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पूछने का हक़ क्यों नहीं है उन्हें? पिता हैं वे…..@लक्ष्मी कान्त पाण्डे
यश पैर पटकता हुआ रूम से निकला और अपने पापा की कार में पिछली सीट पर जाकर बैठ गया. दीपक और उनकी पत्नी उदास से कार में बैठे थे… क्योंकि यश की प्रतिक्रिया देखकर जाने का मन नहीं था, पर बचपन के दोस्त शेखर ने अपने बर्थडे पर सपरिवार बुलाया था. यश ने जाने के […]
वेश्या के लिये समस्या हो ही नहीं सकती, लेकिन समस्या क्या है ?
मेरा मुझमें कुछ नहीं मैंने सुना है, एक सूफी फकीर के आश्रम में प्रविष्ट होने के लिये चार स्त्रियां पहुंचीं ! उनकी बड़ी जिद थी, बड़ा आग्रह था ! ऐसे सूफी उन्हें टालता रहा, लेकिन एक सीमा आई कि टालना भी असंभव हो गया ! सूफी को दया आने लगी, क्योंकि वे द्वार पर बैठी […]
#कहानी- लम्हों की दास्तान…रेनू की क़लम से…
#कहानी- लम्हों की दास्तान अजय और परी तीन दिनों के लिए दिल्ली गए हुए हैं और मैं… मैं आजकल घर में नितान्त अकेली हूं. एकदम तन्हा, किंतु क्या वास्तव में मैं अकेली हूं. नहीं, मेरे साथ मेरे अतीत की स्मृतियां हैं, जो मुझे एक पल के लिए भी तन्हा नहीं छोड़तीं. गुज़रे दिनों के खट्टे-मीठे […]