सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को बॉम्बे हाईकोर्ट के एक आदेश पर रोक लगा दी। बॉम्बे हाईकोर्ट ने गोवा के पांच गांवों कलंगुट-कैंडोलिम, अरपोरा, नागोआ और पारा के दिसंबर 2022 के आउटलाइन डेवलेपमेंट प्लान को बर्खास्त कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाते हुए कहा कि अदालत प्रशासन नहीं चला सकती। जस्टिस बेला एम त्रिवेदी और जस्टिस पंकज मित्तल की अवकाश पीठ ने गोवा सरकार के टाउन एंड प्लानिंग विभाग की याचिका पर यह आदेश दिया।
गोवा सरकार के विभाग ने बॉम्बे हाईकोर्ट की गोवा पीठ के फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कहा कि तथ्यों और परिस्थितियों को देखते हुए हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाई जाती है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने आउटलाइन डेवलेपमेंट प्लान (ओडीपी) के तहत किसी भी तरह के निर्माण कार्य पर तब तक रोक जारी रखने का आदेश दिया, जब तक मामला हाईकोर्ट के समक्ष लंबित है। सुप्रीम कोर्ट ने अब मामले पर सुनवाई जुलाई के तीसरे हफ्ते तक स्थगित कर दी है।
ओडीपी स्थानीय स्तर पर भविष्य के विकास के लिए बनाई जाने वाली योजना है, जिसे स्थानीय लोग, भूमि के मालिक और संबंधित सरकारी विभाग साथ मिलकर बनाते हैं। दिसंबर 2022 में गोवा के पांच गांवों के लिए 2030 तक बनाई गई विकास योजना के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी।
महिला ने 25 हफ्ते के गर्भ को गिराने की मांगी इजाजत, सुप्रीम कोर्ट ने एम्स को मेडिकल बोर्ड के गठन का दिया निर्देश
एक महिला ने आर्थिक स्थिति का हवाला देते हुए 25 हफ्ते के गर्भ को गिराने की इजाजत मांगते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। अब याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को एम्स को निर्देश देते हुए एक मेडिकल बोर्ड गठित करने को कहा है। यह मेडिकल बोर्ड महिला की शारीरिक स्थिति की समीक्षा करेगा। सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की अवकाश पीठ ने मेडिकल बोर्ड को 27 मई तक अपनी रिपोर्ट सौंपने को कहा है।
महिला के वकील ने कोर्ट को बताया कि याचिकाकर्ता को 17 मई को ही अपने गर्भवती होने का पता चला। वह दुबई से भारत आई है और फिलहाल एक होटल में ठहरी हुई है। सुप्रीम कोर्ट अब अगले सोमवार को इस मामले पर सुनवाई करेगा। भारत में मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी कानून के तहत 24 हफ्ते से ज्यादा समय के गर्भ तभी गिराया जा सकता है, जब गर्भ में पल रहे बच्चे को खतरनाक बीमारी हो और मेडिकल बोर्ड इसकी मंजूरी दे। साथ ही गर्भवती महिला की भलाई के लिए ही गर्भ को गिराने की अनुमति दी जा सकती है।
सिप्पी सिद्धू हत्याकांडः आरोपी की याचिका पर सुनवाई से हटी सुप्रीम कोर्ट की दो जजों की पीठ
सुप्रीम कोर्ट की दो जजों की पीठ ने मंगलवार को सिप्पी सिद्धू हत्याकांड में आरोपी की याचिका पर सुनवाई से खुद को अलग कर लिया है। सिप्पी सिद्धू हत्याकांड में आरोपी पूर्व जज की बेटी कल्याणी सिंह है। राष्ट्रीय स्तर के निशानेबाज सिप्पी उर्फ सुखमनप्रीत सिंह सिद्धू की चंडीगढ़ में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की अवकाश पीठ ने कहा कि वे इस मामले में सुनवाई के इच्छुक नहीं है क्योंकि इसमें एक पूर्व न्यायाधीश की बेटी शामिल है। मामले को अब अगले सप्ताह किसी अन्य अवकाश पीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया जाएगा। कल्याणी सिंह ने बीती 25 अप्रैल को पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी।