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सैल्यूट इनको,,,नाश्ता बेचने वाले ये दम्पति MBA हैं, इनके पास अच्छी नौकरी हैं,,,सारी कमाई ”उन्हें” सौंपते हैं ताकि वो अपने बीमार पति का इलाज करा सके!

राधादेव शर्मा
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कांदीवली स्टेशन (मुंबई) के बाहर सुबह का नाश्ता बेचते ये दम्पति आपको दिख जाएँगे।
अंकुश और अश्विनी ये खुद के लिए नहीं करते और इनको पैसे की कोई कमी भी नहीं है।
आप विश्वास नहीं करेंगे, सुबह 4 बजे से 9:30 तक नाश्ता बेचने वाले ये दम्पति MBA पढ़े हैं और इनके पास अच्छी नौकरी भी हैं।
हर दिन सुबह यह लोग अपनी 55 वर्षीय मेड /कुक/ बाई द्वारा बने सामानों को बेचते हैं और सारी कमाई उन्हें सौंपते हैं ताकि वो अपने बीमार पति का इलाज करा सके और मेड के बच्चों की पढ़ाई, बिना किसी से मदद माँगे ढंग से हो सके।
कांदीवली स्टेशन के बाहर सरोवर resturant के पास इनके ठेले पर इडली, पाव, बन मशका, पोहा इत्यादि सुबह का नाश्ता सस्ते दामों पर मिलता है और इस दुकान पर सुकून और सेवा की मुस्कान भी मुफ़्त मिलेगी।
ऐसे ही लोग अहसास दिलाते हैं कि इंसानियत आज भी superhit है। सैल्यूट इनको। 🙏

राधादेव शर्मा
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हमारे शहर में एक समोसा बेचने वाले की दुकान पर खूब भीड़ रहती है, समोसा बनाने और बेचने से जरा भी फुर्सत नहीं है उसे। उसकी दुकान पर भीड़ का फायदा उठा कर एक व्यक्ति हर रोज उससे एक समोसा मांगता और बिना पैसे दिए लेकर चला जाता। पड़ोसी दुकानदार काफी दिनों से यह हरकत नोट कर रहा था और समोसे वाले दुकानदार को बेवकूफ भी समझ रहा था, लेकिन यह मामला कई दिनों तक जब लगातार जारी रहा तो उस पड़ोसी दुकानदार से रहा न गया और उसने समोसे वाले दुकानदार को बोला- लालाजी आप तो निरे बेवकूफ हो, एक व्यक्ति आपको महीनों से बेवकूफ बना कर रोज आपसे मुफ्त में एक समोसा ले जाता है और आपकी आंखों में धूल झोक जाता है।

समोसे वाले दुकानदार ने कहा- महोदय, न तो मैं मूर्ख हूँ और न ही वह मेरी आखों में धूल झोक रहा है। मुझे पता है कि वह मेरी दुकान के सामने दूर बैठा रहता है और भीड़ बढ़ते ही रोजाना बिना पैसे दिए एक समोसा लेकर चला जाता है, लेकिन जो मैं समझ पा रहा हूँ वह कोई दूसरा नहीं देख पा रहा है। महोदय, मुझे लगता है कि वह रोज मेरी दुकान में भीड़ बढ़ने के लिए ईश्वर से प्रार्थना करता है ताकि वह एक समोसा लेकर जा सके और उसकी प्रार्थना सुनकर ही शायद ईश्वर की कृपा से मेरी दुकान पर रोज ग्राहकों की भीड़ हो रही है और मेरा परिवार आनंद से फल-फूल रहा है।

कभी भी अपनी दुकान, अपने घर या अन्य किसी संस्थान से किसी गरीब को खाली हाथ मत भेजिए, क्या पता आपको किस की दुआओं से सब कुछ प्राप्त हो रहा हो।