साहित्य

सुनो,,,,!…मुझे तुमसे प्रेम है, ऐसा उसने कई बार कितनी स्त्रियों से कहा….

Sunita Devi
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सुनो!
मुझे तुमसे
प्रेम है
ऐसा उसने
कई बार कितनी
स्त्रियों से कहा –
उसने पूछा
कितना प्रेम है ?
उसने कहा _
जितना लोग लाल रंग को पसंद करते है
उसने कहा_
मुझे इश्क है
उसने पूछा कितना इश्क है?
उसने कहा_
जितनी शिद्दत किसी को
पाने की हो
सकती हो उतना
उसने कहा _
मुझे तुमसे
मोहब्बत है
उसने पूछा
कितनी मोहब्बत है?
उसने कहा _
जहा किसी
को खोने
का डर मौत
बन जाए
उतनी
मोहब्बत है
उसने कहा_
मुझे तुमसे
प्यार है
उसने पूछा
कितना प्यार है?,
उसने कहा _
इस आकाश की
गहराई तक
प्यार है
लड़की खुश थी
एक साथ
रहने के लिए प्यार ,इश्क
मोहब्बत प्रेम सब कुछ था
फिर ये बंधन की
जरूरत क्या थी
रहने लगे साथ
अब अपनो की जरूरत क्या थी…….
……..सुनो !
सब शादी करते है
क्या हम भी कर ले
लड़की ने पूछा
क्योंकि प्रेम ,इश्क, प्यार, मोहब्बत
अब रंग छोड़ रहा था
एक दिन सब
कुछ काला हो गया
………
वो हॉट हॉट प्रेम था ना!
आज फ्रिज के
अंदर ठंडा
हो गया था
लाल जोड़ा
तो नसीब
नहीं हुआ
पर काली
प्लास्टिक
पॉलीथीन में
सज़ गया था
ढेर सारा प्यार
किश्तों में
काटा था
और गली
गली फेंका था
जब दो हथेली
जुड़ती थी
तो
मजाल है
कि रिक्तता दिखे
वो हथेली भी कटी थी
और डायमंड रिंग
पानी से धोकर उठा ली थी
आगे भी काम आएगी
सुनो !आज उसकी आत्मा कहती है
प्रेम का रंग
सफेद था
इश्क का रंग
सफेद था
प्यार का रंग
सफेद था
मोहब्बत का
रंग सफेद था
मेरा तो कफ़न
का रंग भी सफेद
नहीं निकला
प्रेम, इश्क,
मोहब्बत और
प्यार चुपचाप थे
सुना है आजकल
रंग खोज रहे है
अपने
आप को
सही
साबित करने के लिए
………..✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️