावा किया है किसी भी दावा करने वाले ने इमाम के अस्ल ज़ुहूर का इंकार नहीं किया है।

इसी संबंध में अहले सुन्नत के एक विद्वान व धर्मगुरू सुवैदी कहते हैं कि जिस चीज़ पर सब एकमत हैं वह यह है कि इमाम महदी वह हैं जो ज़माने के अंतिम समय में आंदोलन करेंगे और दुनिया को न्याय से भर देंगे।

इसी प्रकार अहले सुन्नत के एक अन्य विद्वान व धर्मगुरू ख़ैरूद्दीन आलूसी कहते हैं कि सबसे सही रिवायतों के आधार इमाम ज़मान का ज़ुहूर क़यामत की निशानियों में से है और जिन लोगों ने इमाम के आने का इंकार किया है उनके विचारों व धारणाओं का कोई महत्व नहीं है।

शैख़ मोहम्मद ईरवानी “अलइमाम अलमहदी” नामक किताब में लिखते हैं कि जहां तक मुझे पता है अहले सुन्नत ने इस संबंध में तीस से अधिक किताबों को लिखा है।

इब्ने ख़ल्दून का दृष्टिकोण इमाम महदी के बारे में कुछ भिन्न है। वह लिखते हैं कि मुसलमानों के मध्य मशहूर यह है कि आख़िरी ज़माने में अहले बैत में से एक व्यक्ति अवश्य आयेगा यानी ज़ुहूर करेगा वह धर्म का समर्थन करेगा और न्याय को स्पष्ट करेगा और मुसलमान उसका अनुसरण व अनुपालन करेंगे और समस्त इस्लामी देशों पर उसका शासन होगा और उ व्यक्ति का नाम महदी होगा।