इतिहास

स्वतंत्रता सेनानी सोहेल अज़ीमाबादी – पत्रकारिता के माध्यम से लोगो को आज़ादी आंदोलन के लिये प्रेरित किया

*स्वतंत्रता सेनानी सोहेल अज़ीमाबादी* ➡️ पत्रकारिता के माध्यम से लोगो को आजादी आंदोलन के लिये प्रेरित किया।_
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स्वतंत्रता सेनानी सोहेल अज़ीमाबादी का जन्म 1 जुलाई, 1911 को वर्तमान बिहार राज्य के पटना में हुआ था। मीर हबीबुर रहमान उनके पिता थे। सोहेल अज़ीमाबादी का मूल नाम मोहम्मद मुजीबुर रहमान था। चूंकि वह उर्दू साहित्य की दुनिया में सोहेल अज़ीमाबादी के नाम से प्रसिद्ध थे, इसलिए सभी लोग उन्हें सोहेल अज़ीमाबादी कहने लगे।

सोहेल अज़ीमाबादी उन सेनानियों में से एक थे जिन्होंने अपने साहित्य से एक तरफ लोगों को ब्रिटिश सरकार के खिलाफ लड़ने के लिए प्रेरित किया और दूसरी तरफ ब्रिटिश शासकों को मनोवैज्ञानिक रूप से कमजोर किया। बचपन से ही सोहेल ब्रिटिश सरकार के कार्यों से घृणा रखते थे और उस सरकार के अधीन कोई नौकरी नहीं करना चाहते थे। इसलिए वह 1931 में पटना से कलकत्ता चले गए। वहां उन्होंने कई समाचार पत्रों के लिए लेख और कविता लिखना शुरू कर दिया क्योंकि उन्हें पहले से ही उर्दू भाषा में दक्षता हासिल थी। इस प्रक्रिया में उन्होंने 1931 में एक उर्दू समाचार पत्र ‘हमदर्द’ में नौकरी कर ली। उस समाचार पत्र के संपादक मौलाना शफातुल्ला खान एक राष्ट्रवादी और ब्रिटिश विरोधी विचारधारा के आदमी थे। सोहेल अज़ीमाबादी ने शफ़ातुल्लाह खान साहेब के मार्गदर्शन में लिखना जारी रखा। अपना समय प्रसिद्ध कवियों और लेखकों की संगति में बिताया और उर्दू पत्रकारिता के क्षेत्र में लोकप्रिय हो गए। 1936 में उन्होंने फ्रंटियर गांधी के बेटे वली खान द्वारा मुल्तान जेल में किए गए अनशन का समर्थन करते हुए एक संपादकीय लिखा और ब्रिटिश शासकों के कार्यों की तीखी आलोचना की। इस पर क्रोधित होकर ब्रिटिश सरकार ने समाचारपत्र ‘हमदर्द’ को बंद कर दिया और उन्हें जेल भेज दिया। ‘हमदर्द’ के बंद होने के बाद वह पटना लौट आये। फिर वह ‘कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी’ की ओर आकर्षित हुए, जिसका गठन 1934 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के एक भाग के रूप में स्वतंत्रता प्राप्ति के अलावा सामाजिक और आर्थिक विषमताओं से रहित समाजवादी समाज की स्थापना के उद्देश्य से किया गया था।

महात्मा गांधी के पदचिन्हों पर चलते हुए उन्होंने आंदोलन के लिए आवश्यक साहित्य का सृजन करते हुए राष्ट्रीय आंदोलन में भाग लिया। उन्होंने धर्म के आधार पर भारत के विभाजन का विरोध किया और हिंदू-मुस्लिम एकता के लिए प्रयास किये। 1947 में मातृभूमि की स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद उन्होंने अपना सारा समय साहित्य सृजन में समर्पित कर दिया और 1956 से 1970 तक ऑल इंडिया रेडियो में काम किया और विशिष्ट कार्यक्रम तैयार किये। विश्व उर्दू अदब के आसमान पर सितारे की तरह चमकने वाले सोहेल अज़ीमाबादी का 29 नवंबर 1979 को इलाहाबाद में निधन हो गया..

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संदर्भ -THE IMMORTALS 2

– sayed naseer ahamed (9440241727)

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संकलन तथा अनुवादक लेखक – *अताउल्लाखा रफिक खा पठाण सर*
सेवानिवृत्त शिक्षक
टूनकी बुलढाणा महाराष्ट्र*
9423338726