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सीमा पर तनाव के बीच चीन से भारत का व्यापार घाटा रिकॉर्ड स्तर पर, पिछले साल चीन से आयात में 21.7% की वृद्धि हुई : रिपोर्ट

सीमा पर तनाव के बीच चीन से आयात कम करने के दबावों के बावजूद भारत और चीन के बीच व्यापार लगातार रिकॉर्ड स्तर पर जा रहा है.

ताज़ा आंकड़ों के मुताबिक़, पिछले साल दोनों मुल्कों के बीच 8.4% की वृद्धि के साथ व्यापार 135.98 अरब डॉलर पहुंच गया और इसके साथ ही भारत का व्यापार घाटा भी 100 अरब डॉलर के नए स्तर को पार कर गया.

जबकि इससे पिछले साल यानी 2021 में दोनों देशों के बीच व्यापार का आंकड़ा 125.62 अरब डॉलर था.

ये आकंड़े शुक्रवार को चीन के कस्टम विभाग ने जारी किए हैं. इन आंकड़ों के अनुसार, पिछले साल भारत को होने वाले चीनी सामान के निर्यात में 21.7% की वृद्धि हुई है और यह 118.5 अरब डॉलर हो गया है.

साल 2022 में चीन को भारत से होने वाले निर्यात में 37.9 प्रतिशत की भारी गिरावट दर्ज हुई है और यह 17.48 अरब डॉलर पर जा पहुंचा है.

यानी चीन और भारत के बीच व्यापार असंतुलन, चीन के पक्ष में 100 अरब डॉलर से ज़्यादा का है.

चीन से भारत का आयात
*वर्ष 2022 के आंकड़े

118.7 अरब डॉलर का हुआ चीन से आयात. साल-दर-साल 21.7% की वृद्धि

37.9%चीन को भारत के निर्यात में गिरावट

100 अरब डॉलर चीन के साथ व्यापार में भारत का घाटा

स्रोत: english.customs.gov.cn

सीमा पर तनाव से बेपरवाह व्यापार

पिछले दो सालों में चीन और भारत के बीच सीमा पर तनाव बढ़ा है. यहां तक कि कई दफ़े हिंसक झड़पें हुई हैं.

लेकिन दूसरी तरफ़ व्यापार के क्षेत्र में भारत की चीन पर निर्भरता भी लगातार बढ़ी है.

पिछले महीने 9 दिसम्बर को सिक्किम के तवांग सेक्टर के यांग्त्से में भारत और चीन के सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हो गई थी.

इस झड़प में कुछ भारतीय सैनिकों को चोटें भी आईं. इससे पहले गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प में 20 भारतीय जवानों की मौत हो गई थी.

पिछले कुछ सालों से दोनों देशों के बीच एक के बाद एक तनाव की घटनाएं सामने आ रही हैं.

गलवान से पहले दोनों देश डोकलाम में क़रीब ढाई महीने तक दोनों देशों की सेनाएं आमने सामने आ गईं. हालांकि इस बीच दोनों देशों की सेनाओं के बीच लगातार बॉर्डर फ्लैग मीटिंग भी होती रही.

भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में साल 2020 में गंभीर स्थिति पैदा हो गई थी. अप्रैल 2020 में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर शुरू हुए सैन्य गतिरोध के बाद भारत ने चीन से स्पष्ट रूप से कहा था कि ‘सीमा पर तनाव के साथ बाक़ी संबंध सामान्य नहीं रह सकते.’

इसके बाद चीन से निवेश में कमी आई क्योंकि मोदी सरकार ने कई तरह की पाबंदियां लगा दी थीं. भारत ने 5G ट्रायल से चीनी कंपनियों को बाहर किया और 200 से ज़्यादा ऐप पर बैन भी लगाए.

वहीं अगर भारत के वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के आंकड़ों को देखें तो पता लगता है कि गलवान के बाद भी चीन से आयात बढ़ता गया.

भारत का व्यापार घाटा रिकॉर्ड स्तर पर

ताज़ा आंकड़े भारत के लिए चिंताजनक हैं. भारत का व्यापार घाटा अब 101.02 अरब डॉलर के रिकॉर्ड स्तर को पार कर गया है, जबकि 2021 में यह आंकड़ा 69.38 अरब डॉलर था.

ऐसा पहली बार हुआ है कि भारत का व्यापार घाटा 100 अरब डॉलर पहुंचा है, जिसे भारत लगातार कम करने की कोशिश करता रहा है.

लेकिन व्यापार बढ़ने के साथ व्यापार घाटे का बढ़ना भी जारी रहा. साल 2020 के मुकाबले 2021 में दोनों देशों के बीच व्यापार में 43.32% की बढ़ोत्तरी हुई थी.

ये आंकड़े उस घटना के बाद के हैं जब मई 2020 में पूर्वी लद्दाख में दोनों देशों की सेनाएं आमने सामने आ गई थीं और तनाव चरम पर पहुंच गया था.

बीजिंग में भारतीय दूतावास की वेबसाइट पर जारी बयान के अनुसार, इस सदी की शुरुआत में चीन और भारत के बीच द्वीपक्षीय व्यापार ने नई ऊंचाई छूई है और 2008 तक चीन भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझीदार बन गया था.

पिछले एक दशक में दोनों मुल्कों के बीच द्विपक्षीय व्यापार ने हर साल नए रिकॉर्ड क़ायम किए हैं.

उदाहरण के लिए साल 2015 से 2021 के बीच भारत और चीन के बीच द्विपक्षीय व्यापार में क़रीब 75% का इजाफ़ा हुआ और वार्षिक विकास दर देखें तो व्यापार में औसतन हर साल 12.55% की वृद्धि दर्ज हुई है.

चाइनीज़ कस्टम के आंकड़ों के अनुसार, साल 2022 में चीन के कुल निर्यात में 7% जबकि आयात में 1.1% की वृद्धि हुई. पिछले साल चीन का ट्रेड सरप्लस 887.6 अरब डॉलर था और कुल निर्यात 3.95 ट्रिलियन डॉलर था.

व्यापार असंतुलन का क्या है कारण?
अर्थशास्त्री संतोष मेहरोत्रा ने बीबीसी को बताया, “भारत चीन को कच्चा माल बेचने का काम करता है जबकि वहां से आयात में भारत ज्यादातर बन बनाए प्रोडक्ट खरीदता है.”

मेहरोत्रा कहते हैं, “चीन से भारत इलेक्ट्रिकल और मैकेनिकल मशीनरी के अलावा कई तरह के केमिकल ख़रीदता है. ये केमिकल भारत के फ़ार्मा इंडस्ट्री के लिए बेहद अहम हैं. इससे हमारे देश में दवाएं बनाई जाती हैं लेकिन उनकी ओरिजिनल सामग्री चीन से ही आती है.”

वहीं दूसरी भारत चीन को बड़े पैमाने पर कॉटन, आयरन एंड स्टील, आर्टिफिशियल फूल, अयस्क, स्लैग, राख और ऑर्गेनिक केमिकल बेचने का काम करता है.

साल 2021-22 में भारत ने चीन से करीब 3 हजार करोड़ अमेरिकी डॉलर का इलेक्ट्रॉनिक सामान खरीदा है. इसमें इलेक्ट्रिकल मशीनरी, उपकरण, स्पेयर पार्ट्स, साउंड रिकॉर्डर, टेलीविजन और दूसरी कई चीजें शामिल हैं.