धर्म

हज़रत उमर फ़ारूक़ रज़ियल्लाहु अंहु की अदालत का क़िस्सा!

Hashmatullah-Faraz
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एक सच्चा वाक्या हजरत उमर फारूक रजियल्लाहु अंहु की अदालत का किस्सा

हजरत उमर फारूक रजियल्लाहु अंहु और एक सच्चे कातिल का दो नौजवान हजरत उमर फारूक रजियल्लाहु अंहु की महफिल में दाखिल होते हैं महफिल में बैठे एक आदमी के सामने जाकर खड़े हो जाते हैं और उसकी तरफ उंगली करके कहते हैं या उमर यह है वह आदमी हजरत उमर फारूक रजियल्लाहु अंहु पूछते हैं क्या किया है उस आदमी ने कहा या अमिरुल मोमिन उसने हमारे बाप को कत्ल किया है हजरत उमर फारूक रजियल्लाहु अंहु पूछते हैं क्या कह रहे हो उसने तुम्हारे बाप को कत्ल किया है हजरत उमर फारूक रजियल्लाहु अंहु उस आदमी से मुखातिब होकर पूछते हैं क्या तूने उनके बाप को कत्ल किया है आदमी कहता है हां अमीरुल मोमिनीन मुझसे कत्ल हो गया है इनका बाप

हजरत उमर फारूक रजियल्लाहु अंहु पूछते हैं किस तरह कत्ल हुआ है वह आदमी कहता है या उमर उनका बाप अपने ऊंट समेत मेरे खेत में दाखिल हो गया था मैंने मना किया बाज नहीं आया तो मैंने एक थप्पड़ दे मारा जो सीधा उसके सर में लगा और वह मौका पर मर गया हजरत उमर फारूक रजियल्लाहु अंहु फिर तो कसास देना पड़ेगा मौत है उसकी सजा ना फैसला लिखने की जरूरत और फैसला भी ऐसा अटल के जिस पर किसी बहस और की भी गुंजाइश नहीं नाही उस आदमी से उसके कुनबे के बारे में कोई सवाल किया गया है ना ही यह पूछा गया है कि तालुक किस कदर शरीर खानदान से हैं ना ही यह पूछने की जरूरत महसूस की गई है के किसी अच्छे कबीले से तो नहीं है इन सब बातों से भला हजरत उमर फारूक रजियल्लाहु अंहु को मतलब ही क्या क्योंकि मामला अल्लाह के दिन का हो तो हजरत उमर फारूक रजियल्लाहु अंहु पर कोई असर अंदाज़ नहीं हो सकता और ना ही कोई अल्लाह की शरीयत के मामले पर हजरत उमर फारूक रजियल्लाहु अंहु को रोक सकता है हटा के सामने उम्र का अपना बेटा ही क्यों ना कातिल के हेसियत से खड़ा हो कसास तो उससे भी लिया जाएगा वह आदमी कहता है अमीरुल मोमिनीन उसके नाम पर जिस के हुक्म से जमीन और आसमान काइम खड़े हैं मुझे सेहरा में वापस अपने बीवी बच्चों के पास जाने दीजिए ताकि मैं उनको बताऊं कि मैं कत्ल कर दिया जाऊंगा उनका अल्लाह और मेरे सिवा कोई आसरा नहीं है मैं उसके बाद वापस आ जाऊंगा हजरत उमर फारूक रजियल्लाहु अंहु कहते हैं कौन तेरी जमानत देगा के तू सहरा में जाकर वापस भी आ जाएगा महफिल एक खामोशी छा जाती है कोई भी तो ऐसा नहीं है जो इसका नाम तक भी जानता हो उसके कबीले खेमें या घर के बारे में जानने का मामला तो बात की बात है कौन जमानत दे उसकी क्या यह 10 दिरहम के उधार या जमीन जमीन के टुकड़े या किसी ऊंट के सौदे की जमानत का मामला है खुद हजरत उमर फारूक रजियल्लाहु अंहु सर झुकाए बैठे हैं इस सूरत हाल पर सर उठाकर इल्तजा भरी नजरों से नौजवानों की तरफ देखते हैं माफ कर दो इस आदमी को नौजवान अपना आखिरी फैसला बगैर किसी झिझक के सुना देते हैं नहीं अमीरुल मोमिनीन जो हमारे बाप को कत्ल करें उसको छोड़ दे यह तो हो ही नहीं सकता

हजरत उमर फारूक रजियल्लाहु अंहु एक बार फिर मजमा की तरफ देख कर बुलंद आवाज से पूछते हैं ए लोगों है कोई तुम मैं से जो इसकी जमानत दे अबुजर गफ्फारी रजियल्लाहु अंहु अपने जहद और सिदक से भरपूर बुढ़ापे के साथ खड़े होकर कहते हैं मैं जमाना देता हूं इस आदमी की उमर फारूक रजियल्लाहु अंहु कहते हैं अबूजर उसने कत्ल किया है अबूजर रजियल्लाहु अंहु अपना अटल फैसला सुनाते हैं चाहे कद्र ही क्यों ना किया हो उमर फारूक रजियल्लाहु अंहु जानते हो इसे अबूजर रजियल्लाहु अंहु नहीं जानता उमर फारूक रजियल्लाहु अंहु तो फिर किस तरह जमानत दे रहे हो अबूजर रजियल्लाहु अंहु मैंने उसके चेहरे पर मोमिनो की सिफात देखी है और मुझे ऐसा लगता है झूठ नहीं बोल रहा इंशाल्लाह लौट कर वापस आ जाएगा उमर फारूक रजियल्लाहु अंहु अबुजर देख लो अगर यह 3 दिन में लौट कर ना आया तो मुझे तेरी जुदाई का सदमा देखना पड़ेगा अबूजर रजियल्लाहु अंहु अपने फैसले पर डटे हुए जवाब देते हैं अमीरुल मोमिनीन अल्लाह मालिक है उमर फारूक रजियल्लाहु अंहु से 3 दिन की मोहलत पाकर वह आदमी चला जाता है कुछ जरूरी तैयारियों के लिए बीवी बच्चों को अलविदा कहने अपने बाद उनके लिए कोई राह देखने और फिर उसकी बाद कसास की अदायगी के लिए कत्ल किए जाने की गर्ज से लौट कर वापस आने के लिए और फिर 3 रातों के बाद उमर फारूक रजियल्लाहु अंहु भला कैसे इसको भुला बातें उन्होंने तो एक एक लम्हा गिन कर काटा था असर के वक्त शहर में /अस्सलातु जामियाह/की मोनादी फिर जाती हैं नौजवान अपने बाप का कसास लेने के लिए बेचैन और लोगों का मजमा अल्लाह के शरीयत को देखने के लिए जमा हो चुका है अबूजर रजियल्लाहु अंहु तशरीफ लाते हैं और आकर उमर फारूक रजियल्लाहु अंहु के सामने बैठ जाते हैं उमर फारूक रजियल्लाहु अंहु सवाल करते हैं किधर है वह आदमी अबूजर रजियल्लाहु अंहु छोटा जवाब देते हैं मुझे कोई पता नहीं या अमीरुल मोमिनीन अबूजर रजियल्लाहु अंहु आसमान की तरफ देखते हैं जिधर सूरज डूबने की जल्दी में मामून से ज्यादा तेजी के साथ जाता दिखाई दे रहा है महफिल में हूं का आलम है अल्लाह के सिवा कोई नहीं जानता के आज क्या होने जा रहा है मां गरीब से कुछ पहले वह आदमी आ जाता है बे साखता उमर फारूक रजियल्लाहु अंहु के मुंह से अल्लाह हू अकबर की सदा निकलती है साथ ही मजमा भी अल्लाह हू अकबर का एक भरपूर नारा लगाता है उमर फारूक रजियल्लाहु अंहु उस आदमी से कहते हैं ए आदमी अगर तू लौट कर ना भी आता तो हमने तेरा क्या कर लेना था ना ही तो कोई तेरा घर जानता था और ना ही कोई तेरा पता जानता था वह बोला अमीरुल मोमिनीन अल्लाह की कसम बात आपकी नहीं है बात उस जात की है जो सब जाहिर और छुपी हुई चीज के बारे में जानता है देख लीजिए मैं आ गया हूं अपने बच्चों को परिंदों के चुजों की तरह सेहरा में अकेला

छोड़ कर जिधर ना दरख़्त का साया है और ना ही पानी का नामोनिशान मैं कत्ल कर दिए जाने के लिए हाजिर हूं मुझे बस यह डर था कहीं कोई यह ना कह दे के अब लोगों में से वादों का भरोसा ही उठ गया है उमर फारूक रजियल्लाहु अंहु ने अबूजर रजियल्लाहु अंहु की तरफ रुख करके पूछा अबुजर तूने किस बिना पर इसकी जमानत दे दी थी अबुजर रजियल्लाहु अंहु ने कहा ए उमर मुझे इस बात का डर था कहीं कोई यह ना कह दे के अब लोगों से खैर ही उठा ली गई है उमर फारूक रजियल्लाहु अंहु ने एक लम्हे के लिए ठहरा और फिर इन दो नों जवानों से पूछा के क्या कहते हो आप नौजवानों ने जिनका बाप मरा था रोते हुए कहा ऐ अमीरुल मोमिनीन हम इसके सच्चाई की वजह से इसे माफ करते हैं हमें इस बात का डर है कि कहीं कोई यह ना कह दे कर अब लोगों में से दर गुजर ही उठा लिया गया है उमर फारूक रजियल्लाहु अंहु अल्लाह हू अकबर पुकार उठे और आंसू उनकी ढ़ारी को भिगोकर नीचे गिरने लगे फरमाया नौजवानों तुम्हारी दरगुजर पर अल्लाह तुम्हें जजाए खैर दे ए अबूजर अल्लाह तुझे इस आदमी की मुसीबत में मदद पर जजाए खैर दे और एक शख्स अल्लाह तुझे इस वफा अहद और सच्चाई पर जजाए खैर दे और अमीरुल मोमिनीन अल्लाह तुझे तेरे इंसाफ और हम दिली पर जजाए खैर दे अल्लाह हू अकबर यह थी उमर फारूक रजियल्लाहु अंहु शान अल्लाह हम सभी को सही समझ अता फरमाए और दिन पर चलना आसान फरमाए आमीन