धर्म

सूरै रहमान-फिर ऐ जिनों और इंसानों, तुम अपने ख़ुदा की कौन-कौन-सी क़ुदरतों का इंकार करोगे

Farooque Rasheed Farooquee
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. सूरै रहमान (मक्की) (आयतें- 78)
अल्लाह के नाम से जो रहमान और रहीम है।
वह रहमान ही है (1) जिसने क़ुरआन-ए-करीम की तालीम दी।(2) उसी ने इंसान को पैदा किया।(3) उसी ने इंसान को बोलना सिखाया।(4) सूरज और चांद एक ख़ास निज़ाम के तहत गर्दिश कर रहे हैं (5) और दरख़्तों और और सितारों ने भी अपने बलंद सरों को इस निज़ाम के आगे झुका दिया है।(6) यह पुरानी स्वभाविक व्यवस्था है। ख़ुदा ने जब आसमान को पैदा किया और उसे ऊंचा किया तो उसी वक़्त एक इंसाफ़ का तराज़ू भी क़ायम कर दिया।(7)
( जिस तरह सूरज, चांद, दरख़्त, आसमान अपने निज़ाम के मुताबिक़ काम करते हैं उसी तरह) तुम भी इंसाफ़ के इस निज़ाम को पूरी तरह क़ायम रखो और उसमें किसी तरह की ज़्यादती न करो।( 8-9)

और उसी ने मख़लूक़ के लिए ज़मीन को ( रहने के क़ाबिल) बनाया।(10) जिसमें बहुत कसरत से मेवे और खजूर के दरख़्त हैं। जिनके फल पत्तियों में लिपटे हुए हैं।(11) और इस ज़मीन में भूसे वाला अनाज और ख़ुशबूदार फल हैं।(12) इसलिए ( ऐ जिनों और इंसानों) तुम अपने परवरदिगार की किस-किस नेमत को झुठलाओगे।(13) इंसान को उसने ठीकरे की तरह खनखनाते हुए सूखे और सड़े गारे से बनाया (14) और जिनों को आग के शोले से पैदा किया (15) इसलिए तुम अपने रब की क़ुदरत के कौन-कौन से अजूबों को झुठलाओगे।(16)

वही दोनों मशरिक़ों और मग़रिबों का मालिक है।(17) फिर ऐ जिनों और इंसानों, तुम अपने ख़ुदा की कौन-कौन-सी क़ुदरतों का इंकार करोगे।(18) उसने खारी और मीठे पानी के दो समन्दर जारी किए कि दोनों आपस में मिले हुए हैं फिर भी एक-दूसरे से मिल नहीं सकते, क्योंकि दोनों के बीच उसने फ़ासले की हद क़ायम कर दी है।(19-20) इसलिए ऐ जिनों और इंसानों, तुम अपने रब की क़ुदरत के कौन-कौन-से अजूबों को झुठलाओगे? (21) इन समन्दरों से मोंगे और मोती निकलते हैं। इसलिए ऐ जिनों और इंसानों, तुम अपने रब की किन-किन-नेमतों को झुठलाओगे। और ये जहाज़ उसी के हैं जो समन्दर में पहाड़ों की तरह ऊंचे (नज़र आते) हैं। इसलिए ऐ जिनों और इंसानों तुम अपने रब की कौन-कौन-सी नेमतों का इंकार करोगे।(22-25)

ज़मीन पर जो हैं सब फ़ना ( ख़त्म) हो जाने वाले हैं और सिर्फ़ आपके रब की ज़ात जो अज़मत और इज़्ज़त वाली है बाक़ी रह जाएगी। फिर तुम अपने रब की किस-किस नेमत को झुठलाओगे?(26-28) सब आसमानों और ज़मीन वाले उसी से मांगते हैं। हर रोज़ वह एक नई शान में है। फिर तुम अपने रब की किस-किस नेमत को झुठलाओगे।( जिनों और इंसानों के गिरोहों!) जल्द ही हम तुम्हारी तरफ़ पूरी तरह ध्यान देंगे। फिर तुम अपने रब की किस-किस नेमत को झुठलाओगे।(29-32)

ऐ जिनों और इंसानों के गिरोह! अगर तुम्हारी ताक़त में है कि ज़मीन और आसमानों के अंदर से अपनी राह पैदा करके आगे निकल जाओ तो इसके लिए भी कोशिश करके देखो, मगर बग़ैर अल्लाह के कुछ न कर सकोगे‌ और याद रखो कि वह ताक़त तुम्हारे बस में नहीं। फिर अपने रब की किस-किस नेमत को झुठलाओगे।(33-34) तुम पर आग का धुआं और उसकी लपट छा जाएगी और तुम्हारे पास कोई ताक़त ऐसी नहीं है कि उसके ज़रिए तुम उस तबाही को दूर कर सको। फिर तुम अपने रब की नेमतों में से किस-किस नेमत को झुठलाओगे।(35-36)


फिर उस वक़्त क्या होगा जब आसमान फट जाएगा और तेल की तल्छट की तरह सुर्ख़ हो जाएगा। इसलिए ऐ जिनों और इंसानों तुम अपने रब की कौन-कौन-सी क़ुदरतों का इंकार करोगे।(37-38) उस रोज़ किसी जिन और किसी इंसान से उसके गुनाह के बारे में सवाल की ज़रूरत न होगी। इसलिए तुम अपने रब की किन-किन नेमतों का इंकार करोगे। गुनाहगारों को उनके चेहरे से पहचान लिया जाएगा। फिर उनको पेशानी के बाल और पांव पकड़कर घसीटा जाएगा। इसलिए तुम अपने रब की किस-किस नेमत को झुठलाओगे।(39-45)

और हर उस आदमी के लिए जो अपने रब के सामने खड़ा होने से डरता है, दो बाग़ हैं। इसलिए तुम अपने रब की किस-किस नेमत को झुठलाओगे। वह दो बाग़ हरी-भरी डालियों वाले होंगे। फिर तुम अपने रब की किस-किस नेमत को झुठलाओगे।(46-49) बागों में दो बहते हुए चश्मे होंगे। फिर तुम अपने रब की किन-किन नेमतों को झुठलाओगे। उन दोनों बागों में मेवे की दो क़िस्में होंगी। फिर तुम अपने रब की किस-किस नेमत को झुठलाओगे? और वह ऐसे फ़र्श पर तकिया लगाए बैठे होंगे जिनके अस्तर मोटे रेशम के होंगे और बागों के फल बहुत ही क़रीब होंगे। फिर तुम अपने रब की किन-किन नेमतों को झुठलाओगे।(50-55) उनमें शर्मीली निगाहों वाली औरतें होंगी। जिन्हें उन जन्नती लोगों से पहले किसी इंसान या जिन ने छुआ न होगा।। फिर तुम अपने रब की किस-किस नेमत का इंकार का इंकार करोगे? वह औरतें ऐसी ख़ूबसूरत होंगी, जैसे याक़ूत और मूंगे! इसलिए तुम अपने रब की किस-किस नेमत का इंकार करोगे? अहसान का बदला अहसान के सिवा क्या है। इसलिए तुम अपने रब की किस-किस नेमत को झुठलाओगे।(56-61)

इन दो बाग़ों के अलावा दो और बाग़ होंगे। इसलिए ऐ जिनों और इंसानों, तुम अपने रब की किस-किस नेमत का इंकार करोगे। वह दोनों बहुत हरे-भरे होंगे इसलिए तुम दोनों अपने रब की किस-किस नेमत का इंकार करोगे। उन दोनों में पानी के उबलते हुए चश्मे होंगे। इसलिए तुम दोनों अपने रब की किस-किस नेमत को झुठलाओगे। उनमें दो बाग़ों में मेवे, खजूरें और अनार होंगे। इसलिए तुम अपने रब की किन-किन नेमतों को झुठलाओगे।(62-69) उनमें नेक सीरत और ख़ूबसूरत औरतें होंगी। इसलिए तुम दोनों अपने रब की किस-किस नेमत का इंकार करोगे।(70-71)

हूरें जन्नती ख़ैमों में रहने वाली हैं। इसलिए तुम दोनों अपने रब की किन-किन नेमतों को झुठलाओगे। जन्नत वालों से पहले उन्हें किसी इंसान या जिन ने नहीं छुआ होगा। इसलिए तुम दोनों अपने रब की किस-किस नेमत का इंकार करोगे। वह जन्नती सब्ज़ मसनदों और अच्छे फ़र्शों पर तकिया लगाए हुए होंगे। इसलिए तुम दोनों अपने रब की कौन-कौन-सी नेमतों का इंकार करोगे। ऐ नबी (स०) आपके रब का नाम बड़ी बरकत वाला है, जो इज़्ज़त और जलाल वाला है।(72-78)

अल्लाह पाक ने सच फ़रमाया और रसूल सललल्लाहु अलैहि वसल्लम, जो नबी थे और लिखना-पढ़ना नहीं जानते थे, ने सच फ़रमाया और हम इस पर गवाही देने वालों में से हैं।