इतिहास

स्वतंत्रता सेनानी मौलाना मुहम्मद इस्माइल संभली (र.अ.)

_स्वतंत्रता सेनानी मौलाना मुहम्मद इस्माइल संभली(र.अ.)_ ➡️ _देश आजादी के खातिर चार साल तीन माह जेल मे गुजारे।_
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मौलाना मुहम्मद इस्माइल संभली (र.अ.) इन्हें स्पष्ट वक्ता के रूप में जाना जाता है। जिन्होंने अपने ओजस्वी व्याख्यानों से लोगों को ब्रिटिश गुलामी से आजादी के लिए लड़ने के लिए प्रेरित किया। इन महान स्वतंत्रता सेनानी का जन्म 1899 में उत्तर प्रदेश के संभल जिले के दीपासराय, मुरादाबाद में एक शिक्षित परिवार में हुआ था। उनके पिता मुन्शी किफायतुल्ला एक महान विद्वान के रूप में प्रसिद्ध थे। मौलाना संभली ने अपनी प्राथमिक शिक्षा स्थानीय स्तर पर पूरी की और कुछ समय तक अंग्रेजी का अध्ययन किया। बाद में उन्होंने जामिया उस्मानिया, बहावलपुर में कई विद्वानों से अरबी का अध्ययन किया, जो उस समय के महान विद्वान और स्वतंत्रता सेनानियों के रूप में प्रसिद्ध थे। इसी क्रम में ऐतिहासिक रेशमी रूमाल तहरिक मामले में भाग लेने वाले प्रमुख स्वतंत्रता सेनानियों मौलाना मुहम्मद मियां मंसूर अंसारी (र.अ.)का उन्हे समर्थन मिला। उस परिचय में वे पूर्णतः ब्रिटिश विरोधी सेनानी बन गये। 1919 में जलियांवाला बाग नरसंहार के विरोध में संभल में आयोजित एक सार्वजनिक प्रदर्शन में ब्रिटिश सरकार के कार्यों की निंदा करने वाले मौलाना मुहम्मद इस्माइल संभली(र.अ.)के पहले भाषण ने लोगों को प्रभावित किया।इस भाषण से अंगरेज सरकार नाराज हो गयी। उनकी क्रांतिकारी भावनाओं और तीखे भाषणों से परेशान होकर ब्रिटिश सरकार ने *उन्हें 22 फरवरी 1921 को गिरफ्तार कर लिया और दो साल के लिए जेल में डाल दिया।* मौलाना सम्भली (र.अ.)एक ओर जहां शिक्षा प्राप्त कर रहे थे वहीं दूसरी ओर ब्रिटिश सरकार के कार्यों में भी भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन में सक्रिय भागीदार थे।

1930 के सविनय अवज्ञा आंदोलन के दौरान उन्हें फिर से छह महीने के कठोर कारावास की सजा सुनाई गई। *1939 में द्वितीय विश्व युद्ध छिड़ने के बाद राष्ट्रीय कांग्रेस की गतिविधियों में भाग लेने वाले मौलाना मुहम्मद इस्माइल संभली (र.अ.)को ब्रिटिश सरकार ने मुरादाबाद में गिरफ्तार कर लिया और नौ महीने के लिए जेल में डाल दिया।* 1942 में शुरू हुए ‘भारत छोड़ो’ आंदोलन के दौरान अपने विचारपूर्ण भाषणों से लोगों को मंत्रमुग्ध करने वाले मौलाना संभली से नाराज होकर *ब्रिटिश सरकार ने उन्हें नजरबंद कर दिया और एक साल बाद रिहा कर दिया।* 1946 में हुए चुनाव में मौलाना संभली विधायक चुने गये। उन्होंने 1952 के चुनावों में भाग नहीं लिया। उन्होंने दिल्ली में ‘नाजिम ए आला जमीअतुल उलेमा’ शिक्षण संस्थान में शिक्षक के रूप में जिम्मेदारी संभाली। इसके बाद उन्होंने अपना समय विभिन्न क्षेत्रों में विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों को सलाह देने में बिताया। इस अवसर पर उन्होंने कई पुस्तकें भी लिखीं और प्रकाशित कीं। आध्यात्मिक शिक्षा के साथ-साथ सामाजिक और राजनीतिक क्षेत्र में कई कार्यक्रम आयोजित करने में सक्रिय रहने वाले मौलाना मुहम्मद इस्माइल संभली (र.अ.)का 23 नवंबर, 1975 को संभली में निधन हो गया।

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संदर्भ -THE IMMORTALS 2
– sayed naseer ahamed (9440241727)

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संकलन तथा अनुवादक लेखक – *अताउल्लाखा रफिक खा पठाण सर*
सेवानिवृत्त शिक्षक
टूनकी बुलढाणा महाराष्ट्र*
9423338726