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मेढकी ने लिखा ख़त मेढक को…..हास्य कथा-जयचन्द प्रजापति ’जय’ दुवारा
जयचंद प्रजापति ====== हास्य : मेढकी ने लिखा खत मेढक को ………… आखिर बारिश इतनी तेज हुई कि मेढक अपने मेढकी से बहुत दूर चला गया। अब एक तालाब में मेढकी दूसरे तालाब में मेढक के चले जाने से मेढकी को बहुत चिन्ता है। निराशा छा गयी है। इस भयंकर बारिश को गालियां मेढकी देर […]
“एक कामवाली और लगवा लीजिए…
Madhu Singh ========== सुरभि कितनी बार बोला है तुम्हें अगर तुम्हारे पास वक्त नहीं है तो तुम नौकरी छोड़ दो। कम से कम मेरे खाने के लिए कामवाली ही रख लो, मानव की पत्नी (नेहा) को मैं कुछ कह नहीं सकता पर हर रोज एक जैसी सब्जी खाकर मैं उब गया हूं। तुम जानती हो […]
तभी उनकी निगाह बराबर में बैंच पर बैठी महिला की ओर गई और….
Ravindra Kant Tyagi ===================== ————— बिछोह ——— लन्दन के सेंट्रल पार्क का मौसम ऐसा ही था जैसा अकसर होता है. धुंध के गोले से हर तरफ तैर रहे थे. कंपकंपा देने वाली ठण्ड ने चारों तरफ एक सन्नाटा सा पसरा रखा था. फिर भी इक्का दुक्का लोग गर्म कपडे कसकर लपेटे हुए टहल रहे थे. […]