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सीमा हैदर की वजह से पाकिस्तान के सिंध प्रांत में डाकुओं ने हिंदू समुदाय के पूजा स्थल पर हमला किया, हिंदू समुदाय में है डर : रिपोर्ट

पाकिस्तान के सिंध प्रांत में डाकुओं ने हिंदू समुदाय के एक पूजा स्थल पर हमला किया है. हमले के बाद दीवारों पर गोलियों के निशान बन गए हैं. हालांकि हमले में किसी के हताहत होने की ख़बर नहीं है.

कुछ दिनों पहले डाकुओं ने धमकी दी थी कि अगर सीमा रिंद उर्फ सीमा हैदर को भारत से वापस नहीं लाया गया तो वो हिंदुओं के पूजा स्थलों पर हमला करेंगे.

सीमा हैदर के मुताबिक वो भारत के सचिन मीणा से प्रेम करती हैं और अपने चार बच्चों के साथ उनके पास ग्रेटर नोएडा में रह रही हैं. वो पाकिस्तान से नेपाल के रास्ते भारत के ग्रेटर नोएडा तक पहुंचीं. ये मामला दोनों देशों में चर्चा का विषय है.

रिपोर्टों के मुताबिक उत्तरी सिंध के ज़िला कश्मूर कंध कोट के कच्चे में औगाही गांव में शनिवार की रात ये हमला हुआ. इस घटना के बाद से हिंदुओं में डर का माहौल है.

ग़ौसपुर के पत्रकार अब्दुस्समी ने बीबीसी को बताया कि उनकी दरबार डेरा बाबा सांवल शाह के पुजारियों से बात हुई है, उन्होंने बताया कि वो रात को मंदिर (जिसे पुलिस दरबार बता रही है) के अंदर सोए हुए थे तो ज़बरदस्त फ़ायरिंग शुरू हो गई, जिसके बाद उन्होंने आसपास के घरों में छिपकर जान बचाई.

पुलिस को मिले रॉकेट के गोले, जांच जारी
पुलिस को दरबार के आसपास से दो रॉकेट के गोले भी मिले हैं जो फटे नहीं. एक गोला दीवार में धंसा हुआ था जबकि दूसरा पोखर में गिरा था.

पत्रकार अब्दुस्समी के अनुसार उस गांव में बागड़ी समुदाय के सत्तर घर हैं, इसके अलावा आसपास के बागड़ी समुदाय के लोग भी यहां मत्था टेकने आते हैं.

कश्मूर कंध कोट के एसएसपी इरफ़ान सम्मूं ने बीबीसी को बताया कि यह मंदिर नहीं, दरबार है जो घर के साथ ही बना हुआ है और यहां हिंदू समुदाय के लोग वार्षिक कार्यक्रम आयोजित करते हैं जहां पिछली रात फ़ायरिंग हुई है.

उनका दावा था कि उस गांव की मुस्लिम आबादी की दूसरे क़बीलों से पुरानी दुश्मनी है, इस लिहाज़ से भी इस घटना की जांच पड़ताल की जा रही है.

डाकुओं ने क्या दी थी धमकी?
बागड़ी हिंदू दलित समुदाय से संबंध रखते हैं जो उत्तरी सिंध से लेकर निचले सिंध में खेती से जुड़े हैं. उन्हें तरबूज़ की खेती में महारथ हासिल है.

याद रहे कि घोटकी के डाकू रानू शर ने धमकी दी थी कि अगर सीमा रिंद उर्फ सीमा हैदर को वापस नहीं किया गया तो हिंदुओं के पूजा स्थलों पर हमला किया जाएगा जिसके बाद कश्मूर कंध कोट के डाकुओं ने भी ऐसी धमकी दी जिसमें ग़ौसपुर और करमपूर का भी नाम लिया गया था.

घोटकी के डाकू निसार शर ने इस हमले के बाद एक वीडियो में पुलिस अफ़सरों से सवाल किया है कि वह कहां थे जो दावे कर रहे थे और “ग़ौसपुर में मंदिर पर रॉकेट हमला किया गया.”

उनका कहना था कि वह इसकी निंदा करते हैं. “पाकिस्तानी हिंदुओं का कोई क़सूर नहीं है लेकिन अगर पाकिस्तानी सरकार सीमा रिंद को वापस नहीं लाई तो ऐसे ही हमले होते रहेंगे.”

हिंदू पूजा स्थलों और बस्तियों की सुरक्षा बढ़ाई गई
रमेश लाल (बदला हुआ नाम) इस शर्त पर बात करने के लिए तैयार हुए कि हम उनकी पहचान ज़ाहिर नहीं करेंगे. युवा रमेश का संबंध घोटकी ज़िले से है और वह यूनिवर्सिटी के विद्यार्थी हैं.

वो कहते हैं, “हम तो पहले ही किसी विवाद से बचते हैं, अपने काम से काम रखते हैं, डाकुओं की धमकियों के बाद निश्चित रूप से डर तो होगा क्योंकि हमारे समुदाय के लोग अग़वा हो चुके हैं और इस ज़िले में हिंदू समुदाय पर हमले भी हो चुके हैं.”

पाकिस्तान के सिंध प्रांत के उत्तरी ज़िलों में पुलिस ने हिंदू समुदाय के पूजा स्थलों और बस्तियों की सुरक्षा बढ़ा दी है.

पुलिस अफ़सरों का कहना है कि डाकुओं की ओर से सीमा रिंद (सीमा हैदर) की वापसी के लिए दी गई धमकियों के बाद यह सुरक्षा व्यवस्था की गई है.

डाकुओं के कई गिरोह सक्रिय
उत्तरी सिंध के जिले घोटकी, कश्मूर, कंध कोट और जैकबाबाद में डाकुओं के कई गिरोह सक्रिय हैं जिन्होंने सिंध नदी के साथ कच्चे के क्षेत्र में अड्डे बना रखे हैं.

पुलिस पिछले कई दशकों से उनके ख़िलाफ़ ऑपरेशन कर रही है लेकिन अब तक उसे सफलता नहीं मिली है.

सीमा और ग़ुलाम हैदर (सीमा के पति) दोनों का संबंध बलोच समुदाय से है. सोशल मीडिया पर सिंध के डाकुओं के विभिन्न गिरोहों ने भारत सरकार को धमकी दी थी कि सीमा को उसके देश वापस भेजा जाए.

रानू शर नाम के डाकू ने एक वीडियो संदेश में पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो, संसद सदस्यों और सरकार से कहा था कि सीमा और बच्चों को वापस पाकिस्तान लाया जाए नहीं तो “पाकिस्तान में रहने वाले जो भी हिंदू हैं वह अपनी सुरक्षा के ख़ुद ज़िम्मेदार हैं. अगर लड़की वापस न आई तो रहड़की में जो मंदिर है उस पर हम बम मार देंगे.”

याद रहे कि डाकू रानू शर को पुलिस तलाश रही है और उस पर आरोप है कि वो महिलाओं की आवाज़ में लोगों को बहका कर कच्चे में बुलाता है और वहां से उन्हें अगवा करता है.

एक दूसरी वीडियो क्लिप में पांच हथियारबंद नक़ाबपोश डाकू हिंदू समुदाय को धमकी दे रहे हैं कि लड़की (सीमा हैदर) वापस नहीं की तो जैकबाबाद, रत्तु देरू और कश्मूर- जहां-जहां हिंदू रहते हैं उन्हें गंभीर नतीजे भुगतने होंगे.

डाकू इस वीडियो में बेहद अशोभनीय भाषा इस्तेमाल करते हैं और कहते हैं, “हमारे बच्चे और लड़की वापस करो, हम बलोच क़ौम हैं और डरते नहीं हैं.” वीडियो के अंत में वह पाकिस्तान ज़िंदाबाद के नारे लगाते हैं.

एक तीसरी वीडियो क्लिप में डाकू रानू शर की पैरवी करते हुए कहते हैं कि वह कंध कोट और आसपास के क्षेत्रों में हमले करेंगे. साथ में वह सामने मौजूद बम भी दिखाते हैं.

“पाकिस्तान के हिंदुओं का क्या दोष है?”
अल्पसंख्यक मामलों के राज्य के मंत्री ज्ञानचंद इसरानी का कहना है कि इस संबंध में सिंध के मुख्यमंत्री और पीपुल्स पार्टी की लीडरशिप से बात हुई है और वह सिंध के आईजी से भी हर दिन संपर्क में रह रहे हैं.

उन्होंने बताया कि सिंध के आईजी के अनुसार उन्होंने मंदिरों और हिंदुओं के मोहल्लों में सुरक्षा बढ़ा दी है.

सीमा के संबंध में उन्होंने कहा कि पहले तो कोई क़बीला उन्हें अपना मानने को तैयार ही नहीं है.

उन्होंने कहा, “और अगर वह पाकिस्तानी है भी तो इसमें पाकिस्तान में रहने वाले हिंदुओं का क्या क़सूर है? पाकिस्तानी हिंदू अगर भारत जाना चाहें तो उन्हें दो- दो साल तक वीज़ा नहीं मिलता, वीज़ा मिल भी जाए तो भारत में सुरक्षा के नाम पर पाकिस्तानी हिंदुओं को बहुत तंग किया जाता है. जगह-जगह एंट्री करवाई जाती है. होटल में ठहरे तो सिक्योरिटी एजेंसी वाले पूछताछ करने आ जाते हैं.”

उन्होंने आरोप लगाया, “कोई पाकिस्तानी लड़की भारत के किसी हिंदू से शादी करती है तो इसमें मेरे विचार में भारत सरकार की कोई प्लानिंग है. उनकी पाकिस्तान में दंगे करवाने की कोई एजेंसी है, मेरे विचार में यह सब कुछ भारत करवा रहा है.”

उनका कहना है कि भारत के हिंदू ने कुछ किया है तो इसमें पाकिस्तान के हिंदुओं का क्या दोष है? “पाकिस्तान के हिंदू देशप्रेमी पाकिस्तानी हैं, सदियों से यहां रह रहे हैं, उनका जन्म यहां का है, उनका कारोबार यहां है.”

हिंदू समुदाय में है डर
पाकिस्तान के धार्मिक संगठन पहले तो इस मामले पर चुप थे लेकिन अब उन्होंने भी इस पर बयान देने शुरू कर दिए हैं.

जमीयत-उलेमा-ए-इस्लाम पाकिस्तान के पदाधिकारी अल्लामा राशिद महमूद सूमरो का कहना है कि घटना की तुरंत जांच होनी चाहिए कि सीमा हैदर चार बच्चों के साथ किस तरह पाकिस्तान से दुबई और नेपाल के रास्ते भारत पहुंची हैं और उन्हें उन देशों के वीज़े किसके माध्यम से मिले.

उनका यह भी कहना है, “एक मुसलमान औरत का भारत पहुंचकर तुरंत हिंदू धर्म स्वीकार करना, साड़ी पहनना, फ़र फ़र हिंदी भाषा बोलना कई सवालों को जन्म दे रहा है.”

घोटकी ज़िले का नाम जबरन धर्मांतरण के कारण भी मीडिया में आता रहता है. यहां के स्थानीय निवासी मियां मिट्ठू पर आरोप है कि वह इस रुझान को बढ़ावा दे रहे हैं.

मियां मिट्ठू ने एक इंटरव्यू में कहा था कि सिंध में रहने वाले हिंदू सीमा रिंद की वापसी के लिए कोशिश करें, ऐसा न हो कि कोई शरारत करके उनके मंदिरों पर हमला कर दे.

घोटकी म्यूनिसिपल कमेटी के वाइस चेयरमैन और सिंध ह्यूमन राइट्स की बोर्ड के सदस्य सुखदेव आसर दास हिमानी का कहना है कि इन धमकियों की वजह से हिंदू समुदाय में भय का माहौल है और उन्होंने एहतियाती तौर पर मंदिरों और दूसरी जगहों पर अपना आना जाना कम कर दिया है.

उनका कहना है, “ये डाकू राज्य से लड़ने वाले तत्व हैं, उनके ख़िलाफ़ ऐक्शन हो रहा है. कुछ धार्मिक अतिवादी उनके समर्थन में आ रहे हैं और कह रहे हैं कि पाकिस्तान के हिंदू समुदाय को भारत सरकार से बात करनी चाहिए. मैं उन पर यह बात साफ़ करना चाहूंगा कि हम कोई हिंदुस्तानी नहीं, हम भी उतने ही पाकिस्तानी हैं जितना कोई और है. हम भी बराबर के नागरिक हैं. जब आप हमारी लड़कियों को अग़वा करके जबरन धर्मांतरण करते हैं तब तो हम किसी और देश से मदद को नहीं कहते. हम उस समय भी पाकिस्तान सरकार से मदद के लिए कहते हैं.”

मीरपुर माथेलो हिंदू पंचायत के प्रमुख डॉ मेहरचंद का कहना है, “उन डाकुओं का न तो सीमा से कोई संबंध है और ना ही किसी धर्म या समुदाय से उनका कोई लेना देना है. उनका काम केवल डकैतियां हैं.”

वह कहते हैं कि यह एक ऐसा समुदाय है जो साफ़ सुथरा है और केवल इतना चाहता है कि अमन से रहने दिया जाए. “इसी वजह से वह उन्हें धमकियां देते हैं और परेशान करते हैं.

कई अहम आस्था के केंद्र
सिंध के उत्तरी ज़िलों में हिंदू समुदाय अधिकतर कारोबार से जुड़ा है और सुनार से लेकर फ़सलों की ख़रीद बिक्री व राइस मिलों का काम करता है.

इन ज़िलों में कई धार्मिक स्थल मौजूद हैं जिनमें शिकारपुर और घोटकी महत्वपूर्ण है जहां हिंदू संतों के दरबार हैं.

घोटकी में रहड़की दरबार है जहां साईं सतराम दास का सन 1866 में जन्म हुआ था.

इन्हें सच्चू सतराम या सच्चा सतराम और एसएसडी धाम के नाम से जाना जाता है. यहां हर साल मेला लगता है जिसमें भारत से भी यात्री विशेष तौर पर शामिल होने आते हैं. इनमें कई ऐसे परिवार होते हैं जो विभाजन के समय यहां से भारत चले गए थे.

विभाजन से पहले जब उत्तरी सिंध में धार्मिक दंगे हुए थे तो उस इसी दरबार से जुड़े संत भगत कुंवर राम को क़त्ल किया गया था जिनकी समाधि भी यहां मौजूद है.

शिकारपुर में समाधा आश्रम मौजूद है. इसके बारे में दरबार के व्यवस्थापक भगवान दास कहते हैं कि इस आश्रम को 250 साल हो गए हैं. बाबा हरभजन पहले गद्दी सर या गद्दी नशीन हैं जो पंजाब से आए थे और अब सातवें गद्दी नशीन हैं. सक्खर में नदी के बीच में साधु बेलू के नाम से बाबा बखंडी महाराज का दरबार मौजूद है, जहां हर साल मेला लगता है.

घोटकी में स्थित एसएसडी मंदिर में 2019 में भी आक्रोशित लोगों ने तोड़फोड़ की थी.

घोटकी में पीपुल्स पार्टी के मीनार टी विंग के अध्यक्ष कोको राम ने बीबीसी से कहा कि पुलिस की संख्या बढ़ाई गई है, रेंजर्स भी आ गए हैं जो मदद कर रहे हैं.

वह कहते हैं कि उनके समुदाय को इस बात का अफ़सोस है कि वह सिंध धरती के रहने वाले हैं और यहां पर “हमारे ही भाई ऐसे बयान दे रहे हैं जिसकी वजह से समुदाय में निराशा की लहर भी है.”

सक्खर के डीआईजी जावेद जसकानी कहते हैं कि वीडियो संदेश जारी करने वाले कुख्यात डाकू रानू शर की घेराबंदी की जा रही है.

वो कहते हैं, “इश्तेहारी मुजरिमों की ओर से जो समस्या उठाई गई है अगर उन्हें धार्मिक तौर पर बढ़ावा देने वाले संगठन से समर्थन मिलता है तो यह मामला संगीन भी हो सकता है.”

वह बताते हैं कि उनके ज़िलों के एसएसपी ने मंदिरों और उन क्षेत्रों की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए ज़रूरी उपाय किए हैं जहां हिंदू अधिक संख्या में रहते हैं. इन उपायों में भारी तैनाती, गश्त और इंटेलिजेंस के ज़रिए उन लोगों पर निगाह रखना शामिल है जो संभावित तौर पर हिंदुओं के लिए ख़तरा हो सकते हैं.

सिंध के मुख्यमंत्री के विशेष सहायक वीर जी कोहली ने बीबीसी से बात करते हुए कहा, “पूरे सिंध में जितने भी मंदिर हैं वहां पहले ही से पुलिस बल मौजूद है और वहां पर सीसीटीवी कैमरे भी लगाए गए हैं. अगर कोई मुंह छिपाकर धमकी देता है तो उससे कोई अंतर नहीं पड़ता. राज्य अपना काम करेगा.”

वह पूछते हैं कि जब हिंदू लड़कियां भी जाती हैं तो हम क्या करते हैं?

वो कहते हैं, “हम कुछ भी नहीं करते क्योंकि क़ानून यह कहता है कि लड़की का बयान क़बूल किया जाता है, शर्त यह है कि लड़की बालिग़ हो. तो इंसान कोई भी हो, वह अपना धर्म बदल सकता है, शादी कर सकता है.”

सीमा की ग़ुलाम से शादी
सीमा रिंद उर्फ सीमा हैदर का संबंध सिंध के ज़िले ख़ैरपूर की तहसील कोइडीजी के गांव हाजानू रिंद से है.

सीमा ने ग़ुलाम हैदर जखरानी से जब पसंद की शादी की थी तो अदालत में यहां का ही पता दिया गया था.

ग़ुलाम हैदर का संबंध जैकबाबाद के क्षेत्र नूरपुर से है लेकिन शादी के बाद वह गुलिस्तां जौहर में स्थित दहनी बख़्शगोट आ गए और सऊदी अरब में मज़दूरी के लिए जाने से पहले तक वह अपने परिवार और ससुराल के साथ यहीं रहते थे. इस क्षेत्र में उनकी साली का घर भी है.

ग़ुलाम हैदर के पिता मीर जान ने मलेर थाने में बहू और बच्चों की गुमशुदगी की रिपोर्ट लिखवाई है.

सऊदी अरब से बीबीसी से बात करते हुए ग़ुलाम हैदर जखरानी ने कहा कि वह इस रिपोर्ट को एफ़आईआर में तब्दील करने के लिए वकील से राय ले रहे हैं और इसके अलावा उन्होंने अपने परिवार को कहा है कि विदेश मंत्रालय को भी आवेदन भेजे ताकि पाकिस्तान सरकार उनकी बीवी और बच्चे की वापसी के लिए मदद करे.

सोशल मीडिया पर अलग-अलग दावे
दूसरी और पाकिस्तान में सोशल मीडिया पर सीमा रिंद के पहनावे से लेकर उनके बातचीत के अंदाज़ पर टिप्पणी की जा रही है. कुछ उन्हें भारतीय जासूस बता रहे हैं तो कुछ का कहना है कि वह सिंध की हो ही नहीं सकतीं.

ट्विटर पर ज़ैन बुगटी लिखते हैं, “सीमा पाकिस्तानी नहीं भारतीय एजेंसी रॉ की एजेंट प्रियंका है जो 2013 में दुबई से पंजाब के शहर मुल्तान में आई और वहां उसने अपना नाम सीमा रख लिया. वहां उसकी अनवर नाम की लड़की से मुलाक़ात हुई. ग़ुलाम हैदर और अनवर साथ काम करते थे.”

शमा जुनेजो नाम के टि्वटर हैंडल से लिखा गया, ‘यह कौन सी मुसलमान है जिसे कोई आयत (क़ुरान की लाइन) याद नहीं? उसके पाकिस्तान में घरवाले और रिश्तेदार कौन और किधर हैं? यह कहां पढ़ी? कहां पली-बढ़ी? मीडिया पता करें इस संदिग्ध केस का.”

कॉलम लिखने वाले जावेद अहमद क़ाज़ी लिखते हैं, “मैं सिंधी हूं और मुझे शक है कि यह (सीमा) नहीं है.

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रियाज़ सोहैल
पदनाम,बीबीसी उर्दू, कराची