सीरिया फिर गृह युद्ध में फंस गया है। यहां राष्ट्रपति बशर अल-असद के खिलाफ विद्रोही गुटों ने जंग छेड़ दी है। यह 2016 के बाद सबसे बड़ा हमला है। बीते हफ्ते कट्टरपंथी संगठन हयात तहरीर अल-शाम (एचटीएस) और अन्य गुटों ने अलप्पो, इदलिब और हामा शहरों का रुख किया, जिससे संघर्ष बढ़ गया। हिंसक टकराव में सैकड़ों आम नागरिक हताहत हुए हैं, हजारों लोग विस्थापित होने के लिए मजबूर हुए हैं और अहम बुनियादी ढांचे को नुकसान पहुंचा है।
सीरिया में जारी संघर्ष का असर इसकी सीमा से परे भी है जिसमें अमेरिका, इस्राइल, ईरान और तुर्किये सहित अन्य बाहरी पक्ष भी शामिल हैं। सीरियाई राष्ट्रपति असद ने विद्रोहियों के हमले के लिए अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों को दोषी ठहराया है। नए संघर्ष ने पश्चिम एशिया में एक और हिंसक मोर्चे के खुलने की आशंका को बढ़ा दिया है, वह भी ऐसे समय में जब अमेरिका समर्थित इस्राइल, गाजा में हमास और लेबनान में हिजबुल्ला से लड़ रहा है।
आइये जानते हैं कि सीरिया में क्या हो रहा है? असद सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलने वाले विद्रोही कौन हैं? अब यह संघर्ष क्यों भड़क उठा है? क्या संघर्ष में बाहरी शक्तियां भी शामिल हैं?
पहले जानते हैं कि सीरिया में क्या हो रहा है?
कट्टरपंथी समूह हयात तहरीर अल-शाम ने पिछले हफ्ते सीरिया में अचानक और सफल आक्रमण करके चौंका दिया। हयात तहरीर अल-शाम या एचटीएस लंबे समय से देश का सबसे मजबूत विद्रोही गुट माना जाता रहा है। इन विद्रोहियों ने 26 नवंबर को अचानक अलप्पो के उत्तर और उत्तर-पश्चिम के इलाकों से हमला किया। वहीं 29-30 नवंबर को वे शहर में घुस आए और सेना को वहां से खदेड़ दिया। अब एचटीएस के हजारों लड़ाकों ने एक प्रमुख शहर अलप्पो पर कब्जा कर लिया है। इसके साथ ही एक रणनीतिक राजमार्ग को काट दिया है और देश के एक हिस्से से बशर अल-असद की सेना को पीछे हटने पर मजबूर होना पड़ा है। इस टकराव से देश में 13 साल से चल रहे गृहयुद्ध में एक नया दौर शुरू हो गया है जिसके बारे में कई लोगों का मानना था कि यह खत्म हो गया है।
कितना बड़ा है विद्रोहियों का हमला?
यह 2016 के बाद पहली बार है जब अलप्पो शहर का नियंत्रण सरकार से छिन गया है। आठ साल पहले रूस और ईरान समर्थित सैन्य बलों ने क़ासिम सुलैमानी के नेतृत्व में अलप्पो के पूर्वी जिलों पर कब्जा करने वाले विद्रोहियों को खदेड़ दिया था। विद्रोहियों ने अब अलप्पो के दक्षिण और दक्षिण-पश्चिम क्षेत्रों में अपना नियंत्रण जारी रखा है और हामा प्रांत के इलाकों पर भी कब्जा कर लिया है।
हालिया हमला कुछ वर्षों में संघर्ष की बढ़ती गंभीर स्थिति को बताता है। 2011 में असद सरकार के खिलाफ अरब स्प्रिंग विद्रोह से शुरू हुए में युद्ध में करीब पांच लाख लोगों की मौत हो चुकी है। गृह युद्ध से 2.3 करोड़ की आबादी वाले देश से करीब 68 लाख लोगों को अपने घरों से मजबूर बेघर होना पड़ा है और लाखों लोग विदेश में शरणार्थी बन गए हैं।
हमला करने वाले विद्रोही कौन हैं?
इस हमले की शुरुआत हयात तहरीर अल-शाम ने की थी। हयात तहरीर अल-शाम का अर्थ है ग्रेटर सीरिया की मुक्ति के लिए आंदोलन। इसने उत्तर-पश्चिमी सीरियाई प्रांत इदलिब को नियंत्रित किया है। अबू मोहम्मद अल-गोलानी के नेतृत्व वाली एचटीएस लंबे समय से इदलिब में प्रमुख ताकत रहा है।
तहरीर अल-शाम को पहले जबात नुसरा फ्रंट के नाम से जाना जाता था। एचटीएस को अल-कायदा ने बनाया था ताकि यह सीरिया के गृहयुद्ध खत्म होने के बाद यहां की स्थिति का फायदा उठा सके। यह जल्द ही अपने मकसद में कामयाब भी हो गया और इसने विद्रोही हमलों के साथ-साथ सेना और अन्य दुश्मनों के खिलाफ आत्मघाती बम विस्फोट किए। यह समूह धीरे-धीरे सीरिया और इराक में इस्लामिक स्टेट का कट्टर दुश्मन बन गया और अंततः 2016 में अल-कायदा से भी अलग हो गया। अमेरिका, रूस, तुर्किये और अन्य देशों ने तहरीर अल-शाम को आतंकवादी समूह घोषित किया है। एक अन्य विद्रोही गठबंधन ने अलप्पो के उत्तरी इलाकों से अलग से हमला शुरू किया है। इन विद्रोहियों को तुर्किये का समर्थन है और ये सीरियाई राष्ट्रीय सेना के बैनर तले संगठित हैं।
Syrian Girl 🇸🇾
@Partisangirl
With the Iraqi hashed forces moving into Syria from Al Qaim border crossing and Turkey’s AlQaeda forces moving into Kurdish held territory, things are about to become very uncomfortable for US occupation. It will soon become a cauldron.
Now is the time for Damascus to turn up the heat and give the US a withdrawal timeline.
तहरीर अल-शाम को चलाता कौन है?
इसका नेता 42 वर्षीय अहमद हुसैन अल-शरा है, जिसे अबू मुहम्मद अल-गोलानी के नाम से भी जाना जाता है। गोलानी का जन्म सीरिया में हुआ था। 1967 के युद्ध के बाद जब इस्राइल का गोलान हाइट्स पर नियंत्रण हुआ तो इसका परिवार यहां से चला गया। गोलानी को 2006 में हजारों अन्य विद्रोहियों के साथ हिरासत में लिया गया था। इसके बाद उसे पांच साल तक अमेरिका और इराकी जेलों में कैद रखा गया। अबू मुहम्मद अल-गोलानी को 2011 में रिहा किया गया और इसके बाद यह अल-कायदा का नेतृत्व करने के लिए सीरिया लौट आया।
Iran calls on all Islamic countries to unite to help Syria defeat terror groups.
तहरीर अल-शाम ने अभी क्यों हमला किया?
2013 से सीरिया में शुरू हुए गृह युद्ध ने इसके क्षेत्रों में व्यापक रूप से बांट दिया है। यहां विदेशी शक्तियों ने जमीन पर अपने सैनिक तैनात कर रखे हैं। न्यूज एजेंसी एपी के अनुसार, देश के लगभग 30% हिस्से पर विपक्षी ताकतों और विदेशी सैनिकों का नियंत्रण है। सीरिया के सबसे बड़े हिस्से, सरकारी नियंत्रण वाले इलाकों पर रूस और ईरान का प्रभाव है। अमेरिका के पास पूर्वोत्तर और पूर्व में सेना है, जो कुर्द नेतृत्व वाली सीरियन डेमोक्रेटिक फोर्सेस का समर्थन करती है। इस्लामिक स्टेट (आईएस) के फिर से उभरने से रोकने के लिए अमेरिका ने अलप्पो से दूर पूर्वोत्तर सीरिया में लगभग 900 सैनिक तैनात किए हुए हैं। अमेरिका और इस्राइल दोनों ही सीरिया में सरकारी बलों और ईरान-सहयोगी गुट के खिलाफ कभी-कभार हमले करते हैं। तुर्किये के पास विद्रोहियों के नियंत्रण वाले उत्तर-पश्चिम में जमीनी सैनिक हैं और अलप्पो पर हमला करने वाले विपक्षी ताकतों के बड़े गठबंधन पर उसका प्रभाव है।
इस्राइल और ईरान और उसके द्वारा समर्थित समूहों के बीच एक वर्ष से अधिक समय से चल रहे संघर्ष के कारण क्षेत्रीय शक्ति संतुलन हिल गया है। लेबनान में इस्राइल के साथ दो महीने से अधिक समय तक चले युद्ध के दौरान ईरान समर्थित हिजबुल्ला को खास तौर पर बड़ा झटका लगा है। पिछले सप्ताह इस्राइल के साथ युद्ध विराम करने वाले हिजबुल्ला ने 2016 में असद को अलप्पो पर कब्जा करने में मदद की थी।
अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन ने कहा कि यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि विद्रोही नई स्थिति का फायदा उठाने की कोशिश करेंगे। उन्होंने क्षेत्रीय संघर्षों और यूक्रेन युद्ध का हवाला देते हुए कहा कि ऐसा इसलिए क्योंकि सीरियाई सरकार के मुख्य समर्थक ईरान, रूस और हिजबुल्ला संघर्षों के कारण कमजोर हो गए हैं।
The ÎSÎS and Îsraelì flags in the hands of terroríst groups present in #Syria Now you may better understand who financed the Takfirîs so that they could advance and equip themselves…!