लखनऊ: बीआरडी कॉलेज गोरखपुर में पिछले वर्ष अगस्त के महीने में बाल त्रासदी हुई थी जिसमें तीन महीनों में एक हज़ार मासूम बच्चों की मौत होगई थी,जिसमें सिर्फ अगस्त के महीने में ही 378 बच्चे मरे थे,उसके बाद सितंबर में ये संख्या बढ़कर 433 होगई थी,और फिर अक्टूबर में 150 के लगभग बच्चे मरे थे।
अगस्त में ऑक्सीजन की कमी के कारण बच्चों की मौत हुई थी,जिसके बाद उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री ने शर्मनाक ब्यान दिया था और कहा था अगस्त के महीने में तो बच्चों की मौत होती ही है,सरकार ने इस पूरी घटना में बाल रोग विशेषज्ञ डॉक्टर कफ़ील अहमद को दोषी ठहराया हुआ था जिसके चलते वे 7 महीनों से जेल में बंद थे,लेकिन उन्हें ज़मानत नही मिल रही थी,कल इलाहबाद हाईकोर्ट से कफ़ील अहमद की जमानत मन्ज़ूर होगई है।
ज़मानत मन्ज़ूर होने के बाद देश के मशहूर पत्रकार रवीश कुमार ने कहा कि “गोरखपुर की सैकड़ों “माओं” की “दुआओं” का असर, मासूमों को बचाने वाले “डॉ. कफील खान” को “कोर्ट” से मिली “जमानत”, एक बार फिर “बुराई” हार गई और “अच्छाई” की जीत हुई। #DrKafeelKhan”
https://twitter.com/SirRavishKumar/status/989133017594523648?s=19
किन धाराओं में कफ़ील पर मुक़दमा दर्ज है ?
पुलिस ने कफील के खिलाफ 409, 308 और 120 बी आईपीसी में आरोप पत्र प्रस्तुत किया गया है। उसके खिलाफ कोई साक्ष्य नहीं है। सरकार की ओर से जमानत का विरोध किया गया। कहा गया कि याची की देखरेख में जिन बच्चों का इलाज चल रहा था, उनकी चिकित्सकीय लापरवाही से मौत हुई हे।
अस्पताल में ऑक्सीजन का प्रबंध न होने से बच्चों की जान गई है। आरोप गंभीर हैं इसलिए जमानत का आधार नहीं है। कोर्ट ने कहा कि मामले में जांच पूरी हो गई और आरोपपत्र भी दाखिल किया जा चुका है। जमानत दिए जाने का पर्याप्त आधार है। याची की अर्जी मंजूर करते हुए उसे अधीनस्थ न्यायालय में बंधपत्र और मुचलका प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। उल्लेखनीय है कि बीआरडी मेडिकल कॉलेज में इनसेफलाइटिस से पीड़ित करीब 18 बच्चों की एक ही दिन में मौत हो गई थी। जांच में पता चला कि अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी के कारण बच्चों की जान गई है। जांच से यह भी पता चला कि महीने भर के दौरान चिकित्सकीय लापरवाही से कई बच्चों की जान जा चुकी है। डा. कफील की इस मामले में भूमिका संदिग्ध पाए जाने पर उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है।