इतिहास

स्वतंत्रता सेनानी आलम बेग की खोपड़ी लंदन में मिली जिसे अँग्रेज़ काट कर ले गए थे-जाँच में हुआ खुलासा

नई दिल्ली: लंदन के एक पब में मिला स्कल (खोपड़ी) दुनियाभर में सुर्खियों में है। एम्स पटना और गुरुग्राम के मानेसर स्थित राष्ट्रीय मस्तिष्क शोध संस्थान (एनबीआरसी) के वैज्ञानिकों का कहना है कि यह खोपड़ी भारत के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी कानपुर (यूपी) निवासी आलम बेग की है। इसलिए सरकार को जल्द से जल्द इसे वापस लाना चाहिए।

वैज्ञानिकों ने खोपड़ी में कई ज्वाइंट्स और हड्डियों का आंकलन करने के बाद निष्कर्ष निकाला है कि जिस व्यक्ति का यह स्कल है, उसकी आयु मृत्यु के समय करीब 32 वर्ष रही होगी। शरीर की लंबाई करीब 5 फुट साढ़े 7 इंच होगी। स्वतंत्रता संग्राम सेनानी आलम बेग से जुड़े इतिहास पर गौर करें तो शोध काफी हद तक मिलता है। बता दें कि मंगल पांडे की तरह आलम बेग भी ईस्ट इंडिया कंपनी की 46वीं बंगाल बटालियन के जवान थे। उन्होंने भी अंग्रेजों के खिलाफ आजादी के लिए लड़ाई लड़ी थी। गिरफ्तार होने के बाद अंग्रेजों ने उन्हें तोप से बांधकर उड़ा दिया था।

एम्स पटना के एनॉटमी विभाग के डॉ. आशुतोष का कहना है कि इतिहास के मुताबिक, उस वक्त कैप्टन एआर कास्टेलो उनके सिर को ट्रॉफी के रूप में लंदन ले गया था। कुछ इतिहासकारों का कहना है कि बेग को फांसी दी गई थी। लंदन पहुंचने के बाद उनकी खोपड़ी को किसी सैन्य अधिकारी के पब में रखा गया था। करीब 165 वर्ष बाद जब लंदन के इतिहासकारों तक यह पहुंचा तो दायीं आंख में एक पर्ची मिली थी। इस पर लिखा था कि यह खोपड़ी भारत के आलम बेग की है। यहीं से आलम बेग का सिर दुनियाभर में सुर्खियों में आया।

डॉ. आशुतोष ने बताया कि लंदन के इतिहासकारों ने भारत सरकार से स्कल मंगाने की बात कही थी। इसके बाद उन्होंने संपर्क कर उससे जुड़ी तमाम तस्वीरें भेजने का आग्रह किया था। तस्वीरें मिलने के बाद डॉ. आशुतोष और एनबीआरसी की टीम ने शोध शुरू किया। फ्यूजन की मदद से उन्होंने स्कल और आलम बेग की शारीरिक बनावट का मिलान किया। वैज्ञानिकों का कहना है कि 165 वर्ष पुरानी खोपड़ी की पहचान के लिए उनके पास दो ही चिकित्सीय विकल्प थे। एक डीएनए और दूसरा फ्यूजन टेस्ट। वैज्ञानिकों ने सरकार से मांग की है कि स्वतंत्रता सेनानी आलम बेग का सिर ससम्मान लाकर यहां संग्रहालय में रखा जाना चाहिए।