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सुप्रीम कोर्ट से अब किसी को ज़्यादा उम्मीदें नहीं हैं, मुझे भी नहीं हैं : Dr. Mukesh Kumar का लेख

Dr. Mukesh Kumar
@mukeshbudharwi
जस्टिस संजीव खन्ना आज सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश का कार्यभार संभालने जा रहे हैं।
सुप्रीम कोर्ट से अब किसी को ज़्यादा उम्मीदें नहीं हैं, मुझे भी नहीं हैं। पिछले मुख्य न्यायाधीशों ने देश को बहुत बुरी तरह से निराश किया है। एक के बाद एक न्यायाधीशों ने हमारे आपके विश्वास को कमज़ोर किया है।
जस्टिस खन्ना कई विवादास्पद फ़ैसलों के हिस्सा रहे थे जैसे कि धारा 370 को हटाने वाले निर्णय का उन्होंने साथ दिया था।
मगर मुश्किल ये है कि हमारे पास जनता के अलावा उम्मीदों का कोई स्रोत है तो वह सुप्रीम कोर्ट ही है।
कहा जा रहा है कि जस्टिस खन्ना के पास केवल छह महीने का समय है इसलिए वे क्या ही कर पाएंगे। मगर मेरे हिसाब से चंद्रचूड़ जो दो साल में नहीं कर पाए वे छह महीने में कर सकते हैं।
बशर्ते वे इस ऐतिहासिक अवसर के महत्व को समझें और रिटायरमेंट के बाद के लाभ को परे रख दें और सरकारी दबाव के सामने घुटने न टेकें।
अगर वे अपने चाचा जस्टिस एच. आर. खन्ना की विरासत को जी सकें तो वे भी उनकी तरह अमर हो सकते हैं। उन्होंने आपातकाल के दौरान कुख्यात जबलपुर एडीएम मामले में अपनी असहमति दर्ज़ कराई थी और मुख्य न्यायाधीश बनने से वंचित कर दिए गए थे।
और उन्हें बहुत बड़े फ़ैसले देने की ज़रूरत नहीं है।
वे हेट स्पीच, धर्म के राजनीति में इस्तेमाल, चुनाव आयोग की स्वायत्ता, मीडिया की स्वतंत्रता, मानवाधिकारों के हनन, एजंसियों के बेजा इस्तेमाल जैसे कुछ मामलों में ठोस कार्रवाई करके भी ऐसी मिसालें कायम कर सकते हैं जो उनके पहले के न्यायाधीश नहीं कर सके।

डिस्क्लेमर : लेख X से प्राप्त है, लेखक के निजी विचार हैं, तीसरी जंग का कोई सरोकार नहीं है