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दुःख सबके एक जैसे नहीं होते है…किसी के बहुत “छोटे” तो किसी के बहुत “बड़े” होते है!
वाया : कामसूत्र – स्वामी देव द्वितीय ============== · “चरित्रहीन – एक यात्रा वैश्यालय की” यौवन के मद में अनियंत्रित, सागर में खो जाने को आज चला था पैसो से मैं यौवन का सुख पाने को दिल की धड़कन भी थिरक रही थी यौवन के मोहक बाजे पे अरमानों के साथ मैं पंहुचा उस तड़ीता […]
“कौन कहता है कि इंसानियत मर चुकी है इस दौर में……….”
दफ़्तर से अपना काम ख़तम करने के बाद जब अपने घर के लिए गुप्ता जी निकलने लगे तो उस समय उनकी घड़ी में तक़रीबन रात के 9 बज रहे थे । हालांकि रोज़ गुप्ता जी शाम 7 बजे के लगभग अपने ऑफिस से निकल जाया करते थे लेकिन आज काम के दवाब के कारण कुछ […]
प्रेमपत्र अपनी जगह पहुँच गया!
Kavita Krishnapallavi ============== · प्रेमपत्र अपनी जगह पहुँच गया! ‘आइडेंटिटी पॉलिटिक्स’ की गलियों से होते हुए भगवा कर्तव्य-पथ (यानी राजपथ) तक पहुँचे भूतपूर्व “वामपंथी” कवि और समाजशास्त्री प्रोफेसर बद्रीनारायण को इस वर्ष का साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला! यह फल तो उनके झोले में टपकना ही था! भक्ति व्यर्थ नहीं जाती! भगवान के घर देर है […]