इतिहास

स्वतंत्रता सेनानी मुंशी सैय्यद मोहम्मद मस्तान बेग़

Ataulla Pathan
=================
·
21 जुलै यौमे पैदायिश
स्वतंत्रता सेनानी मुंशी सैय्यद मोहम्मद मस्तान बेग़

🔹🔹🔹🔹🔹🔹🔹🔹🔹🔹
मुंशी सैय्यद मोहम्मद मस्तान बेग़ साहेब की पैदाईश आंध्र प्रदेश के गुंटूर ज़िले के संगादी गुंटा क़स्बे में 21 जुलाई सन् 1913 में हुई थी।
आपके वालिद का नाम मीर साहब बे़ग और वालिदा का नाम हुसैनी बीबी था।

आपने मुक़ामी स्कूलों में पढ़ाई कर मद्रास युनिवर्सिटी से आला तालीम हासिल की और उसके बाद आप टेनाली तालुक़ा हाईस्कूल में टीचर हो गये।

युनिवर्सिटी में तालीम के वक़्त आप आज़ादी के रिवलुशनरी ग्रुप की मीटिंगों में जाते थे। रिवलुशनरी लीडर कामेश्वर राव से बहुत असरअंदाज़ थे एक बार रिवलुशनरी कमेटी की मीटिंग में जाने की वजह से पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया और 21 दिन तक थाने की कस्टडी में रखकर मारपीट कर यह जानना चाहते थे कि मीटिंग में क्या प्रोग्राम तय किया गया है।

आप पुलिस का जुल्म बर्दाश्त करते रहे लेकिन अपनी ज़ुबान नहीं खोली। आप बाद में इण्डियन नेशनल कांग्रेस के मेम्बर बनकर आज़ादी के आंदोलनों में सरगर्मी से हिस्सा लेने लगे।

आपने क्विट इण्डिया मूवमेंट- सिविल नाफरमानी आंदोलनों में हिस्सा लिया। आप दौराने.आंदोलन 24 जनवरी सन् 1943 को गिरफ़्तार हुए और जेल गये वहां से 7 फरवरी सन् 1943 को रिहा हुए।

जेल से छूटने के बाद फौरन ही आपकी गिरफ़्तारी का वारेंट आ गया लेकिन आप कांग्रेस नेताओं की सलाह पर अण्डरग्राउण्ड हो गये।

आप मुल्क के बंटवारे के ज़बरदस्त मुख़ालिफ़ थे। नेशनल ख़्यालों से कभी समझौता नहीं किया। आंदोलनों में कई बार जेल जाने की वजह से जेल की नौकरी भी छूट गयी थी। आज़ादी के बाद आपको बहुत तंगहाली में दिन गुज़ारना पड़ा लेकिन आपने सरकार से कोई मदद नहीं ली।

आपकी बग़ैर जानकारी के कुछ दोस्तों ने स्वतंत्रता संग्राम पेंशन के लिए सरकार को लिखा जब सरकार की तरफ से सन् 1988 में पेंशन की रक़म आपके पास आयी तो आप दोस्तों से बहुत नाराज़ हुए और जो रक़म आयी थी उसे उर्दू तरक़्क़ी कमेटी को डोनेट कर दिया। आप 29 सितम्बर सन् 1991 में इंतक़ाल कर गये।

🔸🔸🔸🔸🔸🔸🔸🔸🔸🔸
संदर्भ : 1) THE IMMORTALS
– Syed Naseer Ahamed
2) *लहू बोलता भी है*
लेखक- *सय्यद शहनवाज अहमद कादरी,कृष्ण कल्की*

————-/////————
संकलन तथा अनुवादक –
*अताउल्लाखा रफिक खा पठाण सर टूनकी बुलढाणा महाराष्ट्र*