साहित्य

सह चुके हैं कई हम भी दुशवारियाँ, मुशकिलें तुम भी थोड़ी गवारा करो

Sunita Devi
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जी रहे हैं सनम हम तुम्हारे लिए
मर भी जायेंगे गर तुम इशारा करो
सह चुके हैं कई हम भी दुशवारियाँ
मुशकिलें तुम भी थोड़ी गँवारा करो
तुम अकेले नहीं जो परेशान हो
हर कोई दर्द ए दिल का है मारा हुआ
जिन्दगी में किसी को मिला सब नहीं
हर कोई बस किसी से है हारा हुआ
लौट आएगा खुद गर तुम्हारा है वो
बे वजह मत किसी को पुकारा करो
सह चुके हैं कई हम भी दुशवारियाँ
मुशकिलें तुम भी थोड़ी गँवारा करो
सोचने से कभी कुछ भी होगा नहीं
चाहते हो अगर तो इरादा करो
पूजते हो जिसे छुप छुपा कर अभी
सब कहोगे उसी से ये वादा करो
ग़र रहोगे उसी के वचन दे दिया
तो किसी गैर को मत निहारा करो
सह चुके हैं कई हम भी दुशवारियाँ
मुशकिलें तुम भी थोड़ी गँवारा करो
हैं परेशानियाँ किन्तु जीवन है ये
अंत से फिर नया एक आगाज़ हो
तुम जियो इस तरह जैसे अंतिम दिवस
तुम मरो इस तरह मौत को नाज़ हो
इस जगत से अकेले ही जाना तुम्हें
तो किसी और को मत सहारा करो
सह चुके हैं कई हम भी दुशवारियाँ
मुशकिलें तुम भी थोड़ी गँवारा करो
जी रहे हैं सनम हम तुम्हारे लिए
मर भी जायेंगे गर तुम इशारा करो
सह चुके हैं कई हम भी दुशवारियाँ
मुशकिलें तुम भी थोड़ी गँवारा करो
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और शुभ रात्रि …………..
—आपकी सोनू 💘💘💘