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सोशल मीडिया के माध्यम से न्यायालय के संबंध में पोस्ट की जा रही हैं, जो न्यायपालिका को कमज़ोर करने की कोशिश है : सुप्रीम कोर्ट

लंबित और विचाराधीन मामलों पर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर जिस तरह से संदेश और लेख प्रसारित किए जा रहे हैं, उस पर सुप्रीम कोर्ट ने चिंता जताई है। न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस और न्यायमूर्ति बेला त्रिवेदी की पीठ ने असम के विधायक करीम उद्दीन बरभुइया के खिलाफ अवमानना कार्रवाई शुरू करते हुए सोशल मीडिया के दुरुपयोग पर चिंता व्यक्त की है। बता दें कि विधायक को शीर्ष अदालत में फैसले के लिए आरक्षित एक मामले के संबंध में भ्रामक फेसबुक पोस्ट के लिए अवमानना नोटिस जारी किया गया है।

यह गंभीर चिंता का विषय है- सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि न्यायालय में लंबित मामलों के संबंध में सोशल मीडिया पर टिप्पणियां और लेख पोस्ट किए जा रहे हैं। शीर्ष अदालत ने कहा कि यह एक गंभीर चिंता का विषय है क्योंकि इस तरह से सोशल मीडिया का दुरुपयोग हो रहा है। अदालत ने टिप्पणी करते हुए कहा कि भले ही हमारे कंधे किसी भी दोष या आलोचना को सहन करने के लिए काफी चौड़े हैं, लेकिन अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार की आड़ में सोशल मीडिया के माध्यम से न्यायालय में लंबित मामलों के संबंध में पोस्ट की जा रही हैं, जो न्यायपालिका को कमजोर करने की तरफ इशारा कर रहे हैं। पीठ ने कहा कि न्यायालयों की न्याय प्रक्रिया में इस तरह के हस्तक्षेप पर गंभीरता से विचार करने की जरूरत है।

भ्रामक पोस्ट के लिए AIUDF विधायक को अवमानना नोटिस
पीठ ने ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (AIUDF) विधायक को अवमानना नोटिस जारी करते हुए कहा कि इस मामले को अधिक गंभीरता से लेने की आवश्यकता है। विधायक को कार्यवाही के दौरान कोर्ट में पेश होने का भी निर्देश दिया गया है। विधायक पर आरोप है कि उन्होंने शीर्ष अदालत में फैसले के लिए आरक्षित एक मामले के संबंध में भ्रामक फेसबुक पोस्ट की है। शीर्ष अदालत ने कहा है कि मामले को उचित पीठ के समक्ष सूचीबद्ध कर भारत क मुख्य न्यायाधीश के समक्ष रखा जाए।