साहित्य

सभी को अपने तुच्छ स्वार्थ भूलकर परिवार की समृद्धि के लिए काम करना चाहिए : लक्ष्मी सिन्हा का लेख

Laxmi Sinha
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परिवार सामाजिक संगठन की प्रथंम इकाई है।
समाजिक शक्ति परिवारिक शक्ति पर निर्भर करती
है।इसीलिए समाज के सशक्तिकरण के लिए परिवार
का सशक्त होना जरूरी है। जब हम परिवार की बात
करते हैं तो रक्त संबंध के सभी रिश्ते परिवार की
श्रेणी में आ जाती है, जैसे माता _पिता, पति _पत्नी,
बच्चे और बंधु _बांधव। परिवार की सुरक्षा, संरक्षा
और उन्नति का निर्धारण परिवार से ही होती है, जो
परिवारिक सदस्यों की एकजुटता पर निर्भर है इसके
लिए सभी को अपने तुच्छ स्वार्थ भूलकर परिवार की
समृद्धि के लिए काम करना चाहिए। हमेशा से
परिवार का स्वरूप बदलती रहती है। भारतीय ऋषि
परंपरा में पूरी धरती को परिवार माना गया था,
क्योंकि पारिवारिक संबंध स्थापित किए बिना धरती
का सवर्विध कल्याण संभव नहीं । दुनिया में
जैसे-जैसे सुख _ सुविधाएं बढ़ने लगी, मनुष्य के
अंदर स्वार्थ और लोभ की प्रवृत्तियां भी बढ़ने लगी
जिससे परिवारों में विखंडन प्रारंभ हो गया। आज
यह विखंडन बढ़ती ही जा रही है।माता पिता को ही
परिवार का अंग नहीं माना जा रहा है। मानव की
यह प्रवृत्ति सामाजिक संगठन को कमजोर कर रही
है, जिसका दुष्प्रभाव देश की एकता पर भी पड़ रहा
है। परिवार भावनात्मक संबंधों का जीवंत रूप है।
भावनाएं ही परिवार को जोड़े रखती है।इसके बिना
परिवार की कल्पना भी नहीं कि जा सकती।जहां ये
संबंध होते हैं, वहां लोग तुच्छ स्वार्थों के लिए लड़ते
नहीं, अपितु स्वार्थों का बलिदान करते हैंफिर कलह
कोई स्थान नहीं रहती।यही भावनाएं समाज एवं
देश को भी एक सूत्र में बांधे रखती है। इसीलिए
भावनात्मक रूप से दुनिया के सभी जनों को एक
सूत्र में बांधने के लिए भारतीय संस्कृति में वसुधैव
कुटुंबकम् का उद्घोष किया गया है। दुर्भाग्यवश
आज सर्वत्र उसकी कमी परिलक्षित हो रही है।
अतः परिवार, समाज और देश की मजबूती के लिए
सभी को भावनात्मक रूप से जुड़ने का प्रयास
करना चाहिए। तभी हमारा परिवार, समाज एवं
देश उन्नति की ओर बढ़ेगा।

#Laxmi_sinha
प्रदेश संगठन सचिव महिला प्रकोष्ठ
राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी(बिहार)