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सीरिया पर विद्रोहियों का कब्ज़ा, सिर्फ़ 12 दिन में गिर गयी असद बशर की हुकूमत, इस्राईल ने शुरू किया सीरियाकी ज़मीन कर कब्ज़ा शुरू : रिपोर्ट

सीरिया में बशर अल असद परिवार के 50 साल के शासन का अंत होने का दावा किया जा रहा है। विद्रोहियों ने सीरिया पर कब्जा कर लिया है और राष्ट्रपति बशर के परिवार समेत देश छोड़कर भागने की खबरे हैं। विद्रोहियों ने राजधानी दमिश्क समेत प्रमुख शहरों पर कब्जा कर लिया है। सीरिया बीते 13 वर्षों से गृह युद्ध में फंसा हुआ था और अब बशर सरकार के पतन के बाद इसका गृह युद्ध समाप्त होने की बजाय और बढ़ने की आशंका है। सीरिया में हुए इस सत्ता परिवर्तन का इस्राइल पर भी गहरा असर होगा और इस्राइल की सरकार भी इस खतरे से वाकिफ है।

सीरिया में साल 2016 के बाद गृह युद्ध धीमा पड़ गया था, लेकिन बीते हफ्ते प्रमुख विद्रोही संगठन हयात तहरीर अल-शाम (एचटीएस) ने अन्य विद्रोही गुटों के साथ मिलकर अलप्पो, इदलिब और होम्स शहरों पर तेज हमले शुरू कर दिए और आखिरकार इन पर कब्जा कर लिया। अब विद्रोही गुटों ने राजधानी दमिश्क पर भी कब्जा कर लिया है और सीरिया की सेना के शीर्ष अधिकारियों ने भी संकेत दिए हैं कि सीरिया से बशर अल असद सरकार का कार्यकाल खत्म हो गया है।

सीरिया में कैसे घटा पूरा घटनाक्रम

कट्टरपंथी समूह हयात तहरीर अल-शाम ने पिछले हफ्ते सीरिया में अचानक और सफल आक्रमण करके चौंका दिया। हयात तहरीर अल-शाम या एचटीएस लंबे समय से देश का सबसे मजबूत विद्रोही गुट माना जाता रहा है। इन विद्रोहियों ने 26 नवंबर को अचानक अलप्पो के उत्तर और उत्तर-पश्चिम के इलाकों से हमला किया। वहीं 29-30 नवंबर को वे शहर में घुस आए और सेना को वहां से खदेड़ दिया। एचटीएस के हजारों लड़ाकों ने अलप्पो के बाद कई अन्य प्रमुख शहरों पर कब्जा कर लिया। साल 2011 में असद सरकार के खिलाफ अरब स्प्रिंग विद्रोह से शुरू हुए इस गृह युद्ध में करीब पांच लाख लोगों की मौत हो चुकी है। गृह युद्ध से 2.3 करोड़ की आबादी वाले देश से करीब 68 लाख लोगों को अपने घरों से मजबूर बेघर होना पड़ा है और लाखों लोग विदेशों में शरणार्थी बन गए हैं।

सीरिया सरकार को रूस के साथ ही ईरान और हिजबुल्ला का भी समर्थन था, जिसकी वजह से बशर सरकार का सीरिया पर मजबूत कब्जा था, लेकिन अब इस्राइल के साथ लड़ाई में हिजबुल्ला को बड़ा झटका लगा है। वहीं साल 2016 में बशर सरकार की मदद के लिए अपने लड़ाकू विमानों को सीरिया में तैनात करने वाला रूस भी यूक्रेन युद्ध में फंसा हुआ है। ईरान भी इस्राइल के साथ तनाव में उलझा हुआ है, जिससे बशर सरकार कमजोर हुई और इस मौके का फायदा उठाकर विद्रोहियों ने सीरिया में हमले तेज कर दिए। बशर अल असद ने भी बीते दिनों अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों पर विद्रोहियों को समर्थन देने का आरोप लगाया था।

हमला करने वाले विद्रोही कौन हैं?

इस हमले की शुरुआत हयात तहरीर अल-शाम ने की थी। हयात तहरीर अल-शाम का अर्थ है ग्रेटर सीरिया की मुक्ति के लिए आंदोलन। अबू मोहम्मद अल-गोलानी के नेतृत्व वाला एचटीएस लंबे समय से इदलिब में प्रमुख ताकत रहा है। तहरीर अल-शाम को पहले जबात नुसरा फ्रंट के नाम से जाना जाता था। दरअसल, एचटीएस को अल-कायदा ने बनाया था ताकि यह सीरिया के गृहयुद्ध खत्म होने के बाद यहां की स्थिति का फायदा उठा सके। यह जल्द ही अपने मकसद में कामयाब भी हो गया और इसने विद्रोही हमलों के साथ-साथ सेना और अन्य दुश्मनों के खिलाफ आत्मघाती बम विस्फोट किए। हालांकि, यह समूह धीरे-धीरे सीरिया और इराक में इस्लामिक स्टेट का कट्टर दुश्मन बन गया और अंततः 2016 में अल-कायदा से भी अलग हो गया। अमेरिका, रूस, तुर्किये और अन्य देशों ने तहरीर अल-शाम को आतंकवादी समूह घोषित किया है। इसका नेता 42 वर्षीय अहमद हुसैन अल-शरा है, जिसे अबू मुहम्मद अल-गोलानी के नाम से भी जाना जाता है। गोलानी का जन्म सीरिया में हुआ था। 1967 के युद्ध के बाद जब इस्राइल का गोलान हाइट्स पर नियंत्रण हुआ तो इसका परिवार यहां से चला गया। गोलानी को 2006 में हजारों अन्य विद्रोहियों के साथ हिरासत में लिया गया था। इसके बाद उसे पांच साल तक अमेरिका और इराकी जेलों में कैद रखा गया। अबू मुहम्मद अल-गोलानी को 2011 में रिहा किया गया और इसके बाद यह अल-कायदा का नेतृत्व करने के लिए सीरिया लौट आया।

सीरिया में गृह युद्ध गहराने की आशंका

सीरिया में विद्रोही गुटों के सत्ता पर काबिज होने के बाद अब सीरिया में गृह युद्ध गराने की आशंका है। इसकी वजह ये है कि बशर अल असद सरकार को रूस का समर्थन था, वहीं विद्रोही गुटों का समर्थन अमेरिका द्वारा किया जा रहा है। इस तरह सीरिया में रूस और अमेरिका का दखल आगे भी बने रहने की आशंका है। साथ ही सीरिया में खूंखार आतंकी संगठन आईएसआईएस की भी मौजूदगी है। ऐसे में बदले हालात में आईएसआईएस भी अपनी ताकत को बढ़ा सकता है। ईरान और तुर्किये के भी सीरिया में हित हैं। ऐसे में कह सकते हैं कि सीरिया में हालात सामान्य होने की उम्मीद फिलहाल कम ही है।

इस्राइल के लिए भी बढ़ा खतरा

इस्राइल पहले ही हमास और हिजबुल्ला के मोर्चे पर लड़ाई में उलझा हुआ है। अब सीरिया में बदले हालात ने इस्राइल की चिंता को बढ़ा दिया है क्योंकि इस्राइल और सीरिया की सीमा गोलान हाइट्स पर सशस्त्र बलों ने संयुक्त राष्ट्र की पर्यवेक्षक सेना पर हमले शुरू कर दिए हैं। इस्राइल को डर है कि सत्ता पर काबिज होने के बाद गोलान हाइट्स की तरफ से भी इस्राइल पर हमले हो सकते हैं। इस्राइली सेना हालात पर नजर बनाए हुए है।

पूरे पश्चिम एशिया की भू-राजनीति पर पड़ेगा गहरा असर

सीरिया में जारी गृह युद्ध असल में पूरे पश्चिम एशिया पर दबदबा बनाने की राजनीति का हिस्सा है। सीरिया की सीमा इराक, तुर्किये, जॉर्डन, लेबनान और इस्राइल जैसे देशों से लगती है। सीरिया पर दबदबे का मतलब है कि पश्चिम एशिया के अहम व्यापार मार्गों, ऊर्जा गलियारों तक पहुंच मिल सकती है। जिससे पूरे पश्चिम एशिया पर दबाव डाला जा सकता है। सीरिया में बशर अल असद की सरकार के सत्ता से हटने का सबसे ज्यादा असर रूस पर होगा क्योंकि पश्चिम एशिया में सीरिया ही रूस का सबसे भरोसेमंद साथी था। वहीं विद्रोही गुट को अमेरिका का समर्थन है। सीरिया गृह युद्ध के चलते अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमतों में भी उछाल आने की आशंका है, जिसका असर भारत पर भी होगा।

सीरिया पर विद्रोहियों का कब्जा

सीरिया के चार शहरों पर विद्रोही समूह का कब्जा हो गया है और राष्ट्रपति बशर अल असद का मजबूत किला दमिश्क भी ढह गया। राष्ट्रपति बशर अल असद के सीरिया छोड़कर अज्ञात जगह पर जाने की खबरें हैं। वहीं उनका परिवार पहले ही सीरिया छोड़कर रूस जा चुका है। सीरिया सेना के दो शीर्ष अधिकारियों ने ये दावा किया है।

सीरिया स्थित ईरानी दूतावास में विद्रोही दाखिल हो गए हैं। साथ ही सीरिया के सरकारी टीवी केंद्र पर भी विद्रोहियों का कब्जा हो गया है।

डॉक्टर बनते-बनते राजनेता कैसे बन गए बशर अल असद
बशर अल असद ने मेडिकल की पढ़ाई की है और लंदन से वे आंखों के विशेषज्ञ डॉक्टरी की पढ़ाई करने गए थे। उस समय तक बशर का राजनीति से कोई लेना देना नहीं था, लेकिन 90 के दशक में बड़े भाई की एक कार हादसे में मौत के बाद बशर न चाहते हुए भी राजनीति में आ गए और साल 2000 में पिता की मौत के बाद सीरिया की सत्ता पर काबिज हुए।

बीती रात से बशर अल असद का पता नहीं
सीरिया के प्रधानमंत्री के हवाले से मीडिया रिपोर्ट्स में कहा जा रहा है कि राष्ट्रपति बशर अल असद और सीरिया के रक्षा मंत्री के बारे में बीती रात से कोई जानकारी नहीं है। माना जा रहा कि दोनों नेता देश छोड़कर जा चुके हैं। बशर का परिवार पहले ही सीरिया छोड़कर जा चुका है।

विद्रोहियों ने सरकारी टीवी पर किया कब्जा
विद्रोहियों ने सीरिया के सरकारी टीवी प्रसारण पर कब्जा कर लिया है और अपने संदेश में कहा है कि सीरिया में बशर अल असद सरकार की सरकार को सत्ता से उखाड़ दिया गया है। साथ ही जेलों से कई विद्रोहियों को भी रिहा कर दिया गया है।

सीरिया की यह लड़ाई क्यों है अहम
सीरिया में जारी गृह युद्ध असल में पूरे पश्चिम एशिया पर दबदबा बनाने की राजनीति का हिस्सा है। सीरिया की सीमा इराक, तुर्किये, जॉर्डन, लेबनान और इस्राइल जैसे देशों से लगती है। सीरिया पर दबदबे का मतलब है कि पश्चिम एशिया के अहम व्यापार मार्गों, ऊर्जा गलियारों तक पहुंच मिल सकती है। जिससे पूरे पश्चिम एशिया पर दबाव डाला जा सकता है। सीरिया में बशर अल असद की सरकार के सत्ता से हटने का सबसे ज्यादा असर रूस पर होगा क्योंकि पश्चिम एशिया में सीरिया ही रूस का सबसे भरोसेमंद साथी था। वहीं विद्रोही गुट को अमेरिका का समर्थन है। सीरिया गृह युद्ध के चलते अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमतों में भी उछाल आने की आशंका है, जिसका असर भारत पर भी होगा।

सीरिया से खत्म हुआ बशर अल असद सरकार का शासन
सीरिया पर राष्ट्रपति बशर अल असद के परिवार का शासन करीब 50 साल रहा और अब 50 साल बाद सीरिया से इस परिवार का शासन खत्म हो गया है। राष्ट्रपति बशर और उनके परिवार के सीरिया छोड़कर भागने की चर्चा है। वहीं विद्रोहियों ने पूरे देश पर कब्जा कर लिया है। प्रधानमंत्री ने भी विद्रोहियों से मिलकर नई सरकार का गठन करने की बात कही है। विद्रोही गुट एचटीएस ने कहा है कि अब नया सीरिया बनेगा, जहां सब शांति से रहेंगे। दमिश्क की सड़कों पर बड़ी संख्या में लोग उतर बशर सरकार के पतन का जश्न मना रहे हैं।

सीरिया गृह युद्ध में जा चुकी है पांच लाख से ज्यादा लोगों की जान
बशर अल असद सरकार और विद्रोही गुटों के बीच जारी संघर्ष में अब तक पांच लाख से ज्यादा लोगों के मारे जाने का दावा है। साथ ही बीते 13 वर्षों में सीरिया से करीब 68 लाख लोग देश छोड़कर जा चुके हैं। इनमें से अधिकतर लोग तुर्किये और यूरोपीय देशों में रह रहे हैं। सीरिया के 30 फीसदी हिस्से पर पहले भी विद्रोहियों का कब्जा था, लेकिन अब अधिकतर हिस्से पर उनका कब्जा हो गया है। सीरिया के मौजूदा हालात में आतंकी संगठन आईएसआईएस के अगले कदम पर भी सभी की निगाहें हैं।

इस्राइल को युद्ध का एक और मोर्चा खुलने की आशंका
सीरिया में विद्रोहियों के लगातार मजबूत होने और बशर अल असद सरकार के कमजोर पड़ने के बाद इस्राइल को एक और युद्ध का मोर्चा खुलने का डर सता रहा है। सशस्त्र बलों ने गोलन हाइट्स इलाके में बफर जोन में प्रवेश कर लिया है और उनके द्वारा संयुक्त राष्ट्र के पर्यवेक्षक बलों पर हमले किए जा रहे हैं। इस्राइल के विदेश मंत्री गिदोन सार ने इस्राइल-सीरिया पर बढ़ रहे तनाव पर चिंता जाहिर की। इस्राइल को गोलान हाइट्स इलाके में मौजूद अपने लोगों की सुरक्षा के लिए चिंता हो रही है।

सार्वजनिक संस्थानों पर भी विद्रोहियों का कब्जा
सीरिया में बशर अल असद सरकार ढह गई है और सीरिया के सार्वजनिक संस्थानों पर भी विद्रोही गुट का कब्जा हो गया है। विद्रोही नेता अहमद अल शारा ने कहा है कि देश के सार्वजनिक संस्थान ‘पूर्व प्रधानमंत्री’ की देखरेख में रहेंगे, जब तक नई सरकार सत्ता पर काबिज नहीं हो जाती। वहीं प्रधानमंत्री मोहम्मद गाजी अल जलाली ने भी नई सरकार के सत्ता पर काबिज होने में मदद की बात कही। राष्ट्रपति बशल अल असद के देश छोड़कर भागने की खबर है।

कौन है एचटीएस प्रमुख अबु मोहम्मद अल जोलानी
सीरिया के विद्रोही गुट हयात तहरीर अल शाम का प्रमुख अबु मोहम्मद अल जोलानी एक इस्लामिक नेता है, लेकिन वह खुद के आधुनिक होने का दावा करता है। जिसका मकसद सीरिया की सत्ता से बशर अल असद सरकार को हटाना है। जोलानी बीते कई वर्षों से खुफिया तरीके से गुट का नेतृत्व कर रहा था, लेकिन अब वह खुलकर दुनिया के सामने आ गया है और वैश्विक मीडिया को इंटरव्यू दे रहा है।

अबु जोलानी का जन्म 1982 को हुआ था और उसका लालन-पालन सीरिया की राजधानी दमिश्क के माजेह इलाके में हुआ। जोलानी के परिवार का ताल्लुक गोलान हाइट्स इलाके से है और उसका दावा है कि उसके दादा को साल 1967 में गोलान हाइट्स इलाके से भागना पड़ा था, जब गोलान हाइट्स पर इस्राइल का कब्जा हो गया था।

कौन हैं बशर अल-असद?: सीरिया में विद्रोही आंदोलन को कुचलने की क्या कहानी, जानें कितनी ताकत और कैसे गंवाई सत्ता

सीरिया में विद्रोही हमलावर आज तड़के राजधानी दमिश्क में घुस गए। ये विद्रोहियों की तरफ से सीरिया के तीसरे सबसे बड़े शहर होम्स पर कब्जा करने का दावा करने के कुछ घंटों बाद हुआ है।सीएनएन की रिपोर्ट के अनुसार, विद्रोहियों ने पहले राजधानी में प्रवेश करने और दमिश्क के उत्तर में कुख्यात सैदनाया सैन्य जेल पर नियंत्रण करने का दावा किया था। वहीं, विदेश में सीरिया के मुख्य विपक्षी समूह के प्रमुख हादी अल-बहरा सीरियन ने कहा कि दमिश्क अब ‘बशर अल-असद के बिना’ है।

विद्रोही हमले के बीच सीरियाई राष्ट्रपति बशर अल-असद देश छोड़कर चले गए हैं। एक सीरियाई युद्ध निगरानीकर्ता के अनुसार असद रविवार को दमिश्क से किसी अज्ञात स्थान के लिए रवाना हो गए हैं। इसके साथ न केवल उनके 24 साल के शासन का अंत हो गया है, बल्कि उनके परिवार के पांच दशकों के शासन का भी पतन हो गया।

सीरिया में विद्रोही हमलावर आज तड़के राजधानी दमिश्क में घुस गए। ये विद्रोहियों की तरफ से सीरिया के तीसरे सबसे बड़े शहर होम्स पर कब्जा करने का दावा करने के कुछ घंटों बाद हुआ है।सीएनएन की रिपोर्ट के अनुसार, विद्रोहियों ने पहले राजधानी में प्रवेश करने और दमिश्क के उत्तर में कुख्यात सैदनाया सैन्य जेल पर नियंत्रण करने का दावा किया था। वहीं, विदेश में सीरिया के मुख्य विपक्षी समूह के प्रमुख हादी अल-बहरा सीरियन ने कहा कि दमिश्क अब ‘बशर अल-असद के बिना’ है।

विद्रोही हमले ने शहर-दर-शहर किया कब्जा

सीरिया में करीब छह दशक से ज्यादा वक्त तक शासन कर रहे असद वंश के शासन का पतन हो चुका है। क्योंकि वंश के आखिरी शासक, राष्ट्रपति बशर अल-असद देश छोड़कर कहीं भाग गए हैं। इसकी पुष्टि करते हुए, सीरियन ऑब्ज़र्वेटरी फॉर ह्यूमन राइट्स ने कहा कि राष्ट्रपति असद देश छोड़कर चले गए हैं, जबकि विद्रोहियों ने कहा कि ‘तानाशाह’ ने भागने का रास्ता चुना। बता दें कि, देश में 26 नवंबर को शुरू हुए एक इस्लामवादी-नेतृत्व वाले विद्रोही हमले ने राष्ट्रपति असद के नियंत्रण से शहर दर शहर छीन लिया।

कौन हैं बशर अल-असद?
साल 2000 से सीरिया के राष्ट्रपति रहे बशर अल-असद (59 वर्ष) देश के पूर्व राष्ट्रपति हाफिज अल-असद के बेटे हैं। वे अपने पिता की दूसरी संतान थे, बशर अल-असद कुल पांच भाई-बहन थे जिसमें से तीन की मौत हो चुकी है। अपने बड़े भाई बासिल अल-असद की मौत के बाद उन्होंने राजनीति में कदम रखा।

असद के राष्ट्रपति बनने की कहानी
बशर अल-असद को राष्ट्रपति बनने के लिए तैयार नहीं किया गया था। लेकिन 1994 में उनके बड़े भाई बासिल की एक सड़क हादसे में मौत के बाद उनकी जिंदगी बदल गई। बशर ने नेत्र विज्ञान की पढ़ाई छोड़ दी और लंदन से लौट आए। सीरिया लौटकर, बशर ने सैन्य अध्ययन का कोर्स किया और अपने पिता से राजनीति की गुर सीखे।

गृह युद्ध में बशर का शासन
2000 में अपने पिता हाफिज अल-असद की मृत्यु के बाद, बशर ने राष्ट्रपति का पद संभाला। लेकिन उनकी सुधारवादी छवि जल्द ही फीकी पड़ गई जब उनकी सरकार ने बौद्धिकों और ‘दमिश्क स्प्रिंग’ आंदोलन के सदस्यों को गिरफ्तार करना शुरू कर दिया। 2011 में अरब स्प्रिंग के दौरान जब सीरिया में शांतिपूर्ण प्रदर्शन शुरू हुए, तो असद ने इसे रोकने के लिए सेना का सहारा लिया। यह जल्द ही गृहयुद्ध में बदल गया। इस युद्ध में 500,000 से अधिक लोग मारे गए और आधी आबादी विस्थापित हो गई। इस दौरान असद ने प्रदर्शनकारियों को ‘आतंकवादी’ करार दिया और अपनी सैन्य कार्रवाइयों को उचित ठहराया। उन्होंने अपनी शक्ति बनाए रखने के लिए रूस और ईरान जैसे अंतरराष्ट्रीय सहयोगियों का समर्थन भी लिया।

शांत नेता के रूप में पेश की अपनी छवि
वर्षों तक, असद ने सरकार-नियंत्रित क्षेत्रों में आयोजित कई चुनावों में, उन्होंने अधिकांश वोट हासिल किए, हालांकि पश्चिमी देशों और मानवाधिकार संगठनों ने इन चुनावों को स्वतंत्र और निष्पक्ष नहीं माना। औपचारिक बैठकों, साक्षात्कारों और यहां तक कि मोर्चों पर भी, 59 वर्षीय नेत्र रोग विशेषज्ञ असद ने खुद को शांतचित्त दिखाया।

2011 में विद्रोही आंदोलन को कुचला
सीरिया में पद से हटाए जाने की मांग को लेकर देशव्यापी विरोध प्रदर्शनों और सशस्त्र विद्रोह को लगभग कुचल देने के बाद, असद ने – विद्रोहियों के आक्रमण के बाद – 2011 में शुरू हुए गृहयुद्ध में सीरिया के अधिकांश हिस्से पर नियंत्रण वापस ले लिया था। शांत स्वभाव वाले असद ने वर्षों तक सत्ता बनाए रखने के लिए रूस, ईरान और लेबनान के हिजबुल्ला जैसे अपने सहयोगियों पर भरोसा किया। कुल मिलाकर राष्ट्रपति बशर ने शक्ति और सेना के बल पर विद्रोह को कुचला, ये विद्रोह काफी लंबा चला कुछ सालों तक ये काफी ठंडा पड़ा रहा।

BRICS News

@BRICSinfo

JUST IN: 🇸🇾 Former commander of Al-Qaeda Abu Mohammed al-Jolani is the new leader of Syria.

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Jackson Hinkle 🇺🇸
@jacksonhinklle

🚨🇮🇱🇸🇾 BREAKING: Israel has started their invasion of Syria, hours after the fall of Assad.

Globe Eye News
@GlobeEyeNews
BREAKING:

Syria has officially fallen, and President Assad has fled the country

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Sulaiman Ahmed
@ShaykhSulaiman

BREAKING: Israel Invasion of Syria has Begun!!!

Israeli tanks are reportedly entering Al-Hamdiyah in Qunaitra, Syria from the Golan heights.

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The 53-year-long dynastic Assad rule of Syria has come to an end

Sulaiman Ahmed
@ShaykhSulaiman

BREAKING: ERDOGAN OFFICIAL STATEMENT

“We have no ambitions for the lands of any country, and we hope that our neighbor Syria will find the peace and tranquility it has been yearning for 13 years.”

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Royal Intel 👑
@RoyalIntel_
Dear Americans,

Your government is lying to you.

This is the president of Syria Bashar Al Assad alongside his wife and children. He is not a murderer, he is not a criminal, and he is not a tyrant.

Terrorists are being backed by YOUR government to overthrow this man due to his support for the Palestinian cause.

If he falls, Syria will be turned into a rogue terrorist state. Christianity will seize to exist in Syria. It’s time to wake up.