पार्सटुडे – जूलानी शासन से जुड़े तत्वों द्वारा सीरिया में नागरिकों की सामूहिक हत्या के संबंध में अंतरराष्ट्रीय संस्थानों की चुप्पी ने एक बार फिर इन संस्थानों के दोहरे मानकों व मापदंडों को साबित कर दिया है।
पार्स टुडे के अनुसार, जबकि जोलानी शासन से जुड़े तत्वों ने कल रात इस देश में नागरिकों की सामूहिक हत्याएं कीं और अंतरराष्ट्रीय संस्थानों, विशेष रूप से सुरक्षा परिषद ने इन घटनाओं पर कोई प्रतिक्रिया तक नहीं दी।
कल रात, सीरिया की सत्तारूढ़ सरकार के प्रमुख अबू मोहम्मद अल-जूलानी ने उत्तरी क्षेत्रों में अपनी सेना के खिलाफ आम नागरिकों के विरोध के जवाब में कहा: हम आंतरिक शांति को भंग नहीं होने देंगे।
उन्होंने दावा किया कि सीरिया में बश्शार अल-असद के शासन से जुड़ी ताकतें इस देश में अराजकता फैलाने की योजना बना रही हैं।
अल-जूलानी ने यह दावा तब किया है जब कुर्दिश सीरियन डेमोक्रेटिक फोर्सेज (एसडीएफ़) के कमांडर मजलूम अब्दी ने घोषणा की कि बश्शार अल-असद शासन से जुड़ी कोई भी सेना, सीरिया के उत्तरी और पूर्वी क्षेत्रों में मौजूद नहीं है।
अल-मयादीन चैनल ने यह भी बताया कि सीरियन ऑब्ज़र्वेटरी फॉर ह्यूमन राइट्स ने घोषणा की कि सीरिया के तटीय इलाकों में पांच अलग-अलग नरसंहार हुए, जिसके दौरान महिलाओं और बच्चों सहित लगभग 1 हज़ार से अधिक लोग मारे गये हैं।
इस संबंध में सीरिया में इस्लामिक काउंसिल ऑफ एलविस ने एक बयान जारी कर इस देश में संघर्षों का दायरा बढ़ने और नागरिकों की हत्याओं की बाबत चेतावनी दी है।
इस परिषद ने सुरक्षा परिषद से इस देश के समुद्री तट पर सीरियाई जनता का समर्थन करने के लिए हस्तक्षेप करने की अपील की है।
यह ऐसी हालत में है कि सुरक्षा परिषद और अंतरराष्ट्रीय संगठन, सीरिया के घटनाक्रम और इस देश में नागरिकों की हत्या के संबंध में पूरी तरह से चुप्पी साधे हुए हैं।
अमेरिका इतने युद्ध क्यों लड़ता है?
पार्सटुडे- अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति जिमी कार्टर ने ट्रम्प को एक कॉल में कहा था: अमेरिका दुनिया का सबसे युद्धप्रिय देश है।
जब भी युद्ध और सैन्य हस्तक्षेप की बात आती है, तो एक देश का नाम हमेशा सबसे ऊपर होता है: अमेरिका। एक ऐसा देश जिसने अपने 248 साल के इतिहास में 232 साल युद्ध में बिताए हैं। यानी अमेरिकी इतिहास का केवल 6 प्रतिशत हिस्सा ही युद्ध के बिना बीता है।
लेकिन क्यों? यह देश लगातार सीधे युद्धों, गुप्त तख्तापलट और अंतर्राष्ट्रीय संकटों में क्यों उलझा रहता है? क्या यह महज़ एक ऐतिहासिक घटना है, या अमेरिका के वजूद की संरचना और स्वभाव का हिस्सा है?
अमेरिका, “युद्ध का आदी” है
पार्सटुडे के अनुसार, एक बार चीन के रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता ने अमेरिका को “युद्ध का आदी” कहा था और कहा था कि यह देश वैश्विक सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा खतरा है। इतिहास पर नजर डालें तो शायद ये दावा हकीकत से दूर नहीं है:
1775 से होने वाले अमेरिकी स्वतंत्रता संग्राम से लेकर आज तक के आंकड़ों के अनुसार, अमेरिका हमेशा क़ब्ज़े, तख्तापलट या युद्ध की हालत में रहा है:
– विस्तारवादी युद्ध: मैक्सिकन ज़मीनों पर कब्ज़ा (1846-1848) और मूल अमेरिकियों का नरसंहार (1811-1890)।
– विश्व युद्ध: प्रथम विश्व युद्ध (1917) में दाख़िल होने और द्वितीय विश्व युद्ध (1945) में हिरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु बमबारी।
– शीत युद्ध युग: कोरिया, वियतनाम में हस्तक्षेप और 1953 में ईरान में तख्तापलट।
-21वीं सदी और मुसलमानों से युद्ध: अफ़ग़ानिस्तान और इराक़ पर क़ब्ज़ा, लीबिया में युद्ध, यमन और सोमालिया पर ड्रोन हमले और हाल ही में यूक्रेन में युद्ध।
– मध्ययुद्ध और तख्तापलट: उपरोक्त युद्धों के दौरान अमेरिका ने अन्य देशों के साथ भी युद्ध किए हैं, जैसे कंबोडिया और लैटिन अमेरिका पर हमला।
लेकिन अमेरिका इतने युद्ध क्यों लड़ता है?
आर्थिक अध्ययनों के अनुसार, अमेरिका “सुरक्षाप्रेम” की वजह से नहीं बल्कि आर्थिक लाभ, राजनीतिक प्रभाव बढ़ाने और हथियार बेचने के लिए युद्ध छेड़ता है।
– अमेरिकी हथियार उद्योग एक आर्थिक दैत्य है:
– यह जानना दिलचस्प है कि केवल 2023 में इस देश की हथियारों की बिक्री 238 बिलियन डॉलर थी।
– दुनिया में हथियारों की कुल बिक्री का 51 प्रतिशत हिस्सा अमेरिकी कंपनियों का है।
– संसाधनों और भू-राजनीतिक क्षेत्रों और गलियारों का नियंत्रण, अन्य युद्धों का मक़सद:
– यह कहने की आवश्यकता नहीं है: मध्यपूर्व में तेल, सैन्य बाज़ार, और रणनीतिक क्षेत्रों और जलमार्गों में स्थायी अड्डे स्थापित करना।
– मामला यह है कि आज दुनिया के 80 से ज्यादा देशों में अमेरिका के सैन्य अड्डे हैं।
– सांस्कृतिक पूंजीवाद के लिए एक वैल्यु सिस्टम लागू करना
इस बात को अमेरिकी राजनेता भी स्वीकार कर चुके हैं। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति जिमी कार्टर ने ट्रम्प से टेलीफ़ोन कॉल में कहा था:
“अमेरिका दुनिया का सबसे युद्धप्रिय देश है, क्योंकि उसने हमेशा अपने मूल्यों को दूसरों पर थोपने की कोशिश की है।
क्या यह भूख जारी रहेगी?
ऐसे में संकेत मिल रहे हैं कि यह रास्ता जारी रहेगा
– कनाडा को अमेरिका में शामिल करने की धमकी।
पनामा नहर को पुनः हासिल करने का दावा।
– ग्रीनलैंड खरीदने का प्रस्ताव दोहराना!
बेशक, इन मुद्दों पर युद्धों का समय अभी तक स्पष्ट नहीं हो सका है और ऐसा लगता है कि इसे वर्तमान समय में मानसिक रूप से तैयार किया जा रहा है!
ये केवल विस्तारवादी नीतियों के उदाहरण हैं जो अमेरिका ने अपने पड़ोसियों के ख़िलाफ भी अपनाई हैं।
निष्कर्ष
युद्ध, अमेरिका के राजनीतिक और आर्थिक डीएनए का हिस्सा है।
अमेरिका को शांति की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि वह युद्ध से पैसा कमाता है।
लेकिन क्या यह रास्ता हमेशा चलता रह सकता है?
या फिर दुनिया इन युद्धोन्मादी नीतियों के ख़िलाफ़ खड़ी होगी?
क्या अमेरिका कभी युद्ध छोड़ेगा?
Syrian Girl
@Partisangirl
The new revolutionary regime in Syria has moved onto slaughtering children in their homes.
There is no difference between Israel and HTS (AlQaeda). They both foreign invaders who think god is on their side.
We told you this would happen. And you called us Assadists.
sarah
@sahouraxo
Zeina, a young Syrian medical student, was executed in Syria by Israel, America, and NATO’s proxy terrorists. The same ones Western media calls ‘freedom fighters.’
A future doctor, murdered in the name of “freedom”.
Hassan Mafi
@thatdayin1992
More than 750 civilians have been killed by Al Jolani in Syria.
Germany, France, Italy, and several other European countries have the blood of Syrian civilians on their hands.
sarah
@sahouraxo
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Mar 8
Every single Syrian civilian in this photo was executed by Israeli-US-NATO-backed terrorists in Syria.
They were doctors, pharmacists, or university students.
Their “crime”? Being Alawites.