🔸🔸🔸🔸🔸🔸🔸🔸🔸🔸 🟣 #जमीअत_उलमा_ऐ_हिंद के 20 वर्षों तक अध्यक्ष रहे*
🔹🔹🔹🔹🔹🔹🔹🔹🔹🔹 🟢मुफ़्ती किफ़ायतुल्लाह रहमतूल्लाह अलयही हिन्दुस्तान के मुफ़्ती-ए-आजम ही नहीं, बल्कि काफ़ला-ए-हुरियत काफ़ला सालार भी थे। आप एक ही वक्त पर अदीब, सियासतदां और मुजाहिद भी थे।
🔴आप शाहजहांपुर के एक गरीब खानदान में सन् 1875 में पैदा हुए थे। आपकी प्राइमरी तालीम शाहजहांपुर में ही हुई। फिर दो साल तक आप जामिया कासिमया मदरसा शाही (मुरादाबाद) में पढ़े और तीन साल तक दारुल-उलूम (देवबंद) में आपने तालीम हासिल की।
आप अपनी खुदादाद ज़हानत और अच्छे उस्तादों की सोहबत से 22 बरस में ही एक अज़ीम रुहानी शखससीयत और सियासतदां बन गये कोई भी ऐसा इल्म नहीं था, जिसमें कि आपको महारत न हासिल रही हो ।
🟡फ़रागत के बाद तकरीबन 5 साल तक आपने मदरसा ऐनुल-इल्म (शाहजहांपुर) में अपनी खिदमत अंजाम दी और फिर उसके बाद मदरसा अमीनिया (देहली) में मुफ्ती के ओहदे पर रहे। इसके अलावा सियासी और कौमी तहरीक़ात में भी आपकी ख़िदमातबेमिसाल,हैं।
🔵 *आपने तहरीके शेख उल* *हिन्द रहमतूल्लाह अलयही में खुलकर हिस्सा लिया और 2 बार गिरफ्तार भी हुए*।
🟣पहली बार सन् 1930 की तहरीके-सिविल नाफ़रमानी में आप 11 अक्टूबर सन् 1930 को गिरफ्तार होकर 6 महीने तक गुजरात की जेल में रहे।
🟢दूसरी बार एक लाख लोगों के साथ जुलूस की कयादत करते हुए *31 मार्च सन् 1932 को आप गिरफ्तार हुए और 18 महीने मुल्तान की जेल में रहे।* *आपने अज़ीमुल-कुद्र ख़िदमात पेश की।*
🟡 *मौलाना मुफ्ती किफायतुल्लाह रहमतूल्लाह अलयही ने खिलाफत आंदोलन से आपके राजनीतिक जीवन का प्रारंभ किया।*
🟢 *जमीअत उलमा ऐ हिंद के 20 वर्षों तक अध्यक्ष रहे।*
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*मुफ्ती साहब के घर की तलाशी* 🔹🔹🔹🔹🔹🔹🔹🔹🔹
🟣13 दिसंबर 1922 को ली गयी. सुबह लगभग 6:00 बजे मुफ्ती साहब के मकान पर पुलिस पहुंची। डिप्टी इकरामुल हक, पीरजादा नजीर उल हक़, इंस्पेक्टर सीआईडी अब्दुल अजीज खां, सब इंस्पेक्टर थाना, मिस्टर बलवंत राय,मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी और उनके साथ 25-30 सिपाही मुफ्ती साहब को तलाशी का वारंट दिखाया और कहा वारंट अंग्रेजी में है और किसी संदेहास्पद पत्र ,पुस्तक और हथियार की तलाशी के लिए जारी किया गया है। मुफ्ती साहब ने कहा आप अपना काम कीजिए कर बेपर्दा करा लिया और उनको अंदर बुला लिया मकान की कुंडी बंद कर दी और फिर कई सिपाही तलाशी में लग गये।
🟡एक-एक पुर्जा और मकान का एक-एक कोना इतने बारिकी से देखा कि जैसा देखना चाहिए। तलाशी 3 घंटे जारी रही. एक जलाने की लकड़ी के ढेर को कुरेद कर फेंक दिया और *मुफ्ती साहब के मकान से जमीयत के फतवे की पांडुलिपि ले गए ।* (अखबार मुस्लिम सितंबर 1922) 🟤 *जमीयत के दस्ती प्रेस में छपी हुई कॉपी अभी पुलिस एक्ट के अनुसार अपने साथ ले गए।*
🟢इस्लामी धर्मशास्त्र एवं धर्मादेश में भारत-पाक में उनका कोई मुकाबला नहीं कर सकता था।
🔵उनकी पुस्तक तालीमुल इस्लाम जो चार भागों पर आधारित है अत्यंत लोकप्रिय हैं। अब उसका हिंदी और अंग्रेजी में भी अनुवाद हो गया है 🔴 31 दिसम्बर सन् 1952 को देहली मे आपका इन्तकाल हुआ और वही *दरगाह ख्वाजा कुतबुद्दीन बख्तयार काकी रहमतूल्लाह अलयही* के जवार ने आप दफ़नाये गये।
🔹🔹🔹🔹🔹🔹🔹🔹 संदर्भ- 1 : *लहू बोलता भी है* – *सय्यद शहनवाज अहमद कादरी,कृष्ण कल्की*
————-/////———— 2) हिंदुस्तानी मुसलमानों का जंगे आजादी में हिस्सा :- सैयद इब्राहिम फिकरी ▪️▪️▪️▪️▪️▪️▪️▪️ संकलन *अताउल्लाखा रफिक खा पठाण सर टूनकी,संग्रामपूर, बुलढाणा महाराष्ट्र* 9423338726
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