देश

समलैंगिकता पर मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने जानिए क्या कहा ? मौलाना खालिद सैफुल्लाह ने करी मोदी सरकार से माँग

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिकता पर सुनाये नये फैसले में 5 जजों की संविधान पीठ ने गुरुवार को आईपीसी की धारा 377 के उस प्रावधान को रद्द कर दिया, जिसके तहत बालिगों के बीच सहमति से समलैंगिक संबंध भी अपराध था। सभी जजों ने अलग-अलग फैसले सुनाए, हालांकि सभी के फैसले एकमत से थे।

इस पर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कड़े शब्दों में निंदा करी है,बोर्ड के राष्ट्रीय सचिव मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी ने कहा कि समलैंगिकता फितरत से बगावत है,और ये बगावत हमेशा इंसान के लिये नुक़सान का कारण बनी है,मेडिकल सांईन्स इस बात की पुष्टि कर चुका है कि समलैंगिकता के कारण एड्स जैसी जानलेवा नाकाबिल इलाज बीमारी होती है।

मौलाना रहमानी ने कहा कि समलैंगिकता के कारण कई अन्य जानलेवा बीमारियां जन्म लेती हैं जिसके कारण पुरुष की मर्दानगी खत्म होजाती है,और उसको जानलेवा बीमारियां लग जाती है।तथा इसके अलावा समलैंगिक सम्बन्धों के समाज पर भी बहुत बुरा प्रभाव पड़ेगा और यूरोप की तरह निकाह शादी बहुत कम संख्या में होंगी।

मौलाना रहमानी ने कहा समलैंगिता का बुरा प्रभाव पूरे समाज पर पड़ेगा लेकिन इसका सबसे ज़्यादा नुक़सान महिलाओं को होगा पहले से ही देश में महिलाओं की संख्या पुरुषों से अधिक बढ़ती जारही है,इस कानून की वजह से एक विशेष समाजिक समूह जिंदगीभर किसी महिला को अपनाने और उसका बोझ उठाने के बदले अप्राकृतिक रूप से अपनी ज़रूरत को पूरी करेगा,और इसको ही काफी समझेगा।

मोलाना रहमानी ने कहा कि भारत एक ऐसा देश है जहां सभी धर्म और वर्ग के लोग रहते हैं अधिक संख्या के लोग इस बात पर यकीन रखते हैं कि संभोग के लिये अप्रकृतिक रूप का चुनाव करना पाप है और इसको सब बुरा समझते हैं,इसी लिये सभी धर्मों में समलैंगिकता को बुरा समझा जाता है और इसको पाप माना जाता है,सिर्फ चंद लोगों की इच्छा पर ऐसा फैसला जो देश की अधिकतर आबादी के खिलाफ हो वास्तव में एक अलोकतांत्रिक कार्य है।इस लिये सरकार को चाहिए कि वो पार्लियामेंट में बिल लाकर इस फैसले को बदले और भारतीय समाज को तबाह होने से बचाये।