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सीरिया में दाइश के ताबड़ तोड़ हमलों के पीछे कौन है : रिपोर्ट

शुक्रवार को दाइश ने सीरिया के दैर अल-ज़ूर में घात लगाकर सेना की एक बस पर हमला किया था, जिसमें 33 सैनिक हताहत और 11 अन्य घायल हो गए थे, जिसमें से कुछ की हालत नाज़ुक है।

पिछले कई महीनों के दौरान, सीरियाई सैनिकों को निशाना बनाकर किए गए आतकंवादी हमलों में यह सबसे घातक हमला था।

सूत्रों का कहना है कि शुक्रवार को दैर अल-ज़ोर प्रांत में मयादीन के निकट आतंकवादियों ने सैनिकों को ले जा रही एक बस को घेर लिया और उस पर अंधाधुंध फ़ायरिंग कर दी।

अवैध ज़ायोनी शासन के इर्दगिर्द जितने भी देश हैं, उनमें सिर्फ़ लेबनान और सीरिया ऐसे अरब देश हैं, जिन्होंने इस्राईल को मान्यता प्रदान नहीं की है और वह खुलकर फ़िलिस्तीनियों के मूल अधिकारों के लिए आवाज़ उठाते हैं। यही वजह है कि इस्राईल की समर्थक कुछ शक्तियां दाइश और दूसरे तकफ़ीरी आतंकवादियों की मदद जारी रखे हुए हैं, ताकि यह दमिश्क़, तेल-अवीव के मुक़ाबले में शक्तिशाली होकर नहीं उभर सके।

इससे पहले मंगलवार को रक्क़ा के पूरब में मादान अतीक़ के इलाक़े में भी दाइश के आतंकवादियों ने सीरियाई सैनिकों को ले जा रही बस को निशाना बनाया था, जिसमें 10 सैनिकों की मौत हो गई थी।

27 जुलाई को दाइश के आतंकवादियों ने दमिश्क़ के सैयदा ज़ैनब इलाक़े में एक मोटर साइकल बम विस्फ़ोट किया था, जिसमें 6 लोगों की मौत हो गई थी और कम से कम 21 घायल हो गए थे।

यहां सवाल यह है कि कौन सी शक्तियां, फिर से सीरिया में दाइश को ऑक्सीजन प्रदान कर रही हैं और उसे फलने फूलने का मौक़ा दे रही हैं।

इसके जवाब में कहा जा सकता है कि जिन शक्तियों ने इराक़ और सीरिया में अराजकता और हिंसा फैलाने के लिए दाइश जैसे तकफ़ीरी आतंकवादियों को जन्म दिया था, एक बार फिर वह उन्हें उभारने का प्रयास कर रही हैं।

पूर्व अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प और पूर्व विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन ने स्वीकार किया था कि ओबामा प्रशासन ने दाइश के गठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। ऐसा लगता है कि अब बाइडन प्रशासन, ओबामा की विरासत को आगे बढ़ाने का प्रयास कर रहे हैं और आतंकवाद को बढ़ावा देकर क्षेत्र में अमरीकी हितों का साधना चाहते हैं।

हालिया कई रिपोर्टों में उल्लेख किया गया है कि सीरिया में ग़ैर क़ानूनी रूप से मौजूद अमरीकी सेना ने जेलों में बंद दाइश के आतंकवादियों को निकालकर, सैन्य चौकियों में स्थानांतरित किया है। सूत्रों का यह भी कहना है कि अमरीकी सैनिक सीरिया में दाइश के आतंकवादियों को ट्रेनिंग समेत ख़तरनाक हथियारों से लैस कर रहे हैं। इससे साफ़ ज़ाहिर होता है कि अमरीका, सिर्फ़ ख़ून ख़राबे और आतंकवाद में ही अपने हित सुरक्षित देखता है।