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सुप्रीम कोर्ट ने असम के 40 लाख हिन्दू मुसलमानों को NRC ड्राफ्ट पर दी राहत-जानिए क्या आदेश दिया?

नई दिल्ली:NRC के ड्राफ्ट मसौदा के कारण 40 लाख आसामी नागरिको पर भारतीय नागरिक होने पर तलवार लटक गई थी,जिसके बाद देशभर में बैचैनी फैल गई,आज सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए ये साफ कर दिया है कि ड्राफ्ट मसौदे के आधार पर किसी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जा सकती।

सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि बेहतर होगा, ‘आप ही निर्देश दें कि जिनका नाम सूची में दर्ज नहीं है उनके खिलाफ फिलहाल कोई कार्रवाई नहीं होगी. इस पर अदालत ने साफ कहा, ‘हम फिलहाल कोई निर्देश नहीं देंगे. अभी आप पूरी तफसील के साथ क्लेम और रिजेक्शन को लेकर मानक कार्य प्रक्रिया तैयार करें. हम उसे अपनी मंज़ूरी देंगे. हम फिलहाल चुप रहेंगे. लेकिन इस चुप्पी का मतलब ये नहीं है कि हम आपकी स्कीम से सहमत हैं या असहमत.’

कोर्ट में सुनवाई शुरू होते ही स्टेट कॉर्डिनेटर प्रतीक हजेला ने कोर्ट के आदेश की अनुपालन रिपोर्ट सौंपी. रिपोर्ट सौंपते हुए हजेला ने कहा कि 30 अगस्त से 20 सितंबर तक लोग ये कारण जान सकते हैं कि उनका नाम NRC में क्यों नहीं आया. वो इसके लिए NRC सेवा केंद्र जा सकते हैं. सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि NRC फाइनल लिस्ट जारी करने की आखिरी तारीख क्या है?

इसके जवाब में हजेला ने कहा कि NRC ने फाइनल लिस्ट जारी करने की आखिरी तारीख तय नहीं की है. ये सुप्रीम कोर्ट को तय करना है. इस पर जस्टिस गोगोई ने पूछा कि NRC को लेकर SOP क्या है?

बता दें कि सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने एनआरसी के समन्यवक समिति से कई सवाल किए. कोर्ट ने पूछा कि ऑपरेटिंग प्रोसिजर के लिए क्या किया गया. साथ ही यह भी पूछा कि इसके लिए कितना अभ्यास किया गया.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मामले की जटिलता और शिकायत को देखते हुए निष्पक्ष रूप से पूरी प्रक्रिया को अपनाए जाने की जरूरत थी. अगर कुछ लोग इस लिस्ट में जगह नहीं बना सके हैं तो हमें इसे ठीक करना चाहिए. समन्वयक समिति ने कहा कि अगले कुछ हफ्तों में इसे पूरी तरह से ठीक कर लिया जाएगा.

सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि ये सिर्फ एक ड्राफ्ट NRC है. इसके आधार पर कोई कार्रवाई नहीं हो सकती. इसके लिए फाइनल NRC जरूरी है. जिनके नाम लिस्ट में नहीं हैं उनके दावों और आपत्तियों की जांच के लिए निष्पक्ष प्रक्रिया अपनाई जानी चाहिए. इस बाबत कॉर्डिनेटर और सरकार वो प्रकिया कोर्ट को बताएं जिनके जरिए दावों व आपत्तियों की छानबीन होगी.

नियम के मुताबिक, लोकल रजिस्टार सभी लोगों की शिकायतों का निपटारा करेगा. उन्हें सूची में क्यों नही शामिल किया गया है ये भी बताएगा.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा केंद्र सरकार ने भरोसा दिया है कि वो अगस्त के मध्य तक ये सब कोर्ट को बताएंगे. कोर्ट ने कहा, ‘हम संबंधित विभागों को कोर्ट में डिटेल देने की अनुमति देते हैं. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगली सुनवाई 16 अगस्त को होगी, जिसमें कोर्ट तय करेगी कि आगे की कार्रवाई कैसे की जाएगी. इससे पहले सरकार ड्राफ्ट लिस्ट सात अगस्त से सावर्जनिक करेगी.

बता दें कि अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने सुप्रीम कोर्टसे कहा कि हम इसे अनिवार्य बनाए जाने की स्थिति पर होने वाली जटिलताओं से पूरी तरह से इससे वाकिफ हैं. कोर्ट को इस संबंध में दिशा-निर्देश दिया जाना चाहिए कि इसे लागू करने के लिए बलपूर्वक एक्शन नहीं किया जाए. अटार्नी जनरल ने कहा कि बेहतर होता कि सुप्रीम कोर्ट बेंच इस बारे में स्थिति साफ करे और इसे लागू करने को लेकर निर्देश दे।