इसतम्बूल: तुर्की राष्ट्रपति रजब तय्यब एर्दोगान ने मीडिया को बताया कि सीरिया के आफरीन में 20 जनवरी से शुरू किए गए सैन्य अभियान के बाद से अब तक कुल 943 आतंकवादियों को नाकाम कर दिया गया है।
समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, राष्ट्रपति ने रविवार (4 फरवरी) को वैटिकन के अपने दौरे पर रवाना होने से पहले संवाददाताओं को बताया, “बेशक, इस अभियान में हमारे सैनिक भी शहीद हुए हैं.”
तुर्की सेना के आठ सैनिक शनिवार (3 फरवरी) को मारे गए. इनमें से पांच सैनिक पीपल्स प्रोटेक्शन युनिट (वायपीजी) के नाम से जाने जाने वाले कुर्द लड़ाकों द्वारा उनके टैंकों पर किए गए हमले में मारे गए।
एर्दोगन ने कहा कि हमले की जांच शुरू हो गई है. इसके साथ ही यह भी पता लगाया जाएगा कि वाईपीजी समूह को कौन से देश हथियार मुहैया कराते हैं, जिसे अंकारा आतंकवादी समूह मानता है. उन्होंने कहा, “हमने इस बारे में कुछ अंदाजा है. जब इसकी पूरी तरह पुष्टि हो जाएगी तो हम इसे पूरी दुनिया से साझा करेंगे.”
तुर्की के सीमा रक्षकों ने शरणार्थियों पर की गोलीबारी : निगरानी समूह
मध्य पूर्व व उत्तर अफ्रीका में मानवाधिकार मामलों की निगरानी करने वाले समूह ने तुर्की के सीमा रक्षकों पर आरोप लगाया है कि उन्होंने हिंसा से बचने के लिए तुर्की में शरण लेने का प्रयास कर रहे सीरियाई नागरिकों पर गोलीबारी की है।
‘सीएनएन’ ने बीते 4 फरवरी को ह्यूमन राइट्स वॉच के मध्य पूर्व एवं उत्तर अफ्रीका डिविजन के उपनिदेशक लामा फकीह के हवाले से बताया, “पश्चिमोत्तर सीरिया के इदलिब प्रांत में हो रही हिंसा से भाग रहे सीरियाई शरणार्थियों को गोलियों और गालियों से वापस लौटने पर मजबूर किया जा रहा है.” फकीह ने कहा, “इदलिब और आफरीन में संघर्षो के कारण हजारों लोग विस्थापित हुए हैं.”
संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, 15 दिसंबर से 15 जनवरी तक लगभग 2,47,000 सीरियाई सीमा क्षेत्र से विस्थापित हुए थे. तुर्की दुनिया में किसी भी अन्य देश की तुलना में लगभग 35 लाख से अधिक सीरियाई शरणार्थियों को शरण दिए हुए है, लेकिन निगरानी समूह का तर्क है, “तुर्की द्वारा बड़ी संख्या में सीरियाई लोगों को शरण देने की उदारता का मतलब यह नहीं है कि वह अपनी सीमा पर सुरक्षा मांगने वालों की सहायता करने की जिम्मेदारी से मुक्त हो जाए