साहित्य

सरदार मेघराज सिंह की एक कविता **इंसानियत के नाम**—-ज़रूर पढ़ें!

Meghraj Singh
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एक कविता इंसानियत के नाम—-
सुख चाहते हो ज़िंदगी मैं तो सच को अपनाइए ।
झूठ और बेईमानी को अपने अंदर से दूर भगाइए ।
अपने मन को सच के रास्ते पर रोज़ चलना सिखाइए ।
सच्चाई और ईमानदारी से अपने मन को राजा बनाइए ।
नफ़रत की दीवारों को प्यार के बुल्डोजर से गिराइए ।
नफ़रत की आग को प्यार की बारिश बुझाइए ।
जलस और नफ़रत को अपने अंदर से दूर भगाइए ।
सच अपनाकर अपने अंदर से ही प्यार का समुद्र पाइए ।
मिलते हैं अगर रास्ते में ग़रीब उनको दूर ना भगाइए ।
गरीबों को पास बुलाकर उनको अपने गले से लगाइए ।
बेज्जती करके दूसरों की अपनी इज़्ज़त ना गँवाइए ।
इज़्ज़त देकर दूसरों को एक दिन ख़ुद इज़्ज़त ही पाइए ।
चापलूसी करके दूसरों की अपने आप को नीचे ना गिराइए ।
स्वाभिमान की ज़िंदगी जी कर अपने आप को ऊपर उठाइए ।
नफ़रत करके दूसरों को अपने अंदर नफ़रत की आग ना लगाइए ।
नफ़रत को त्यागकर सचमुच ही अपने अंदर प्यार की जोत जलाइए ।
महापुरुषों के सच्चे ज्ञान से अपने अंदर से अज्ञान मिटाइए ।
महापुरुषों के सच्चे पैग़ाम को पूरी दुनिया में फैलाइए ।
सच को सचमुच ही अपनाकर अपनी ज़िंदगी को प्रकाशमान बनाइए ।
मेघराज सिंह सच से मिलता है सुखों का भंडार उसको अपने अंदर से ही पाइए ।

नोट—सच ही सुखों का बीज है सच्च से ही सब सुख मिलते हैं इस रहस्य को सच्चे इंसान ही समझ सकते हैं ।
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( M S khalsa)

Meghraj Singh
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मैं पूरे विश्व के लोगों से एक समान प्यार करता हूँ ।

जानिए मैं किस तरह सब से प्यार करता हूँ —

1 मैं पूरे विश्व के बच्चों से मां और पिता वाला प्यार करता हूँ ।

2 मैं नौजवानों से दोस्त वाला और दुश्मन वाला प्यार करता हूँ ।

बहुत सारे दोस्त ऐसे होते हैं जो दोस्तों की कमियों को छुपा लेते हैं ।
बहुत सारे दुश्मन ऐसे होते हैं जो अपने दुश्मन की कमियों पर वार करते हैं ।

मैं पूरे विश्व के नौजवानों से दोस्त वाला प्यार इसलिए करता हूँ ताकि मै नौजवानों को सही रास्ता दिखा संकू ।

मैं पूरे विश्व के नौजवानों से दुश्मनों वाला इसलिए प्यार करता हूँ ताकि मैं नौजवानों को ग़लत रास्ते से हटाकर सच्चाई का मार्ग दिखा संकू ।

इसीलिए मैं नौजवानों से दोस्तों वाला और दुश्मनों वाला प्यार करता हूँ ।

3 मैं पूरे विश्व के बुज़ुर्गों से बच्चों वाला प्यार करता हूँ ।

कुछ महत्वपूर्ण शायरियां

मैं पूरे विश्व के लोगों को अपना परिवार मानता हूँ इसी लिए मै सब से एक समान प्यार करता हूँ ।
मेरे अंदर सबके लिए प्यार ही प्यार है इसीलिए में अपने जीवन में हमेशा ही ख़ुश रहता हूँ ।

जब से सच को अपनाया है हमने तब से अंदर से नफ़रत ख़त्म हो गई और प्यार पैदा हो गया है ।
जब से नफ़रत ख़त्म हुई है हमारे अंदर से तब से यह सारा संसार ही मेरा परिवार बन गया है ।

नोट—विश्व का कोई भी इंसान अगर सच को सचमुच ही अपनाएगा वह पूरे विश्व के लोगों को एक समान प्यार करेगा यह बात सिर्फ़ सच्चे इंसान ही समझ सकते हैं ।

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