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“कौन कहता है कि इंसानियत मर चुकी है इस दौर में……….”
दफ़्तर से अपना काम ख़तम करने के बाद जब अपने घर के लिए गुप्ता जी निकलने लगे तो उस समय उनकी घड़ी में तक़रीबन रात के 9 बज रहे थे । हालांकि रोज़ गुप्ता जी शाम 7 बजे के लगभग अपने ऑफिस से निकल जाया करते थे लेकिन आज काम के दवाब के कारण कुछ […]
स्त्रीचरितमानस (गुटका संस्करण) के कुछ फटे हुए पन्ने
,Kavita Krishnapallavi ================ स्त्रीचरितमानस (गुटका संस्करण) के कुछ फटे हुए पन्ने प्रबुद्ध स्त्री कल एक प्रबुद्ध स्त्री मिली I उसका पति बहुत अधिक प्रबुद्ध था I वह दुनिया को अपने पति के नज़रिए से देखती थी I * मुक्त स्त्री कल एक मुक्त स्त्री मिली I अपनी सभी व्यक्तिगत-सामाजिक जिम्मेदारियों-जवाबदेहियों से,सभी सामाजिक सरोकारों-प्रतिबद्धताओं से, सभी […]
ख़ूब है इश्क़ का ये पहलू भी,,,मैं भी बर्बाद हो गया तू भी….
Mohd Iftakhar =============== अमेरिका के एक गणितज्ञ थे,उनकी बीवी ने तलाक़ देते हुए कहा था कि ये आदमी बुरे नहीं है लेकिन सुबह शाम दिन रात अपनी ही दुनिया में खोये रहते हैं,डिनर टेबल हो या बेडरूम,हर जगह अपना दिमाग़ जाने किस कैल्क्युलेशन में लगाये रहते हैं,तमाम अच्छाईयों के बीच इसी एक कमी के कारण […]