इतिहास

स्वतंत्रता सेनानी अनीस बेगम क़िदवई

Ataulla Pathan
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16 जुलै यौमे वफात
स्वतंत्रता सेनानी अनीस बेगम किडवाई
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अनीस बेगम की पैदाइश सन् 1906 मे बाराबंकी (उत्तर) प्रदेश) में हुई थी। आपके वालिद का नाम शेख विलायत अली था। आपकी शादी शफी अहमद किदवई के साथ हुई थी। आपके शौहर व वालिद दोनों ही आज़ादी के मुजाहेदीन थे। आपके करीबी रिश्तेदार जनाब रफ़ी अहमद किदवई इण्डियन नेशनल मूवमेंट में सफ़े-अव्वल के कायद थे।

यह कहना गलत न होगा कि जंगे-आज़ादी की अवध की कहानी आपके ख़ानदान के ज़िक्र के बगैर अधूरी है। ख़िलाफ़त मूवमेंट के दौरान आपके शौहर शफी अहमद साहब गिरफ्तार कर लिये गये और जब जेल से छूटे तो सरकारी नौकरी से भी हाथ धोना पड़ा, जिसकी वजह से जरूरियाते-ज़िन्दगी में दिक्कतों का सामना करना पड़ा, लेकिन अनीस बेगम ने हिम्मत नहीं हारी और कांग्रेस के मूवमेंट में जाना बदस्तूर जारी रखा। सन् 1946 के आखिरी दिनों में जब मुल्क के बंटवारे की बात चली तो अनीस बेगम और उनके शौहर ने मुल्क के बंटवारे की पुरजोर मुखालिफत की।

अनीस बेगम घर-घर जाकर लोगों को समझाती कि यह फैसला मुसलमानों के हक़ में नहीं है। इसी दौरान सन् 1947 के शुरू में ही हिन्दू-मुस्लिम फ़साद भी शुरू हो गये। दोनों लोगों ने क़ौमी एकजहती के लिए दिन-रात मेहनत की। इसी फिरकापरस्ती की मुखालिफत के दौरान आपके शौहर जनाब शफी अहमद किदवई का क़त्ल कर दिया गया।

इस वाक़िये ने आपको बुरी तरह तोड़कर रख दिया। थोड़ा सम्भलने के बाद गांधीजी ने आपको बुलाया और दिल्ली-कांग्रेस के दफ्तर में दोनों मुलाकात हुई। गांधीजी ने ढाढस बढ़ाया और कहा कि अब आप महिला-कांग्रेस के साथ मिलकर अपनी ख़िदमत अंजाम दें। आपने गांधीजी के कहने पर सुभद्रा जोशी, मृदुला साराभाई वगैरह के साथ मिलकर मुल्क के बंटवारे की वजह से फैले साम्प्रदायिक दंगों में रिलीफ-कैम्पों में मरीजों की देखभाल का काम बहुत ज़िम्मेदारी से किया। इन दिनों आपको लोग अनीस आपा के नाम से पुकारते थे।

आज़ादी के बाद सन् 1957 में और 1968 में वह राज्यसभा के लिए चुनी गयीं। आपने मुल्क बंटवारे का दर्द अपनी किताब आज़ादी की छांव में बखूबी बयान किया है। उसके अलावा साम्प्रदायिक राजनीति पर आपकी लिखी जख्म और अब आप किताबें भी बहुत मशहूर हुई। इसके बाद आपने नज़रे-खुश गुज़रे सन् 1976 में लिखी। आपकी इन किताबों के लिए साहित्य कला परिषद् (दिल्ली) ने सम्मानित भी किया। अनीस बेगम में एक-साथ राजनीतिक, साहित्य और समाजसेवी तीनों खूबियां थी। आपका इन्तक़ाल 16 जुलाई सन् 1982 को हुआ।

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संदर्भ- 1)THE IMMORTALS
लेखक syed naseer ahmed
(+91 94402 41727)
2)लहू बोलता भी है
3) heritage times

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संकलन तथा अनुवादक लेखक *अताउल्ला खा रफिक खा पठाण सर टूनकी तालुका संग्रामपूर जिल्हा बुलढाणा महाराष्ट्र*
9423338726