नए भारत में कुछ भी संभव है हो सकता है किसी दिन इतिहास की किताबों में लिखा जाये कि बाबर और पृथ्वीराज के बीच हल्दी घाटी में युद्ध हुआ था जिसमे बाबर राणा प्रताप के हाथों मारा गया था, या लिखा जाये कि सिकंदर जब पटना आया था तब उस सामना औरंगज़ेब से हुआ था, इस युद्ध में सिकंदर के सेनापति मोदी ने औरंगज़ेब का मार गिराया था
कर्नाटक में एक बार फिर राज्य की भाजपा सरकार सवालों के घेरे में है। यहां भाजपा सरकार ने कक्षा आठ के पाठ्यक्रम में बदलाव करके वीर सावरकर से जुड़ा हुआ एक अध्याय जोड़ा गया है। नए अध्याय में लेखक केटी गट्टी के ट्रैवलॉग के कुछ अंश शामिल किए गए हैं। किताब में जोड़े गए इन अंशों से राज्य में विवाद गहरा सकता है। कन्नड़ भाषा में इस किताब में दावा किया गया है कि सावरकर जब अंडमान जेल में बंद थे, तब वे बुलबुल के पंख पर बैठकर बाहर आते थे।
गौरतलब है कि पहले कक्षा आठ की इस किताब में ये अध्याय शामिल नहीं था। इसे हाल में संशोधन करके भाजपा सरकार ने शामिल किया था। इस किताब का ये अंश अब इंटरनेट पर वायरल हो रहा है। किताब के इस अंश पर कई अध्यापकों ने आपत्ति जताई है। इन अध्यापकों का कहना है कि इस अंश को किताब में इस तरह से लिखा गया है जैसे ये कोई शाब्दिक तथ्य हो। उन्होंने कहा कि इससे छात्र भ्रमित होंगे। वहीं, किताब में संशोधन करने वाली कमेटी के अध्यक्ष का कहना है कि इसे एक अलंकार के रूप में प्रयोग किया गया है।

बता दें कि कर्नाटक की भाजपा सरकार ने किताब में संशोधन की जिम्मेदारी रिवीजन कमेटी को सौंपी थी। इस कमेटी की अध्यक्षता रोहित चक्रतीर्थ ने की थी। हालांकि सरकार ने संशोधन के बाद ये कमेटी भंग कर दी थी।
गौरतलब है कि कर्नाटक में ये पहली बार नहीं हैं जब सावरकर को लेकर विवाद खड़ा हुआ हो। कर्नाटक के शिवमोगा में पिछले दिनों सावरकर के पोस्टर लगाने को लेकर विवाद हुआ था। एक समूह ने सावरकर की जगह टीपू सुल्तान के पोस्टर लगाने की कोशिश की थी। इससे बवाल मच गया, जिसके बाद पूरे इलाके में धारा 144 लागू कर दी गई थी।
इस विवाद के बीच श्रीराम सेना ने पूरे राज्य में वीर सावरकर के पोस्टर लगाने का एलान किया था। प्रमोद मुथालिक ने कहा था, हमने तय किया है कि पूरे राज्य में वीर सावरकर और बाल गंगाधर तिलक के 15 हजार पोस्टर लगाए जाएंगे। सावरकर मुस्लिमों के खिलाफ नहीं लड़े थे। वह स्वतंत्रता सेनानी थे और अंग्रेजों के खिलाफ लड़े थे। चेतावनी देते हुए मुथालिक ने यह भी कहा था कि अगर मुस्लिम या कांग्रेस में से किसी ने उनके पोस्टर को छुआ तो हाथ काट दिए जाएंगे। यह मेरी चेतावनी है।
Prabhat
@Prabhatksaroj
विवाद का विषय है ही क्योंकि , आजादी की लड़ाई में अंग्रेजों का साथ देने वाले गद्दार का महिमा मंडन देश कभी बर्दाश्त नहीं कर सकता। सावरकर भाजपा के विचारों के लिए वीर हो सकता है लेकिन देश के लिए नहीं।
Ashraf Hussain
@AshrafFem
सावरकर अंडमान के जिस जेल में क़ैद थे, उस कमरे में एक भी छेद नहीं था, फिर भी एक बुलबुल वहां आती थी और सावरकर उसके पंखों पर बैठकर हर रोज़ मातृभूमि आया-जाया करते थे।
ये मैं नहीं बल्कि कर्नाटक में कक्षा 8 के पाठ्यपुस्तक में लिखा हुआ है। बाकी हक़ीक़त क्या है ये आप लोग ही बता पाएंगे…
santosh gupta
@BhootSantosh
कर्नाटक में 8वीं कक्षा के पाठ्यक्रम में डाला गया है, कि अंडमान के उस जेल से एक बुलबुल सावरकर को रोज अपने पंख पर बिठाकर पूरा भारत घुमाती थी… जिसके सेल में एक चाभी घुसाने लायक छेद भी नहीं था.!
उपर से कर्नाटक के संघी शिक्षामंत्री कह रहे हैं, कि ये बात एकदम सच है… हाय रे गोबर
Khurshid Ansari
@AnsariK786_4
जब मोदी, मगरमच्छ को जेब में डालकर घर ला सकता है.!
तो सावरकर बुलबुल के पंख के ऊपर बैठ कर भारत दर्शन क्यों नहीं कर सकता.??
जब इतनी छोटी छोटी बात भारत की मूर्ख जनता की समझ में नहीं आती.!
तो भारत कैसे बनेगा विश्वगुरु.??
Lovely
@Lovely92698976
अंडमान की उस जेल के कमरे में एक भी छेद नहीं था। फिर भी बुलबुल वहां आती थी।
और माफीवीर सावरकर उसके पंखों पर बैठकर हर रोज़ मातृभूमि आया-जाया करते थे।
आज सावरकर नहीं हैं, लेकिन उन्हें माफीवीर के बदनुमा दाग से मुक्त करने के लिए एक बुलबुल आज भी अंडमान से तकरीबन रोज़ भारत आ रही है।
PANKAJ CHATURVEDI
@PC70001010
जब सावरकर अंडमान जेल में बंद थे, तो वहां कोई भी सुराख नहीं था, लेकिन वहां एक बुलबुल पक्षी आया करती थी और सावरकर उसपर बैठकर जेल से बाहर की सैर किया करते थे. यह कर्नाटक सरकार की कक्षा 8 की पाठ्यपुस्तक का पाठ है। किस तरह का इतिहास पुनर्लेखन है यह??
एक ब्रिटिश पत्रकार ने अंडमान की सेल्यूलर जेल में कालापानी की सजा काट रहे *वीर सावरकर का दुर्लभ वीडियो फुटेज* जारी किया था।
🙏🏻🚩🇮🇳🚩🙏🏻😌🤝🏼 pic.twitter.com/8VB4gwNjGN— कृष्णगोपाल (मोदी परिवार) (@BNP92618725) August 28, 2022