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सुप्रीम कोर्ट ने राजीव गांधी की हत्या के मामले में उम्र क़ैद की सज़ा काट रहे सभी दोषियों की रिहाई का आदेश दे दिया

सुप्रीम कोर्ट ने राजीव गांधी की हत्या के मामले में उम्र क़ैद की सज़ा काट रहे छह अभियुक्तों को जेल से रिहा कर दिया है. शीर्ष अदालत ने नलिनी और आरपी रविचंद्रन समेत सभी दोषियों की रिहाई का आदेश दे दिया.

कोर्ट का आदेश आने के एक घंटे बाद ही उम्र क़ैद की सज़ा काट रहे सभी अभियुक्तों को रिहा कर दिया गया.

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस बी वी नागरत्न की बेंच ने कहा कि इन लोगों के केस में भी एक अभियुक्त ए जी पेरारिवलन के मामले में दिया गया फ़ैसला लागू होगा.

इस साल 18 मई को कोर्ट ने संविधान के अनुच्छेद 142 में दिए गए असाधारण शक्तियों का हवाला देकर पेरारिवलन को रिहा कर दिया था. पेरारिवलन राजीव गांधी हत्याकांड में 30 साल उम्र क़ैद की सज़ा काट चुके थे.

जबकि श्रीहरन, रविचंद्रन, संथन, मुरुगन, एजी पेरारिवलन और रॉबर्ट पायस और जयकुमार को उम्र क़ैद की सज़ा दी गई थी और ये 23 साल जेल में बिता चुके हैं.

बेंच ने इन लोगों को रिहाई के आदेश देते हुए कहा कि दोषियों ने 30 साल जेल में बिताए हैं. इस दौरान उन्होंने अपना समय पढ़ाई में लगाया और डिग्रियां हासिल कीं.

सभी अभियुक्त ख़ुद को समय से पहले रिहा करने की मांग को लेकर लंबी क़ानूनी लड़ाई लड़ते रहे थे. तमिलनाडु सरकार ने भी इन्हें समय से पूर्व रिहा करने के लिए गवर्नर से सिफ़ारिश की थी. हालांकि गवर्नर ने इस सिफ़ारिश को मानने से इनकार करते हुए राष्ट्रपति को फ़ाइल भेज दी थी.

बाकी अभियुक्तों ने ए.जी. पेरारिवलन को सुप्रीम कोर्ट की ओर से रिहा करने के आदेश का हवाला देकर रिहाई की मांग की थी.

इससे पहले मद्रास हाई कोर्ट में जून में नलिनी और रविचंद्रन ने रिट याचिका दायर कर तमिलनाडु सरकार से रिहाई का निर्देश देने की मांग थी. इसमें कहा गया था कि उनकी रिहाई के लिए सितंबर 2018 में कैबिनेट ने जो सिफ़ारिश की थी, उस पर गवर्नर की मंज़ूरी के बगैर अमल हो जाए.

सोनिया ने दोषी नलिनी को माफ़ कर दिया था

राजीव गांधी हत्याकांड में जब नलिनी को गिरफ़्तार किया गया, तब वो गर्भवती थीं. उस समय वो गर्भवती थीं. उसकी प्रेग्नेंसी को दो महीने हो गए थे. नलिनी श्रीहरन को आत्मघाती दस्ते का सदस्य होने का दोषी पाया गया था.

नलिनी को पहले तीन अन्य दोषियों के साथ मौत की सज़ा सुनाई गई थी, लेकिन सोनिया गाँधी की अपील के बाद नलिनी की सज़ा को घटाकर उम्र क़ैद में तब्दील कर दिया गया था. सोनिया ने कहा था कि नलिनी की ग़लती की सज़ा एक मासूम बच्चे को कैसे मिल सकती है, जो अब तक दुनिया में आया ही नहीं है.

19 लोग पहले ही बरी हो गए थे

राजीव गांधी हत्याकांड में ट्रायल कोर्ट ने 26 दोषियों को मौत की सज़ा सुनाई थी. हालांकि मई 1999 में सुप्रीम कोर्ट ने 19 लोगों को बरी कर दिया था. बचे हुए सात में से चार अभियुक्तों (नलिनी, मुरुगन उर्फ श्रीहरन, संथन और पेरारिवलन) को मृत्युदंड सुनाया गया और बाकी (रविचंद्रन, रॉबर्ट पायस और जयकुमार) को उम्र क़ैद की सज़ा मिली.

चारों की दया याचिका पर तमिलनाडु के राज्यपाल ने नलिनी की मौत की सज़ा तो उम्र क़ैद में तब्दील कर दी. बाकी अभियुक्तों की दया याचिका 2011 में राष्ट्रपति ने ठुकरा दी थी.

राजीव गांधी की हत्या

21 मई, 1991 को राजीव गांधी की तमिलनाडु के श्रीपेरंबदूर में एक चुनावी रैली के दौरान धनु नाम की लिट्टे की एक आत्मघाती हमलावर ने हत्या कर दी थी.

एलटीटीई की महिला चरमपंथी धनु ने राजीव को फूलों का हार पहनाने के बाद उनके पैर छूए और झुकते हुए कमर पर बंधे विस्फोटकों में ब्लास्ट कर दिया. राजीव और हमलावर धनु समेत 16 लोगों की घटनास्थल पर ही मौत हो गई, जबकि 45 लोग गंभीर रूप से घायल हुए.

उस वक्त मुश्किल से दस गज की दूरी पर गल्फ़ न्यूज़ की संवाददाता और इस समय डेक्कन क्रॉनिकल, बेंगलुरु की स्थानीय संपादक नीना गोपाल, राजीव गांधी के सहयोगी सुमन दुबे से बात कर रही थीं.

नीना याद करती हैं, “मुझे सुमन से बातें करते हुए दो मिनट भी नहीं हुए थे कि मेरी आंखों के सामने बम फटा. मैं आमतौर पर सफ़ेद कपड़े नहीं पहनती. उस दिन जल्दी-जल्दी में एक सफ़ेद साड़ी पहन ली.

बम फटते ही मैंने अपनी साड़ी की तरफ़ देखा. वो पूरी तरह से काली हो गई थी और उस पर मांस के टुकड़े और ख़ून के छींटे पड़े हुए थे. ये एक चमत्कार था कि मैं बच गई. मेरे आगे खड़े सभी लोग उस धमाके में मारे गए थे.”

नीना बताती हैं, “बम के धमाके से पहले पट-पट-पट की पटाखे जैसी आवाज़ सुनाई दी थी. फिर एक बड़ा-सा हूश हुआ और ज़ोर के धमाके के साथ बम फटा. जब मैं आगे बढ़ी तो मैंने देखा लोगों के कपड़ों में आग लगी हुई थी, लोग चीख़ रहे थे और चारों तरफ़ भगदड़ मची हुई थी. हमें पता नहीं था कि राजीव गांधी जीवित हैं या नहीं.”

श्रीपेरंबदूर में उस भयंकर धमाके के समय तमिलनाडु कांग्रेस के तीनों चोटी के नेता जी के मूपनार, जयंती नटराजन और राममूर्ति मौजूद थे. जब धुआँ छटा तो राजीव गाँधी की तलाश शुरू हुई. उनके शरीर का एक हिस्सा औंधे मुंह पड़ा हुआ था. उनका कपाल फट चुका था और उसमें से उनका मगज़ निकल कर उनके सुरक्षा अधिकारी पीके गुप्ता के पैरों पर गिरा हुआ था जो स्वयं अपनी अंतिम घड़ियाँ गिन रहे थे.

केस की जाँच के लिए सीआरपीएफ़ के आईजी डॉक्टर डीआर कार्तिकेयन के नेतृत्व में एक विशेष जाँच दल का गठन किया. कुछ ही महीनो में इस हत्या के आरोप में एलटीटीई को सात सदस्यों को गिरफ़्तार किया गया. मुख्य अभियुक्त शिवरासन और उसके साथियों ने गिरफ़्तार होने से पहले साइनाइड खा लिया.

लिट्टे ने रची थी साज़िश

दरअसल राजीव गांधी ने श्रीलंका में लिट्टे विद्रोहियों को क़ाबू करने के लिए भारतीय सैनिक भेजे थे. शांति सेना के नाम से भारत की सेना भेजने के इस फ़ैसले से लिट्टे नाराज़ था. 1991 में जब लोकसभा चुनाव के लिए प्रचार पर निकले राजीव गांधी चेन्नई के पास श्रीपेरंबदूर पहुंचे तो वहां लिट्टे ने राजीव पर हमला करने का प्लान बनाया और इसे अमली जामा पहनाया.

केंद्र ने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या की जांच के लिए बनाई गई स्पेशल जांच एजेंसी को भंग कर दिया है. यह मल्टी डिसीप्लीनरी मॉनिटरिंग एजेंसी राजीव गांधी की हत्या के पीछे किसी बड़ी साज़िश की जांच के लिए बनाई गई थी.

इसे 1998 में जैन आयोग की सिफ़ारिश पर बनाया गया था. इस मामले में अब विदेशी साज़िश की जांच सीबीआई करेगी.