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सागवाड़ा, नेमीनाथ नगर में आध्यात्मिक सत्संग समारोह ; धर्मेन्द्र सोनी की रिपोर्ट

धर्मेन्द्र सोनी
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नेमीनाथ नगर में आध्यात्मिक सत्संग समारोह ।

सागवाड़ा 6 फरवरी सागवाड़ा के नेमीनाथ नगर कॉलोनी में 5, 6,7 फरवरी तीन दिवसीय दिव्य ज्योति जागृति संस्थान द्वारा आध्यात्मिक सत्संग समारोह हो रहा है जिसमें सर्वश्री आशुतोष जी महाराज की शिष्या विदुषी निलेशा भारती ने सत्संग के माध्यम से कहा कि बड़े ही भाग्य से यह मनुष्य तन मिलता है।

ऋषि मुनियों ने भी कहा है कि मनुष्य तन अति दुर्लभ है ,संत तुलसीदास जी कहते हैं कि मनुष्य तन मोक्ष को प्राप्त करने का एक साधन है, भगवान श्री राम कहते हैं कि मनुष्य मुझे सबसे प्रिय है क्योंकि इंसान ही ईश्वर की भक्ति कर सकता है ईश्वर को प्राप्त कर सकता है और जिसने ईश्वर को पा लिया वही आनंद की प्राप्ति कर पाता है व जीवन में परिवर्तन भी आता है।

साध्वी विदुषी पुरन्दरी भारती ने सत्संग के माध्यम से कहा कि जो व्यक्ति अंत समय में धन की चिंता करता है वह सर्प योनि को प्राप्त करता है, जो अंत समय में घर बार की चिंता करता है वह प्रेत योनि को प्राप्त करता है, जो अंत काल में पुत्र संतान परिवार का ध्यान करते मरता है वह सूअर की योनि प्राप्त करता है ऐसा गृन्थो में लिखा है किंतु जो अंत समय में नारायण का सुमिरन करता है वह नारायण ईश्वर को ही प्राप्त करता है। यदि जीवन में परमात्मा की खोज नहीं तो जीवन बेकार है मानव तन का मुख्य उद्देश्य ही ईश्वर को प्राप्त करना है।

साध्वी विदुषी प्रपूर्णा भारती ने सत्संग के माध्यम से बताया कि प्रत्येक इंसान सांसारिक उपलब्धियाें को पाने के लिए तो संपूर्ण प्रयास करता है और इसी कारण वह सदैव दुख अशांति व असंतुष्टि को प्राप्त करता है, पाना तो सुख चाहता है किंतु प्राप्ति दुख की होती है अतः जीवन में संतो सतगुरु के माध्यम से ईश्वर का दर्शन करें तभी जीवन में सुख को प्राप्त किया जा सकता है ।

भक्ती शब्द पर विवेचना करते हुए बताया कि भक्ती केवल बाहरी क्रियाएं करना नहीं है हमारे शास्त्र कहते हैं की भक्ति का अर्थ ईश्वर से जुड़ना होता है जब मानव अपने ही अंतर में ईश्वर का दर्शन प्राप्त करता है तभी जीवन में शाश्वत भक्ति का आगाज होता है । अतः जीवन में एक गुरु का होना आवश्यक है तो ही शाश्वत भक्ति की प्राप्ति होती है एक पूर्ण तत्वदर्शी गुरु ही इंसान को ईश्वर का दर्शन करा कर उसे मोक्ष का मार्ग प्रदान करते हैं ।

इस मौके पर भजन- हे शिव शंकर करुणा निधान हम पर कृपा बरसा, जिंदगी एक किराए का घर है एक न एक दिन बदलना पड़ेगा, भक्ति करता छुटे मारा प्राण, मुझे चरणों में दे दो स्थान जी, राम नाम लौ लागी मेरी जाग रे जाग रे है मानव तू जाग रे, माया में मन जो फांसे रहते हैं, चाहे सारे तीरथ कर लो घूम आओ संसार, मन में बसा के तेरी मूर्ति उतारू में भजनों के साथ गुरु भाई ओमप्रकाश जेठवा ने तबले पर संगत दी साथ में श्रोतागण भाव विभोर होकर झूम उठे अंत में आरती प्रसाद के साथ समारोह को विराम दिया गया।